भाजपा के टिकट पर वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत चौथी बार चुनाव मैदान में उतरे हैं, बेटे के लिए मांग रहीं वोट
यहां के किसान अफीम के पट्टों को लेकर की गई मदद के लिए मोदी सरकार और वसुंधरा का आभार मानते हैं। वसुंधरा पांच बार यहां से सांसद रहीं और अब विधायक हैं।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। मध्य प्रदेश की सीमा से सटे राजस्थान के झालावाड़-बारां संसदीय क्षेत्र में इस बार मुकाबला काफी रोचक है। यहां से भाजपा के टिकट पर वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत चौथी बार चुनाव मैदान में उतरे हैं। वहीं कांग्रेस ने प्रमोद शर्मा को टिकट दिया है। वह विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शमिल हुए थे।
प्रमोद शर्मा को बाहरी बताते हुए क्षेत्र के कांग्रेसी उनके चुनाव अभियान में सहयोग नहीं कर रहे हैं। वहीं दुष्यंत के चुनाव अभियान की कमान खुद वसुंधरा राजे ने संभाल रखी है। वह चार दिन से झालावाड़-बांरा का दौरा कर रही हैं। गांवों में जाकर अपने बेटे के लिए वोट मांग रही हैं।
भाजपा के कार्यकर्ता भी एकजुट हैं। पहले यह सीट सिर्फ झालावाड़ थी, लेकिन 2008 के परिसीमन में झालावाड़ जिले की चार और बारां जिले की चार विधानसभा सीटों को मिलाकर झालावाड़-बारां संसदीय क्षेत्र का गठन किया गया। यहां अब तक हुए लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा भाजपा ने आठ बार जीत दर्ज की है। वहीं कांग्रेस ने चार, जनसंघ ने दो, भारतीय लोकदल ने एक और जनता पार्टी ने एक बार इस सीट पर कब्जा जमाया है। इस क्षेत्र में 27,34,085 मतदाता हैं। इसमें से 17.65 फीसद एससी और 17.43 फीसद एसटी मतदाता हैं। इस क्षेत्र में गुर्जर मतदाताओं का भी खासा प्रभाव है।
शहरी क्षेत्र में मुस्लिम और वैश्य मतदाताओं की आबादी है। झालावाड़ जिला मध्य प्रदेश के शिवपुरी, नीमच और गुना के निकट होने के कारण वहां की राजनीतिक हवा का असर भी यहां नजर आता है।
अफीम के किसानों के पट्टों के साथ ही राष्ट्रवाद मुख्य मुद्दा:
अफीम के किसानों के पट्टों के साथ ही राष्ट्रवाद यहां मुख्य मुद्दा है। सहरिया (आदिवासी) इलाके में न तो प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार द्वारा की गई किसान कर्ज माफी की चर्चा है और न ही राहुल गांधी की न्याय योजना के बारे में किसी को जानकारी है। यहां के मतदाताओं के बीच सिर्फ राष्ट्रवाद ही मुद्दा है।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के राजनीतिक कार्यक्षेत्र झालावाड़-बांरा में स्थानीय मुद्दों के नाम पर अफीम के किसानों के पट्टों की चर्चा है। इस क्षेत्र के किसान अफीम की खेती करते हैं। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के कार्यकाल में अफीम के पट्टों में कटौती की गई थी, जिससे किसान काफी नाराज थे।
हालांकि, मोदी की सरकार बनते ही वसुंधरा राजे ने अफीम के किसानों की समस्या का समाधान करने के साथ ही सहरियाओं के लिए कुछ योजनाएं भी प्रारंभ कीं, जिसके चलते लोगों में भाजपा के प्रति झुकाव नजर आता है। यहां के किसान अफीम के पट्टों को लेकर की गई मदद के लिए मोदी सरकार और वसुंधरा का आभार मानते हैं। वसुंधरा पांच बार यहां से सांसद रहीं और अब विधायक हैं।