पहली मुलाकात की खुमारी अब भी है बाकी: अनुराग बसु-तानी
दिलचस्प ढंग से हुई इनकी मुलाकात और धीरे-धीरे घनिष्ठता बढ़ी। लेकिन शादी से पहले कई बार ब्रेकअप भी हुआ। ये हैं निर्देशक अनुराग बसु और तानी, जिनकी शादी को लगभग नौ साल हो गए हैं। जिंदगी को भरपूर जीते हैं। ढेर सारा प्यार और कई लड़ाइयां हैं इनके दांपत्य में। इस बार इसी बेबाक दंपती से मिलवा रहे हैं अजय ब्रह्मात्मज।
अलग तरह की फिल्मों के लिए जाने जाते हैं अनुराग बसु। लाइफ इन अ मेट्रो हो या बर्फी.., दोनों में जिंदगी की रफ्तार है, रिश्तों की गर्माहट, अटूट भरोसा और उनकी टूटन है। अनुराग की हमसफर हैं तानी। एक शूटिंग के दौरान इनकी मुलोकात हुई-दोस्ती हुई। शादी का फैसला लेने में देर हुई, लेकिन नौ सालों के दांपत्य और दो बच्चियों की परवरिश ने इन्हें परिपक्व बना दिया है। हालांकि अब भी कई बार बचकानी हरेकतें करते हैं दोनों। मिलते हैं इनसे।
मुलाकात और एहसास प्रेम का
तानी : मैं दिल्ली के एक गैरसरकारी संगठन में काम करती थी। डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का भी कुछ काम देखती थी। कम्युनिकेशन कंसल्टेंट थी। असम पर एक डॉक्यूमेंट्री बननी थी। मैंने स्क्रिप्ट लिखी और सोचा कि मैं ही बनाऊंगी। संगठन के प्रमुख आलोक मुखोपाध्याय डायरेक्टर रमण कुमार के दोस्त थे। उन्होंने रमण जी को काम सौंपा। शूटिंग के लिए मैं दिल्ली से और रमण कुमार जी मुंबई से असम पहुंचे। वहां उनका एक जवान असिस्टेंट सारे काम कर रहा था। मैंने फिल्म इंस्टीट्यूट से पढाई की है, लेकिन उसकी शॉट टे किंग से मैं चकित थी। वही लडका अनुराग बसु है। इसके बाद डॉक्यूमेंट्री की एडिटिंग के लिए मैं मुंबई आई। अनुराग तब दिन में सीरियल की शूटिंग करते थे और रात में डाक्यूमेंट्री एडिट करते थे। एक दिन मैंने यूं ही इनसे पूछा कि इन्हें कैसी लडकी पसंद है? इन्होंने कहा, आप जैसी। बाद में मैं मुंबई आई तो मुलाकातें हुई। दोस्ती बढती गई।
अनुराग : गुवाहाटी में हम मिले तो पहली नजर में प्यार जैसी बात नहीं थी। तानी का एटीट्यूड बॉस जैसा था। वह चाहती थीं कि मैं उन्हें रिपोर्ट करूं। एक रात डिनर में मछली बनी थी। मैं ऊहापोह में था कि छुरी-कांटे से कैसे खाऊं। देखा, तानी एक कोने में पालथी मार कर घपाघप मछली खा रही थीं। सोचा, मैं भी वहीं बैठ कर खा लूं। यहीं पहली बातचीत हुई। मुझे संगीत से बहुत प्यार है। जोरहाट में यूनिट की छोटी सी पार्टी में तानी ने गाना गाया। उस रात पहली बार तानी के प्रति प्रेम महसूस किया। ये रवींद्र संगीत गाती हैं। हमने थोडी-थोडी पी रखी थी। रम, रवींद्र संगीत और तानी.., तीनों में किसका असर ज्यादा था, पता नहीं, लेकिन मैंने तानी से नजदीकी महसूस की।
प्रेम और प्रगाढता
अनुराग : इसके बाद तानी दिल्ली गई और मैं मुंबई। एकाध अफेयर में भी फंसा। मगर तानी भी जिंदगी में आती-जाती रहीं। शादी से पहले छह-सात बार ब्रेकअप हो गया। हर बार तय होता कि अब बात नहीं करेंगे, एसएमएस नहीं करेंगे। कुछ दिन बाद ही एसएमएस आता और फिर तानी आ जातीं। मेरे डैडी कहते थे, राम मिलाए जोडी..।
