स्टार प्रचारकों की सूची में वसुंधरा को 5वें नंबर पर जगह मिली, गहलोत और पायलट आए एक मंच पर
स्टार प्रचारकों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को 5वें नंबर पर रखा गया है। सूची में पहले नंबर पर अरूण सिंह दूसरे नंबर पर सह प्रभारी भारती बेन तीसरे नंबर पर प्रदेशअध्यक्ष सतीश पूनिया और चौथे नंबर पर विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया को रखा गया है।
जयपुर, जाागरण संवाददाता। राजस्थान भाजपा में खेमेबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच एकता दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। दोनों को दिखावे के लिए साथ लाया जा रहा है। लेकिन उनके समर्थक विधायक और नेताओं के मन नहीं मिल पा रहे। प्रदेश की तीन विधानसभा सीटों पर 17 अप्रैल को हो रहे उप चुनाव के लिए भाजपा ने पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची तय की है।
स्टार प्रचारकों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को 5वें नंबर पर रखा गया है। सूची में पहले नंबर पर प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव अरूण सिंह, दूसरे नंबर पर सह प्रभारी भारती बेन, तीसरे नंबर पर प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और चौथे नंबर पर विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया को रखा गया है। प्रदेश से केंद्र में तीन मंत्रियों गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन लाल मेघवाल और कैलाश चौधरी के साथ ही राष्ट्रीय महामंत्री भूपेंद्र यादव व ओमप्रकाश माथुर को भी रखा गया है। 30 नेताओं की सूची में वसुंधरा के समर्थकों में से एकमात्र पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी को रखा गया है।
वहीं उनके कट्टर विरोधियों को सूची में जगह दी गई है। इनमें राष्ट्रीय मंत्री अलका गुर्जर, राज्यसभा सदस्य किरोड़ी लाल मीणा, विधायक राजेंद्र राठौड़, मदन दिलावर और जोगेश्वर गर्ग शामिल है। एक दिन पहले मंगलवार को तीनों सीटों पर प्रत्याशियों के नामांकन-पत्र दाखिल करने के बाद हुई सभा में वसुंधरा नहीं पहुंची, जबकि उनके विरोधियों के हाथों में पूरी कमान रही। सभाओं में लगे होर्डिंग्स में 10 नेताओं के फोटो लगाए गए, लेकिन वसुंधरा का नहीं लगाया गया। उल्लेखनीय है कि पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनाव में भी वसुंधरा को किसी भी राज्य में चुनाव प्रचार अभियान की जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई। जबकि अधिकांश राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्रियों व वरिष्ठ नेताओं को चुनाव प्रचार के लिए अलग-अलग राज्यों में भेजा गया है। प्रदेश में पिछले दो साल से पार्टी की गतिविधियों से उन्हे लगभग दरकिनार किया जा रहा है। पूनिया और उनके समर्थक फैसले लेने में ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ रहे, जिससे वसुंधरा को राजनीतिक नुकसान नहीं हो।
उधर, कांग्रेस में काफी कोशिश के बाद अजय माकन सीएम गहलोत व पायलट को एकमंच पर लाने में तो सफल रहे, लेकिन दोनों के दिल नहीं मिले। तीन में से दो सीटों पर गुर्जर वोटों की बहुलता को देखते हुए सीएम व पार्टी नेतृत्व को पायलट को साथ रखना जरूरी हो गया है। इस वजह से ही गहलोत और माकन पायलट को अपने साथ लेकर मंगलवार को सभाओं में गए। हालांकि दोनों के समर्थक विधायक व नेता एक-दूसरे से दूर ही नजर आ रहे हैं। गहलोेत ने पायलट समर्थकों को चुनाव अभियान की जिम्मेदारी नहीं सौंपी।