अपने रिश्ते पर भरोसा है हमें: सोनाली बेंद्रे-गोल्डी बहल
एक है पंजाबी मुंडा तो दूसरी सिंपल महाराष्ट्रियन लड़की। फिल्मों-मॉडलिंग की दुनिया में दोनों की मुलाकात हुई, जो पहले दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई। प्यार आगे बढ़ा तो दोनों ने शादी कर ली। आज इनका एक प्यारा सा बेटा भी है। हम बात कर रहे हैं सोनाली बेंद्रे और गोल्डी बहल की। मिलते हैं इस दंपती से।
अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे और निर्माता-निर्देशक गोल्डी बहल की शादी को लगभग दस वर्ष हो चुके हैं। फिल्मी दुनिया में काम करने के दौरान इनकी मुलाकात हुई। दोस्ती हुई और फिर प्यार भी हो गया। प्यार अपने अंजाम तक पहुंचा और दोनों ने शादी कर ली।
आप दोनों फिल्म लाइन से जुडे हैं। क्या आपका परिवार भी फिल्मों से जुडा रहा है?
गोल्डी बहल : मैं तो फिल्मी दुनिया में ही पला-बढा हूं। मेरे पिताजी रमेश बहल निर्माता-निर्देशक थे। उनके काम को अपनी योग्यता के हिसाब से आगे बढा रहा हूं। फिल्म निर्माण जारी है।
सोनाली बेंद्रे : मैं मॉडलिंग के जरिये अभिनय की दुनिया में आई। अभिनय करते हुए गोल्डी से दोस्ती हुई और फिर हम हमसफर बन गए। मैं आज भी फिल्मों और छोटे पर्दे पर दिखती हूं। एक बच्चे की मां बन गई हूं।
आप दोनों की मुलाकात कब, कैसे और कहां हुई?
गोल्डी : हमारी मुलाकात एक फिल्म के सेट पर हुई। मेरी बहन सोनाली को जानती थी। हम शूटिंग के दौरान साथ खाना खाते थे। खाने के बारे में बातचीत करते-करते ही हमारी दोस्ती हो गई। हम अकसर खाने के बारे में ही बात करते थे। फिर हुआ यह कि मैंने एक फिल्म अंगारे प्रोड्यूस की, जिसमें इन्हें अभिनेत्री के रूप में चुना गया। यहीं से दोस्ती की शुरुआत हुई।
सोनाली : फिर वह दिन भी आया, जब हमने तय किया कि दोस्ती को शादी में बदला जाए।
आप दोनों को एक-दूसरे के किन गुणों ने आकर्षित किया?
गोल्डी : सोनाली अभिनेत्री हैं, अच्छे नेचर की और खूबसूरत हैं..। एक लडके को इससे ज्यादा और क्या चाहिए? मुझे लगा कि ये मेरी जीवनसाथी बन सकती हैं। मेरी मां को भी ये बहुत पसंद थीं। पहली बार में तो इनका धीरे-धीरे खाना ही मुझे भा गया था।
सोनाली : मुझे लगता था कि शादी तो करनी ही है। गोल्डी मुझे पसंद भी थे। मैं अपने हमसफर में जिन गुणों की कल्पना करती थी, वे सब इनमें थे। मुझे लगा, हमारी जोडी ठीक रहेगी।
शादी के लिए आपके परिवार वाले तैयार हो गए?सोनाली : हां। शादी के लिए गोल्डी ने प्रपोज किया। इसके बाद घर वालों के बीच बातचीत हुई और शादी की तारीख पक्की हो गई।
शादी किस ढंग से हुई?
गोल्डी : हम फिल्म इंडस्ट्री के लोग हैं। इसलिए हमारी शादी तो खूब धूमधाम से हुई। सभी खास लोग इस शादी में शरीक हुए।
कभी मनमुटाव की भी नौबत आई?
सोनाली: शायद ही ऐसे कोई पति-पत्नी हों, जिनके बीच कभी झगडा न होता हो। हमारे बीच भी होता है, लेकिन हम मुंह फुला कर नहीं बैठते, थोडी देर बाद ही ऐसे हो जाते हैं, मानो कुछ न हुआ हो।
गोल्डी: मैं बहुत कूल हूं। कभी गुस्से में नहीं आता। जो कुछ भी गुस्सा होता है, सोनाली की तरफ से होता है। ये नाराज होती हैं, तब भी खूबसूरत दिखती हैं, मान जाती हैं, तब भी मुझे भाती हैं।
सोनाली : हां, सचमुच गोल्डी तो इस मामले में राजा हैं। इन्हें गुस्सा नहीं आता। ये अलग किस्म के इंसान हैं। मुझे जल्दी गुस्सा आता है।
गोल्डी : लेकिन मेरे आगे सोनाली का गुस्सा नहीं ठहरता। गुस्सा बस थोडी देर के लिए आता है। मगर इससे इनका कोई काम नहीं रुकता। ये अपने काम अपने समय के हिसाब से ही करती हैं।
पसंद-नापसंद मिलती है आप दोनों की? एक-दूसरे को कितना सहयोग देते हैं?