तानी : मैं उम्र में बडी थी। फिर लगा कि अनुराग हर तरह से सीनियर और सुपीरियर हैं। हमारे संबंधों में हमेशा कुछ नया-सरप्राइजिंग होता था। इनके जीवन में कुछ भी शांति से नहीं होता। शादी, बच्चे, उनकी परवरिश, घर जैसे हर मामले में मतभेद रहते हैं। लेकिन एक्साइटमेंट और एनर्जी भी है। अनुराग इमैजिनेटिव हैं। फिल्म का सेट हो या घर का इंटीरियर, आप उनकी कल्पना से दंग रह जाएंगे। उनकी कल्पनाओं में मैं साथ रहती हूं और हर औरत को यह स्थिति अच्छी लगती है।
बदलाव, लगाव और जुडाव
अनुराग : पहले मैं बहुत झूठ बोलता था। साकीनाका में शूटिंग कर रहा हूं तो कह देता कि कोलकाता में हूं। तानी ने कई बार पोल खोल दी। वह युधिष्ठिर से भी ज्यादा सच बोलती हैं। एक बार मैं मेट्रो का नरैशन देने यूटीवी गया था। पहली बार विशेष फिल्म से बाहर निकल रहा था। घबराया सा था। प्रोड्यूसर रोनी स्क्रूवाला ने पूछा कि स्क्रिप्ट कब तक दोगे? तानी ने हंसकर साफ कहा, स्क्रिप्ट तो कभी नहीं मिलेगी। तानी की यह अच्छाई है। इनमें एक वाइब्रेंस है। वह बोझिल नहीं लगतीं। लगता ही नहीं कि शादी को नौ साल हो गए हैं। पहली मुलोकात वाला एक्साइटमेंट अब तक है। कई बार बचकानी हरेकतें करते हैं। परसों ही स्कूटर से भीगते हुए घर गए और मुंबई की बारिश का मजा लिया। कई बार काम का टेंशन लेकर घर लौटता हूं तो तानी कूल करने की कोशिश करती हैं। इनका सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत अच्छा है। हालांकि मुंहफट हैं। बुरे को बुरा कहने में इन्हें देर नहीं लगती। अब हमने प्रोडक्शन भी चालू कर दिया है। उसे तानी ही चलाती हैं।
तानी : अनुराग बहुत अच्छा खाना पकाते हैं। तनाव और थकान हो तो इन्हें कुकिंग में सुकून मिलता है। बच्चे भी इनके हाथ से बना खाना पसंद करते हैं। घर में पहले मम्मी-डैडी दोनों थे। अब डैडी नहीं हैं। मम्मी ही हमारा संबल हैं। अनुराग से पहली मुलोकात हुई थी तो ये मीरा रोड में छोटे से घर में रहते थे। शादी के बाद अनुराग ने सफारी कार खरीदी तो डैडी ने कहा था, अनुराग तुम्हें याद है, हमारा पहला घर इस कार से भी छोटा था। वे भी देसी ेिकस्म के मजाक करते थे। अनुराग ने स्पष्ट कर दिया था कि शादी होगी तो हम सब साथ रहेंगे।
अनुराग : तानी ने घर में पूरी तरह एडजस्ट किया। सोचता हूं, शादी के बाद लडके तो अपने घर में रहते हैं लेकिन लडकी नई फेमिली में आती है। मेरे मन में भी आशंका थी कि पता नहीं तानी कैसे रहेंगी। सोचें तो किसी नए दंपती को मां-बाबा कहना कितना मुश्किल होता है! तानी मम्मी-डैडी को बोदी-दादा बोलती थीं।
तानी : दोनों दिल से इतने जवान थे कि मैं मां-बाबा नहीं कह पाई।
अनुराग : तब तो मैं तुम्हें बुआ कहूं? शादी के बाद भी भैया-भाभी संबोधन ही चला। काफी समय बाद वह मां-बाबा कह पाई। मैंने सोचा था कि शादी के बाद छह महीने छुट्टी लेकर घर पर रहूंगा और तानी और मां-बाबा के बीच पुल का काम करूंगा।
तानी : अच्छा! मुझे तो आज ही पता चला!
