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जैसी हो वैसी ही रहना

प्रियंका चोपड़ा ने बिना किसी फिल्मी बैकग्राउंड के आज अपनी अलग पहचान बनाई है। कड़ी मेहनत के अलावा इसके पीछे उनकी मां मधु चोपड़ा का मजबूत सपोर्ट भी है

By Edited By: Published: Wed, 22 Mar 2017 02:54 PM (IST)Updated: Wed, 22 Mar 2017 02:54 PM (IST)
जैसी हो वैसी ही रहना

प्रियंका चोपडा ने बिना किसी फिल्मी बैकग्राउंड के आज अपनी अलग पहचान बनाई है। कडी मेहनत के अलावा इसके पीछे उनकी मां मधु चोपडा का मजबूत सपोर्ट भी है, जिन्होंने बेटी को आगे बढाने के लिए अपना मेडिकल प्रोफेशन छोड दिया। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर मां का पैगाम सलेब्रिटी बेटी के नाम।

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प्यारी बेटी प्रियंका आज तुम बडी सलेब्रिटी बन गई हो...लेकिन यह सिर्फ तुम्हारा बाहरी रूप है। तुम भीतर से आज भी मां-पापा की लाडली बच्ची ही हो, जो जिद करती है, ढेर सारी बातें करती है मगर अपनी मेहनत में कहीं कोई कमी नहीं करती। तुम्हारी इन्हीं खूबियों ने आज तुम्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है।

सच कहूं तो हमने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन तुम फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा बन जाओगी। बचपन से तुम्हारी खासियत है कि तुम जो भी काम करती थी, उसमें खुद को झोंक देती थी। तुम पढाई में हमेशा अव्वल रहीं। मुझे याद है, तुम्हारी उम्र सिर्फ 13 साल की थी, जब तुम यूएस में पढाई कर रही थी। तुमने सौ फीसदी माक्र्स हासिल किए। तुम्हें कई अवॉड्र्स भी मिले। स्कूल के दिनों से ही तुम स्क्रिप्ट्स लिखती थीं, कोरियोग्राफी करती थीं...पढाई के साथ-साथ ढेर सारी ऐक्टिविटीज में भाग लेती थीं। तुम हमेशा टॉम बॉय रहीं। बचपन में इतनी शरारती थीं कि बस....।

तुम्हारा छोटा भाई सिद्धार्थ सात वर्ष बाद पैदा हुआ। मुझे आज भी याद है वह दिन..., उन दिनों हम आर्मी क्वॉर्टर के सेकंड फ्लोर पर रहते थे। तुम्हारी उम्र तब लगभग 8 साल रही होगी, तुम्हारा भाई 1 साल का था। बाहर बारिश हो रही थी और तुम मजे से अपने भाई के साथ छज्जे पर पैर लटकाए बैठी थीं। अचानक मैंने तुम्हें इस तरह देखा तो मेरी चीख ही निकल गई, जब तक वहां से तुम्हें खींचकर नीचे नहीं उतारा, मेरी जान सांसत में रही।

इसके बाद हमने तुम्हें बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया। वैसे भी आर्मी लाइफ में ट्रांस्फर बहुत होते रहते थे। तुम्हें थर्ड क्लास में लखनऊ के ला मार्टिनियर गल्र्स स्कूल में एडमिशन मिल गया। वहां से तुम आठवीं कक्षा में वापस आईं लेकिन तब तक तुम सुधर चुकी थीं। हॉस्टल के कडे अनुशासन का तुम पर खासा प्रभाव पडा था। इसके बाद तुम यूएस चली गईं। वहां से लौटीं तो 17 साल की हो गई थीं। तुमने वहां से हाईस्कूल किया था। एक दिन किसी मैगजीन में सौंदर्य प्रतियोगिता का विज्ञापन नजर आया। तुम भाई-बहन की जिद पर यूं ही कुछ पासपोर्ट साइज के फोटोज लगा कर हमने वह फॉर्म भर दिया। डेढ महीने बाद वहां से कॉल आ गया।

...इस तरह मजाक-मजाक में ही तुम्हारी किस्मत तय हो गई। तुम मिस वल्र्ड का खिताब भी जीत गईं। सफलता तुम्हें इसीलिए मिली कि तुमने जो भी किया-दिल से, पूरी मेहनत और लगन से किया। इसीलिए तुम जहां भी रहीं, टॉपर रहीं।

