राजस्थान में बढ़े महिला उत्पीड़न के मामले, जानें-कितने मामले हुए दर्ज
Rajasthan राजस्थान में इस साल अगस्त तक महिलाओं से दुष्कर्म के 6310 और छेड़छाड़ के चार हजार से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं। नेशनल क्राइम ब्यूरो रिकार्ड के अनुसार साल 2020 में राज्य में दुष्कर्म के 5310 और 2019 में 5997 मामले दर्ज हुए थे।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामले बढ़े हैं। इस साल अगस्त तक महिलाओं से दुष्कर्म के 6310 और छेड़छाड़ के चार हजार से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं। नेशनल क्राइम ब्यूरो रिकार्ड के अनुसार, साल 2020 में राज्य में दुष्कर्म के 5310 और 2019 में 5997 मामले दर्ज हुए थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस साल अगस्त तक 6310 मामले दर्ज हो चुके थे। इस साल अब तक महिलाओं से छेड़छाड़ के चार हजार से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं, लेकिन राज्य की अशोक गहलोत सरकार अब तक महिला आयोग का गठन नहीं कर सकी है। गहलोत सरकार 17 दिसंबर को तीन साल का कार्यकाल पूरा करने जा रही है। महिला संगठन लंबे समय से महिला आयोग के गठन की मांग कर रहे हैं, लेकिन सीएम गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रही खींचतान के कारण महिला आयोग में चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति नहीं हो सकी है।
महिला आयोग में नहीं हो सकी नियुक्त
राज्य की महिला व बाल विकास मंत्री ममता भूपेश का कहना है कि कुछ कारणों से महिला आयोग में चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति नहीं हो सकी है, लेकिन अब शीघ्र ही यह काम पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि महिला सुरक्षा के लिए सरकार कोई कमी नहीं छोड़ रही है। देश में पहली बार पुलिस थानों में एफआइआर दर्ज करना अनिवार्य किया गया है। कोई पीड़ित यदि पुलिस थाने में एफआइआर दर्ज नहीं करा पाता है तो सीधे पुलिस अधीक्षक कार्यालय में भी मामला दर्ज कराया जा सकता है। उधर, महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा ने कहा कि राज्य में महिला आयोग का गठन नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। महिलाओं को न्याय के लिए परेशान होना पड़ रहा है। पुलिस थानों और प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष सुनवाई नहीं होने पर पीड़ित महिलाएं आयोग में पहुंचती हैं, लेकिन राज्य सरकार ने अब तक आयोग बनाया ही नहीं है। ऐसे में साफ पता चलता है कि गहलोत सरकार की प्राथमिकता में महिलाएं नहीं है। साल 2018 में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई थी, लेकिन उसके बाद से महिला आयोग बनाने में कोई दिलचस्पी नही दिखाई गई है। अध्यक्ष व सदस्य नहीं होने से राज्य व जिला स्तर पर महिलाओं की सुनवाई नहीं हो पा रही है।