सोनाली : पसंद-नापसंद के बारे में हमने बहुत नहीं सोचा। कुछ चीजें अनायास आती हैं रिश्तों में, उन्हें अलग से समझाने की जरूरत नहीं पडती। धीरे-धीरे एक-दूसरे की पसंद-नापसंद समझ आ जाती है।
गोल्डी : मैं तो पूरी तरह समर्पित पति हूं। हम दोनों को अपने-अपने काम मालूम हैं। हम अपने हिसाब से काम करते हैं और जहां जिसे जरूरत होती है, उसे सहयोग देते हैं, लेकिन बहुत हस्तक्षेप नहीं करते। सोनाली साइंस फिक्शन बहुत पसंद करती हैं, लेकिन इनमें एक कमी है कि इनका सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत रूखा-सूखा है।
व्यस्त जीवन में सामंजस्य कैसे बिठाते हैं?
सोनाली: हमें पता है कि किसे क्या करना है। इसलिए काम को लेकर हम परेशान नहीं होते। जब बेटा छोटा था तो मेरी प्राथमिकता घर व बेटा था। तब मैंने काम नहीं किया, थोडा बडा हुआ तो सासू मां और ननद के समझाने पर मैं घर से निकलने को तैयार हुई। हम उतना ही काम करते हैं, जिसमें घर-परिवार उपेक्षित न हो। इसलिए सामंजस्य जैसी समस्या रिश्तों में नहीं आ पाती।
बेटे के जन्म के बाद सोनाली ने ब्रेक लिया। फिर दोबारा काम करने का मन कैसे बनाया? इसमें सबसे ज्यादा प्रोत्साहन किसने दिया आपको?
गोल्डी : दोबारा काम करना इनकी अपनी चॉइस थी। मैंने कभी इन्हें फोर्स नहीं किया। मैंने कभी इनके फैसले में हस्तक्षेप नहीं किया।
सोनाली : काम करने का फैसला मेरा था, मगर परिवार के सपोर्ट के बिना मैं कुछ नहीं कर पाती। मेरी सासू मां अकसर कहा करती थीं कि अब जिस तरह की फिल्में बन रही हैं, उसमें तुम फिट हो जाओगी। उन्होंने कहा कि तुम्हारा ऐक्टिंग स्टाइल आज की स्थितियों में परफेक्ट है। उन्होंने मुझे प्रोत्साहन दिया। आज रिअलिस्टिक फिल्में बनने लगी हैं। पहले जब मैंने फिल्मों में काम शुरू किया था, उस समय लाउड ऐक्टिंग हुआ करती थी। तब मेरी प्राथमिकता घर-परिवार और मेरा बेटा रणवीर था। मुझे जब कुछ वक्त मिला, मैं अभिनय में आ गई।
सोनाली आपने टीवी के रिअलिटी शोज में काफी काम किया है। इंडिया के बेस्ट ड्रामेबाज में भी आप जज रहीं। असल जीवन में कितना ड्रामा करती हैं?
सोनाली : (हंसते हुए) अरे मैं ड्रामा सिर्फ पर्दे पर करती हूं, असल जीवन में मैं बहुत आम लडकी हूं। वैसे भी हमारा समय कुछ अलग तरह का था। मैं मध्यवर्गीय परिवार की लडकी थी। पिता सरकारी विभाग में थे। उनकी इच्छा थी कि मैं आइएएस अधिकारी बनूं, जैसा उस समय के हर माता-पिता सोचते थे। पर मैं अभिनय की दुनिया में आई, जो मेरे पिता को नापसंद था। हालांकि बाद में वो मान गए।
गोल्डी : मैं बहुत आम व्यक्ति हूं। सहज-सरल और सीधी राह पर चलने वाला हूं। इसलिए मुझे कभी ड्रामा करने की जरूरत नहीं पडी।
वैवाहिक जीवन की सफलता का राज क्या है?
गोल्डी-सोनाली : आपसी अंडरस्टैंडिंग और कभी हिम्मत न हारना। आपसी समझदारी होगी तो हर परेशानी का सामना मिल कर किया जा सकता है। परिपक्वता, एक-दूसरे पर भरोसा, समझदारी, सहयोग और धैर्य ही सफल दांपत्य जीवन की नींव है। हम अपने रिश्ते को लेकर बहुत सकारात्मक हैं। हमें एक-दूसरे पर अटूट भरोसा है, शायद इसलिए हम साथ-साथ हैं..।
गोल्डन-गोल्डन है हमारी जिंदगी
सोनाली: गोल्डी मेरे रीअल गोल्ड हैं। ये साथ हों तो किसी गोल्ड की चाहत क्यों होगी। परिवार के साथ हर क्षण गोल्डन होता है।
गोल्डी: मेरा गोल्ड तो सोनाली और मेरा बेटा रणवीर हैं। रणवीर के रूप में इन्होंने मुझे पूरी दुनिया दे दी है। और मुझे क्या चाहिए! सोनाली मेरी ताकत हैं, हर स्थिति में मुझे हौसला देती हैं। इन्हीं का प्यार है, जो मैं हर मुश्किल को पार कर जाता हूं।
रतन