अनुराग : हां, मुझे लगता है कि शादी के बाद छह महीने एडजस्टमेंट के हिसाब से नाजुक होते हैं। मैं यही कहूंगा कि सभी को वैवाहिक छुट्टी लेनी चाहिए। आपके घर में बाहर से एक लडकी आती है, वह घर में घुल-मिल सके, इसके लिए उसे सबका सहयोग चाहिए।
तानी : मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे बहुत अच्छी सास मिलीं। हमारे बीच कई बार बहस होती है। वह नाराज भी होती हैं, लेकिन कुछ नहीं कहतीं, बल्कि मैं ही गुस्से में बोल जाती हूं। बाद में गलती भी मानती हूं। देवरानी से भी मेरी छनती है। हालांकि वह 14 साल छोटी है।
परिवार, काम और झगडे
तानी : मेरी परवरिश और पढाई-लिखाई शांति निकेतन में हुई। अनुराग भिलाई और मुंबई में रहे। जीवन अब बहुत बदल गया है। लेकिन अच्छी बात यही है कि इस बदलाव में हमारे मन में अहं कभी नहीं आया। सब साथ-साथ बदलते गए। मां भिलाई में रहतीं थीं। मुंबई आने के बाद उन्होंने भी खुद को बदला। हम किसी भी पृष्ठभूमि से आएं, साथ रहने पर एक-दूसरे से तारतम्य तो बन ही जाता है।
अनुराग : हमें पता भी नहीं चलता कि ऑफिस में कितना ज्यादा घर घुस आता है और घर में ऑफिस दखल करता है। हमारे झगडे काम को लेकर ही ज्यादा होते हैं, व्यक्तिगत झगडे नहीं होते।
तानी : कई बार व्यक्तिगत झगडे भी होते हैं। अनुराग भीगा तौलिया बिस्तर पर छोड देते हैं और यह आदत अभी तक है। अनुराग ने ऐसा एक सीन लाइफ इन अ मेट्रो में डाला था।
अनुराग : ये तो नहीं, लेकिन एक सीन में शिल्पा केके के मोबाइल पर कंगना का एसएमएस पढती है। यह सीन मेरी जिंदगी से था।
तानी : ऐसा तो आज भी होता है..।
स्पेस और स्नेह
अनुराग : मैं अब भी परफेक्ट नहीं हूं। ताक-झांक कर लेता हूं। वैसे हम दोनों ने एक-दूसरे को यह छूट दी है। साथ काम करने के बावजूद हम एक-दूसरे को स्पेस देते हैं। कोशिश करता हूं कि तानी के प्रोडक्शन के एरिया में न जाऊं और तानी डायरेक्शन में अडंगा न डालें। जरूरत पडने पर एक-दूसरे की राय जरूर लेते हैं।
तानी : अनुराग प्रोडक्शन में आए ही इसलिए कि मन की फिल्में बना सकें। मेरी जिम्मेदारी है कि मैं इनकी कल्पना को साकार करने की सुविधाएं जुटा दूं। फिल्म-मेकिंग के सारे क्रिएटिव निर्णय अनुराग लेते हैं। मैंने लंबे समय तक इन्हें असिस्ट किया है। अनुराग सीधी कहानी नहीं कहते, इन्हें पेचदार कहानियां कहने में मजा आता है।
अनुराग : पति-पत्नी काम करें तो बच्चों के लिए वक्त नहीं मिलता। लेकिन तानी ने दोनों बेटियों का खयाल रखा। जब घरेलू जिम्मेदारियां बढती हैं तो वह काम से छुट्टी ले लेती हैं। किसी एक का बच्चों के पास होना जरूरी होता है। मैं तो घर पर रहना ही पसंद करता हूं।
तानी : अनुराग की पुरानी ख्वाहिश है कि वह घर पर रहें। वह बच्चों की देखभाल करें और खाना पकाएं।
अनुराग : सच, अगर मुझे छह महीने के लिए परिवार में तानी का रोल मिले तो मैं खुश रहूंगा। मैं बीवी की भूमिका निभाना चाहता हूं।
तानी : अनुराग इसमें बुरे साबित होंगे। अनुराग : तानी को लगता है कि मैं बच्चियों को स्कूल के लिए तैयार नहीं कर पाऊंगा और उनके बाल नहीं बना पाऊंगा।
