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फासले भी हैं जरूरी

जब बात आजादी की हो तो हमें अपने संबंधों में भी एक-दूसरे को थोड़ा पर्सनल स्पेस जरूर देना चाहिए, तभी रिश्तों की पौध को अच्छी तरह पनपने और बढ़ने का मौका मिलता है।

By Edited By: Published: Wed, 22 Aug 2012 02:51 PM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2012 02:51 PM (IST)
फासले भी हैं जरूरी

अपने हर रिश्ते में गर्मजोशी बनाए रखने के लिए हमें इन बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए :

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दांपत्य जीवन के लिए

अपने जीवनसाथी के लिए केयरिंग होना तो अच्छी बात है, लेकिन जब हम अपने पार्टनर को लेकर पजेसिव होने लगते हैं तो रिश्ते की सहजता खत्म होने लगती है।

कैसे दें आजादी : दांपत्य जीवन की खुशहाली के लिए एक-दूसरे को थोडा पर्सनल स्पेस देना जरूरी है। आप अपने लाइफ पार्टनर को उसकी मनपसंद फिल्में देखने, रुचि से जुडे कार्य करने और दोस्तों के साथ घूमने-फिरने की पूरी आजादी देकर देखें। इससे उसे सच्ची खुशी मिलेगी तो वह भी आपकी खुशियों की खातिर कुछ भी करने को तैयार रहेगा।

जब मामला हो सिब्लिंग्स का

हम भाई-बहन बचपन से साथ पले-बढे होते हैं, लेकिन बडे होने के बाद हमारे जीवन की दिशाएं, सोच और प्राथमिकताएं बदल जाती हैं। हम अपनी जिंदगी को अपने ढंग से चलाना चाहते हैं। दो बहनों का रिश्ता शादी से पहले तक तो बहुत सहज और अपनत्व भरा होता है, पर शादी के बाद जब एक बहन दूसरे के घरेलू मामलों में बहुत ज्यादा रोक-टोक करती है तो इससे उनके आपसी रिश्ते में दरार आ सकती है।

जहां एक से अधिक भाई होते हैं, वहां उन्हें माता-पिता और पैतृक संपत्ति की देखभाल जैसी कई साझा जिम्मेदारियां मिल-बांटकर निभानी होती हैं। ऐसे में किसी भी मुद्दे को लेकर भाइयों के बीच मतभेद की गुंजाइश बनी रहती है। जब बात भाई और बहन के रिश्ते की हो तो शादी के बाद दोनों की जिंदगी के रास्ते बिलकुल अलग हो जाते हैं। अगर बहन भाई के पारिवारिक जीवन में ज्यादा हस्तक्षेप करे या बहन की ससुराल के मामलों में भाई की दखलंदाजी हो तो इससे उनके रिश्ते में दरार पडने की आशंका बढ जाती है।

कैसे दें आजादी : ऐसी स्थिति में हर भाई का यह फर्ज बनता है कि वह अपनी बहन को बेवजह रोकना-टोकना बंद कर दे। इसी तरह बहनों को भी चाहिए कि वे भाई की जासूसी न करें। इसके अलावा अपने भाई या बहन को बिना मांगे कोई सलाह नहीं देनी चाहिए। जहां तक संभव हो एक-दूसरे के दांपत्य जीवन में हस्तक्षेप करने से बचें।

रिश्ता सास-बहू का :

सास-बहू के खट्टे-मीठे रिश्ते के बारे में अकसर यही कहा जाता है कि शादी के समय पति-पत्नी की जन्म कुंडली मिले न मिले, पर सास-बहू की जरूर मिलनी चाहिए। यहां दोनों को अपनी आजादी बहुत प्यारी लगती है। इसीलिए उनके बीच परंपराओं, रीति-रिवाजों, कुकिंग, आउटफिट्स और घर की सजावट जैसे मुद्दों को लेकर अकसर मतभेद बना रहता है।

कैसे दें आजादी : अगर आप सास बन चुकी हैं तो इस बात का खयाल रखें कि आपकी बहू को मनचाहे कपडे पहनने, घूमने-फिरने, खुलकर अपने मन की बात कहने और अपने ढंग से जीने की पूरी आजादी मिले। इसी तरह हर बहू का यह फर्ज बनता है कि वह सास को उनकी हर हॉबी पूरी करने, मनचाहे ढंग से त्योहार मनाने, मनपसंद टीवी प्रोग्राम देखने, अपने ढंग से कुकिंग करने और हमउम्र लोगों से मिलने-जुलने की पूरी आजादी दे। अगर दोनों जीओ और जीने दो के सिद्धांत पर अमल करें तो परिवार में हमेशा सुख-शांति बनी रहेगी।

टीनएजर और पेरेंट्स

टीनएजर्स को पेरेंट्स सबसे बडे दुश्मन नजर आते हैं और वहीं हर माता-पिता को अपने बच्चे सबसे ज्यादा अनुशासनहीन लगते हैं। हालांकि दोनों अपनी जगह पर सही होते हैं, फिर भी पर्सनल स्पेस को लेकर दोनों के बीच अकसर टकराव होता रहता है।

कैसे दें आजादी : अपने बढते बच्चों को अनुशासित जरूर करें, लेकिन उन्हें बेवजह रोकना-टोकना बंद कर दें। इसी तरह बच्चों को भी यह नहीं भूलना चाहिए कि पेरेंट्स को अपने लिए भी क्वॉलिटी टाइम की जरूरत होती है। इसलिए वे घर के कामों में माता-पिता की मदद करें और उनकी भावनाओं को ठेस न पहुंचाएं।

रिश्तेदारी की पेचीदगियां

रिश्तेदारों की भी हमारी जिंदगी में खासी अहमियत होती है, पर कई बार उनकी भलाई के चक्कर में उनके साथ हमारे संबंध खराब हो जाते हैं। दरअसल ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम उन्हें पर्सनल स्पेस नहीं देते।

कैसे दें आजादी : अगर आपको कहीं और से यह मालूम होता है कि आपके रिश्तेदार के परिवार में किसी तरह की परेशानी चल रही है तो अचानक उसके सामने मदद का प्रस्ताव न रखें। अगर वह अपनी परेशानी आपके साथ शेयर करता है तभी उसकी सहायता करें। अगर रिश्तेदार के घर में कोई विवाद हो तो उसके बीच में न पडें। रिश्तेदारों केघरेलू मामलों में बोलने से उनकी भावनाएं आहत हो सकती हैं।

दुनिया दोस्तों की

दोस्ती का रिश्ता सबसे प्यारा और अनूठा होता है, जहां सॉरी और थैंक्यू जैसे शब्दों के लिए कोई जगह नहीं होती। फिर भी कई बार एक-दूसरे को आजादी न देने के कारण इस प्यारे से रिश्ते में भी दरार पड जाती है।

कैसे दें आजादी : दोस्ती में भावनाओं की शेयरिंग अच्छी बात है, पर अपने दोस्त की पर्सनल लाइफ में अनावश्यक ताक-झांक न करें। दोस्त पर आपका पूरा हक है, पर उससे पूछे बिना उसका कोई सामान इस्तेमाल न करें। इसके अलावा उसे उसके परिवार के साथ क्वॉलिटी टाइम बिताने का मौका दें।

(मनोवैज्ञानिक सलाहकार डॉ. अशुम गुप्ता से बातचीत पर आधारित)


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