Rajasthan: मां-बेटी हत्याकांड मामले में दो आरोपियों को फांसी की सजा
मां-बेटी हत्याकांड मामले में कोर्ट ने दो आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है आरोपी मस्तराम मीणा और लोकेश मीणा पर फांसी की सजा के साथ 80 हजार रुपये जुर्माना भी लगा है।
जयपुर, जेएनएन। राजस्थान के कोटा के भीमंगज मंडी इलाके में 13 माह पहले हुए मां-बेटी हत्याकांड मामले में कोर्ट ने दो आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने अपने फैसले में इसे दुर्लभतम मामला बताते हुए कहा है कि ऐसे लोगों को समाज अपने बीच सहन नहीं कर सकता।
हत्याकांड प्रकरण में कोटा की पॉक्सो क्रम संख्या 4 के विशिष्ट न्यायाधीश अजय कुमार शर्मा ने मुख्य आरोपी मस्तराम मीणा और उसके साथी लोकेश मीणा को फांसी की सजा के साथ ही 80 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने 172 पेज के फैसले में टिप्पणी करते हुए लिखा है की ये मामला समाज की सामूहिक चेतना से सम्बंधित है। जिस तरह का यह घृणित कार्य किया गया है, वह नरमी के रुख लायक नहीं है। इस अपराध से पूरे समाज की रुह सिहर गई। ये पूरे समाज के लिए खतरा था। समाज हर पल हर क्षण की दरिंदगी से सुरक्षा चाहता है।
समाज ऐसे व्यक्ति को समाज के बीच देखना नहीं चाहता। यदि आरोपियों को मृत्युदंड के अलावा और कोई भी सजा दी जाती है तो वह समाज के लिए गंभीर खतरा होगा। विशिष्ट न्यायाधीश अजय कुमार शर्मा ने फैसले में लिखा कि आरोपियों की सजा मृत्युदंड के संबंध में वारंट प्राप्त होने पर मृत्युदंड की पालना में आरोपियों की गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए जब तक उनकी मृत्यु न हो जाए।
क्या है मामला
मामले के अनुसार 31 जनवरी 2019 को आरोपी मस्तराम मीणा ने अपने दोस्त के साथ मिलकर कोटा के स्टेशन इलाके में ज्वैलर्स के यहां ज्वैलरी और नकदी सहित 1 करोड़ की लूट की। लूटपाट के दौरान आरोपियों ने बेटी के साथ दुष्कर्म किया और फिर मां बेटी दोनों की नृशंस हत्या कर दी।
हत्याकांड के पांच दिन बाद 4 फरवरी को आरोपी मस्तराम और उसके दोस्त लोकेश मीणा को उसके गांव बूंदी के जिले तिरथ से पकड़ा गया था। आरोपी मस्तराम मीणा ज्वैलर्स के यहां नौकर था। नौकरी छोड़ने के कुछ महिनों बाद उसे इस वारदात को अंजाम दिया था। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद से मामला पॉक्सो कोर्ट संख्या 4 में विचाराधीन था। करीब 48 गवाहों के बयानों के बाद आज आरोपी मस्तराम मीणा और लोकेश मीणा को फांसी की सजा सुनाने के साथ लग अलग धाराओं में भी कोर्ट ने दोषी मानते हुए सजा सुनाई है। इसके साथ ही 80 - 80 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया है। इस हत्याकांड के कारण अभिभाषक परिषद के आह्वान पर वकीलों ने इस मामले में आरोपियों की ओर से पैरवी नहीं की। विधिक सहायता की ओर से मनोज चांचोदिया को नियुक्त किया था।
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