Gita Seva Trust: नई पीढ़ी को कंप्यूटर पर ही मिल जाएं धार्मिक पुस्तकें और सांस्कृतिक ग्रंथ
दुनिया जो कर रही है उससे हटकर कुछ नया करना चाहिए ताकि लोगों को प्रेरणा मिले। कुछ ऐसी ही मान्यता के साथ धार्मिक पुस्तकें वैदिक संग्रह सांस्कृतिक ग्रंथों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आमजन से रूबरू कराने के काम में जुटे हैं मेघ सिंह चौहान।
रंजन दवे, जोधपुर। अपने जीवन काल के 25 से अधिक वर्षो को गीता प्रेस गोरखपुर को समर्पित किया। गीता प्रेस में रहते हुए जो काम अधूरे रह गए थे या शुरू नहीं हो पाए थे, उन्हें पूरा करने की आकांक्षा लिए 55 साल की उम्र में धार्मिक पुस्तकों को डिजिटलाइज करने का काम शुरू किया है। इसके माध्यम से वे इन पुस्तकों को विश्व पटल पर रखकर नई पीढ़ी तक पहुंचाना चाहते हैं। यह हैं गीता सेवा ट्रस्ट के मेघ सिंह चौहान। उनके इस काम की महत्ता इसी बात से समझी जा सकती है कि कुछ ही समय में साढ़े तीन लाख से अधिक लोग उनके डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़ चुके हैं। सनातन संस्कृति वैदिक ज्ञान ग्रंथों को ऑडियो विजुअल माध्यम से सुन सीख रहे हैं, जिसमें बीस हजार से अधिक विदेशी हैं।
राजस्थान के नागौर जिले के खींवसर कस्बे के नेणाऊ गांव से संबंध रखने वाले मेघ सिंह वर्तमान में जोधपुर में निवास करते हैं। गीता सेवा ट्रस्ट के माध्यम से गीता प्रेस के साथ साथ वैदिक संस्कृति से जुड़े साहित्य को डिजिटल माध्यम से संजो रहे हैं। मेघ सिंह चौहान के अनुसार पृथ्वी पर जब-जब महापुरुषों का पदार्पण हुआ है तब तब उन्होंने उस समय की स्थिति के अनुसार ही समाज को नई दिशा दी है। जिन महापुरुषों ने गीता प्रेस की स्थापना की है उनका जो मार्गदर्शन है वह वर्तमान समाज के लिए अनुकरणीय है। उनके उपदेश समाज के लिए बहुमूल्य एवम आदर्श है।
ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि बदलते दौर के साथ बदलती तकनीक को भी आत्मसात कर समाज को संस्कृति के ज्ञान अर्जन के लिए श्रेष्ठ सामग्री उपलब्ध कराई जाए जो कि नई पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन का काम करे। मेघ सिंह कहते हैं कि देश का युवा सनातन संस्कृति धर्म ग्रंथों के बारे में जानना चाहता है, पढ़ना चाहता है लेकिन उसे कहां पढ़े, कैसे पढ़े? इसको लेकर उसके मन में सवाल है। इसी सवाल के उत्तर के रूप में यह काम हाथ में लिया है।
गीता सेवा एप के जरिये हो रहा है डिजिटिलाइजेशन : गीता प्रेस की स्थापना को लगभग 98 वर्ष हो गए हैं। वर्तमान समय डिजिटल युग का है ,ऐसे समय के अनुसार महापुरुषों के उपदेशों का प्रचार-प्रसार इस माध्यम से करने के लिए गीता सेवा ट्रस्ट की स्थापना की गई। महापुरूषों से जुड़े साहित्य, श्रीमद्भगवद गीता, रामायण, महाभारत आदि वेद पुराण उपनिषद साहित्य का यह डिजिटल कार्य गीता सेवा ऐप के माध्यम से किया जा रहा है। इस ऐप के माध्यम से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगातार आम लोगों की पकड़ बनती जा रही है और जन-जन तक पहुंचाने का एक प्रयास हो रहा हैं। जिससे संतो की दिव्य वाणी का लाभ भावी पीढ़ी को भी मिल सके।
डेढ़ साल तक रिसर्च किया, तब मिली सफलता : गीता सेवा ट्रस्ट के मेघ सिंह चौहान के अनुसार इस सोपान तक पहुंचने के लिए भी कई समस्याओं से गुजरना पड़ा। वर्तमान समय में हर व्यक्ति मोबाइल, टेबलेट, लैपटॉप पर व्यस्त है ऐसे में गीता सेवा ट्रस्ट ने उनको यह साधन सामग्री उन्हीं साधनों के माध्यम से पहुंचाने के विचार को लेकर डिजिटलाइजेशन के विचार को मूर्त रूप देने के लिए तकरीबन डेढ़ साल शोध किया। पहले प्लेटफार्म की समस्या आई, बाद में सपोर्टवि टूल नहीं मिले लेकिन संतों के आशीर्वाद से लगातार काम बनते चले गए और अब गीता सेवा ऐप के माध्यम से आमजन तक पहुंच बनी है। गीता सेवा ट्रस्ट और देश के अलग अलग हिस्सों से जुड़ी ट्रस्ट की टीम पूर्ण से डिजिटलाइजेशन को समíपत है।
क्या है गीता सेवा एप में : बदलते समय के साथ आए तकनीकी परिवर्तन को ध्यान में रख लगातार इस संबंध में सामग्री संकलन, उनको लिखने, ऑडियो विजुअल संग्रहण का कार्य जारी है। गीता पाठ, रामायण पाठ, भागवत कथा महाभारत कथा, गीता तत्व विवेचना, भजन कीर्तन इत्यादि का संग्रहण एक स्थान पर मिल सकेगा। गीता सेवा ट्रस्ट के गीता सेवा ऐप में संग्रहित डिजिटल लिटरेचर में 353 ई पुस्तकें, 2431 ऑडियो और 12809 महापुरुषों के प्रवचन हैं। इसके साथ ही जयदयाल गोयनका, हनुमान प्रसाद पोद्दार, स्वामी रामसुखदास महाराज के प्रवचन उपलब्ध भी है। ओल्ड टेक्नोलॉजी से बाहर निकल नए डिजिटल युग में गीता के प्रचार-प्रसार के साथ संतो के दुर्लभ प्रवचन का संकलन हिंदी अंग्रेजी के साथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध है। मेघ सिंह के अनुसार आमजन की क्षेत्रीय भाषाओं में सरलता और सुगमता को देखते हुए तमिल ,कन्नड़, बांग्ला और मराठी भाषाओं में भी साहित्य को डिजिटल माध्यम से सहेजा जा रहा है।
गीता सेवा ट्रस्ट के आगामी प्रोजेक्ट्स : वर्तमान में गीताप्रेस से प्रकाशित हिंदी पत्रिका कल्याण और अंग्रेजी पत्रिका कल्याण कल्पतरू का प्रथम वर्ष से संकलन का कार्य चल रहा है। आगामी दो-तीन वर्षो की सामग्री अगले दो माह के भीतर लोगों को उपलब्ध कराने का प्रयास है। वहीं रामसुखदास के ऑडियो के साथ अन्य संतों के प्रवचन को भी आम जन तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। 55 वर्षीय मेघ सिंह चौहान चौहान गीता के प्रचार-प्रसार में समर्पित हैं।