शादी, फिल्में और रस्में
अनुराग : शादी जिंदगी का अहम फैसला था। शादी करनी ही थी।
तानी : मुझसे नहीं तो किसी और से करते। तैयारी भी हो गई थी।
अनुराग : तैयारी तो नहीं, मां-बाबा लडकियां जरूर खोज रहे थे।
तानी : एक दिन बाबा ने कहा कि अब शादी कर लो। वे लोग मेरी मां से मिलने गए। तब हम बैंकाक में मर्डर की शूटिंग कर रहे थे।
अनुराग : शादी इसी दौरान हुई थी। 14 दिसंबर का दिन था। शादी की सारी तस्वीरों में मैं फोन पर बात करने में बिजी हूं। उधर शूटिंग चल रही थी और इधर रस्में हो रही थीं। शादी की रात भी शूटिंग पर जाना था। तानी ने जींस पहनी और तैयार हो गई। इस पर मेरी नानी नाराज हुई कि बहू कैसे शूटिंग पर जा सकती है? खैर तानी रुक गई।
तानी : मुझे सजा-धजा कर कमरे में बिठा दिया गया। ये शूटिंग पर चले गए और इनके घरवाले मेरे साथ बैठे रहे। ये सुबह तीन बजे आए।
अनुराग : हम तुरंत बाहर निकल गए। हमारा रोमैंस कार में होता था इसलिए हमने पहली रात भी (सुबह) कार में बिताई। सुबह एक ईरानी रेस्टोरेंट में चाय पी, कीमा खाया और कीमा पैक करवा के लेते आया।
तानी : फिल्म वालों के समय का कोई भरोसा नहीं होता। अनुराग कब आएंगे-जाएंगे, यह निश्चित नहीं है। यह भी जरूरी नहीं है कि हर रात 9 बजे हम इकट्ठे डिनर कर पाएं। मैं इसकी अपेक्षा नहीं करती।
छोटे शहर का असर और बसर
अनुराग : हम दोनों के खून में अपने छोटे शहर बसे हैं। हमने घर में मैट्रो कल्चर नहीं आने दिया। हम कभी ज्यादा पैसे कमाते हैं तो कभी कम। तानी से यही कहता हूं कि हमें मिडिल क्लास लाइफ जीनी है। मैं ट्रेन से सफर करता हूं। चाहता हूं कि बच्चे भी ट्रेन का सफर एंजॉय करें। शहरी सुख-सुविधाओं और इच्छाओं पर हमारा ध्यान नहीं है।
तानी : हम एक जैसे हैं। फिल्मी पार्टियों में भी नहीं जाते हैं।
अनुराग : हम चाहते हैं कि इस ग्लैमर से बच्चे बचे रहें।
तानी : संयुक्त परिवार में रहने के कुछ प्लस पॉइंट्स हैं कि आपको कुछ भी करने से पहले सबके बारे में सोचना होता है।
सुधार और प्यार
तानी : अनुराग में सुधार हो जाए तो अनुराग अनुराग नहीं रहेंगे।
अनुराग : हमें गुस्सा जल्दी आता है। टीन की तरह जल्दी गर्म होते हैं।
तानी : अनुराग अपनी बात कह रहे हैं।
अनुराग : हमारी एक पसंद मिलती है कि हमें खाना बहुत पसंद है। हमने कभी डेटिंग वगैरह नहीं की। ज्यादातर खाना ही खाते रहे।
तानी : अनुराग ने कभी गुलाब तक नहीं भेजा मुझे।
अनुराग : कोई गिफ्ट लाऊं तो तानी शेक से देखती हैं।
तानी : गिफ्ट, कैंडिल लाइट डिनर जैसी चीजों का तुक भी नहीं है।
अनुराग : हम अभी तक प्यार में बच्चे हैं। चाहते हैं कि यह बचपना और पागलपन बना रहे। अभी तक मूर्खतापूर्ण हरेकतें करते हैं।
तानी : हर मामले में अंतिम फैसला अनुराग का ही होता है। फिर भी मैं आखिरी दम तक अपनी राय देती हूं। अब तो मेरी सोच भी अनुराग जैसी हो गई है तो ज्यादा मतभेद या लडाई नहीं होती है।
अनुराग : मैं जिद्दी हूं। अपनी बात मनवा लेता हूं। अड जाता हूं।
तानी : नहीं, ये मुझे समझा लेते हैं। परिवार में एडजस्टमेंट तो करना पडता है। इससे जीवन में ज्यादा मजा आता है।