असल लडाई तो इसके बाद थी। मिस वल्र्ड बनते ही तुम्हारी दुनिया बदल गई। तुम्हें फिल्मों के ऑफर्स मिलने लगे मगर परिवार को इसके लिए तैयार करना बहुत मुश्किल था। तुम्हारे पापा के अलावा बडे पापा, फूफा जी... कोई भी इसके लिए तैयार नहीं था कि उनके खानदान की बेटी फिल्मों में काम करे। ...अब तो परिवार की दूसरी बेटियां भी फिल्मों में आ गई हैं पर वह समय अलग था। तुम भी कम जिद्दी नहीं थीं, पापा भी तुम्हारे आगे झुक जाते थे। इस बार भी यही हुआ, पापा ने तुम्हें हां कह दिया। तुमने पापा से प्रॉमिस किया था कि 'पापा, एक मौका हाथ में आया है, जाने दीजिए, सफलता न मिली तो वापस आ जाऊंगी। फिर सबने शर्त रखी कि मुझे तुम्हारे साथ जाना होगा, इसके लिए अपना करियर छोडऩा होगा। वैसे हम दोनों को इसमें कोई हिचक नहीं थी, हम इस बारे में साफ थे कि अगर वहां सफलता न मिली तो वापस आकर अपना काम करेंगे। हमने तुम्हारे लिए कुछ नियम भी बनाए। चाहे कुछ भी हो जाए, शाम 7 बजे के बाद किसी प्रोड्यूसर से मिलने नहीं जाओगी। यूं भी हर जगह मैं तुम्हारे साथ रही।

...तुम्हारे बचपन की न जाने कितनी यादें हैं, जिन्हें सहेज कर रखा है मैंने। तुम्हें देखती हूं तो वह सब याद आने लगता है। एक और बात अभी याद आ रही है। तुम्हें और तुम्हारे पापा को गाने का बहुत शौक रहा है। जब भी किसी कार्यक्रम में तुम्हारे पापा को गाना पडता, तुम्हारी डिमांड होती कि पापा तुम्हें देख कर गाना गाएंगे। अगर कभी ऐसा न हो पाया या गाने के बीच में उन्होंने कहीं और देख लिया तो तुम रूठ जाती थीं कि उन्होंने तुम्हारी ओर देख कर गाना क्यों नहीं गाया। बहुत डिमांडिंग थीं तुम और तुम्हारी सारी मांगें पूरी करने के लिए पापा तैयार रहते थे...।

'नन्ही कली सोने चली, हवा धीरे आना... यह थी तुम्हारी पसंदीदा लोरी, जो अकसर मैं तुम्हें सुनाया करती थी। ...पापा के जाने के बाद तुमने जिस दर्द को अकेले सहा है, उसे मैं समझती हूं। तुम बाहर से हंसती रहीं, अपने दुख को भीतर रख कर तुमने मुझे और अपने छोटे भाई को संभाला। मुझे पता है, कुछ घाव समय के साथ भी नहीं भरते...पापा को खोने का दुख भी ऐसा ही है, जो शायद कभी कम नहीं होगा... इसीलिए तुम इतना काम करती हो कि सोचने का वक्त ही न मिले। तुम्हारा जुनून की हद तक काम में डूबना और हर चुनौती को स्वीकार करना...यही हैं वे गुण, जो मैं समझती हूं अन्य लडकियों को भी सीखने चाहिए। अभी जब तुम यूएस में अपने शो में बिजी हो, तब भी अपने प्रोडक्शन के काम को संभाल रही हो। कुछ समय पहले ही हमने पंजाबी फिल्म 'सरवन प्रोड्यूस की है। टोरंटो में उसकी शानदार लॉन्चिंग का पूरा श्रेय तुम्हें जाता है। भोजपुरी फिल्म के लिए तुम पटना गईं, मराठी फिल्म के लिए गाना गाया। व्यस्तता के बावजूद शाम को तुम प्रोडक्शन का काम देखती हो, मुझसे बातें करती हो। लगता ही नहीं कि तुम मुझसे दूर हो। यूं भी जब तुम मुझे मिस करती हो, टिकट भेज देती हो और फिर हम साथ होते हैं।

अब तुम मच्योर हो गई हो, फिर भी तुमसे कहना चाहती हूं कि तुम जैसी थीं, वैसी ही रहना। इतनी ही सिंपल और सहज....अपनी जडों से जुडी हुई। तुम्हारी परवरिश मध्यवर्गीय मूल्यों के साथ हुई है और तुम चाहे कहीं भी रहो, वे मूल्य हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगे। आज अगर तुम इस मुकाम पर हो तो इसका राज यही है कि किसी भी चीज से तुम कभी डिस्ट्रैक्ट नहीं हुईं।

...मैं चाहती हूं कि अब तुम अपना वर्कलोड कम करो और हेल्थ पर ध्यान दो। तुमने बहुत काम कर लिया है। इस साल तुमने हेल्थ पर ध्यान देने का संकल्प भी लिया है। तुम्हारी टीम तुम्हारे खाने-पीने का पूरा खयाल रखती है, फिर भी मां होने के नाते मुझे तुम्हारी फिक्र होती रहती है। तुम हमेशा ऐसी ही प्यारी, जिद्दी और लाडली बेटी बनी रहो, इसी की कामना करती हूं...। तुम्हारी मां मधु


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