Rajasthan: 90 नगर निकायों के लिए मतदान कल, मतगणना 31 को
Rajasthan राजस्थान में अजमेर नगर निगम के अतिरिक्त 80 नगर निकायों में होने वाले चुनाव को लेकर प्रदेश में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने पूरी ताकत झोंक रखी है। कांग्रेस में चुनाव की पूरी कमान मंत्रियों व विधायकों के पास है।
जागरण संवाददाता, जयपुर। Rajasthan: राजस्थान में 20 जिलों के 90 नगर निकायों के लिए चुनाव प्रचार का शोर थम गया है। अब बृहस्पतिवार को सुबह आठ से शाम पांच बजे तक मतदान होगा। मतगणना 31 जनवरी को होगी। चुनाव प्रचार थमने के बाद अब प्रत्याशी और उनके समर्थक घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं। प्रदेश में अजमेर नगर निगम के अतिरिक्त 80 नगर निकायों में होने वाले चुनाव को लेकर प्रदेश में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने पूरी ताकत झोंक रखी है। कांग्रेस में चुनाव की पूरी कमान मंत्रियों व विधायकों के पास है। वहीं, भाजपा ने वरिष्ठ नेताओं को चुनाव अभियान का प्रभारी बनाया है। राज्य निर्वाचन विभाग ने चुनाव के दौरान कोविड-19 की गाइडलाइन की पालना के निर्देश जिला कलेक्टरों को दिए हैं।
जिला स्तर पर अधिकारियों को चुनाव पर्यवेक्षक के तौर पर लगाया गया है। निर्वाचन आयुक्त प्रेम सिंह मेहरा ने बताया कि प्रदेश के बांसवाड़ा, उदयपुर, नागौर, अजमेर, बीकानेर, भीलवाड़ा, बूंदी, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, चूरू, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, पाली, राजसमंद, सीकर, टोंक, जालौर, झालावाड़ व नागौर जिलों में 90 निकायों के चुनाव कराए जा रहे हैं। इनमें एक अजमेर नगर निगम, नौ नगर परिषद और 80 नगर पालिका शामिल हैं। मेहरा ने बताया कि इन चुनाव में 30 लाख 28 हजार 544 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें 15 लाख 47 हजार 974 पुरुष, 14 लाख 80 हजार 514 महिला और 56 अन्य मतदाता शामिल हैं। कुल 3035 वार्डों के लिए चनाव हो रहे हैं। इनके लिए 5253 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।
गौरतलब है कि राजस्थान भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। भाजपा आलाकमान की कोशिश के बावजूद नेताओं में मतभेद कम होने के बजाय बढ़ते जा रहे हैं। हालात यहां तक पहुंच गए कि जिला स्तर के पदाधिकारी और कार्यकर्ता नेताओं के गुटों में बट गए हैं। जिस तरह प्रदेश स्तर के नेता आपस में बटे हुए है, उसी तरह उनके समर्थक निचले स्तर तक बट गए। कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के बजाय भाजपा नेताओं में आपसी संघर्ष चरम पर पहुंच गया है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पार्टी की गतिविधियों से अलग-थलग करने के लिहाज से प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने उनके विरोधियों को एकजुट करना शुरू कर दिया है।