गुजरात सीमा पर गांवों में आदिवासी तंगहाली में, लेकिन शराब बिक रही करोड़ों की
दक्षिणी राजस्थान की सीमा से सटे दर्जनों छोटे-बड़े गांवों में रहने वाले आदिवासी तंगहाली में जीवन जी रहे हैं लेकिन यहां शराब की दुकानों का लेखा-जोखा देख कर हैरानी होती है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। दक्षिणी राजस्थान की सीमा से सटे दर्जनों छोटे-बड़े गांवों में रहने वाले आदिवासी तंगहाली में जीवन जी रहे हैं, लेकिन यहां शराब की दुकानों का लेखा-जोखा देख कर हैरानी होती है। आबकारी विभाग के आंकड़ों के अनुसार इन गांवों में हर साल तीन से साढ़े तीन करोड़ की शराब बिक रही है। हकीकत में यह शराब आदिवासी नहीं बल्कि गांवों से सटे गुजरात सीमा पार के लोग पीते हैं, जिन्हे शराब इन दुकानों से सीधे तस्करी कर के पहुंचाई जाती है।
गुजरात में शराब बंदी होने का फायदा राजस्थान के आदिवासी इलाकों के शराब विक्रेताओं को हो रहा है । गुजरात सीमा से सटे राजस्थान के बलीचा, भमटावाड़ा, पहाड़ा, डैया, अंबासा, कोटड़ा, माद, मामेर, मांडवा, भीकवास, हर्षावाड़, गुड़ा, पाटिया, गोगुंदा, खेरवाड़ा और गिर्वा आदि ऐसे कई गांव एवं कस्बे हैं जिनमें शराब की दुकानों से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में तस्करी कर के शराब गुजरात भेजी जाती है । इन गांवों में आदिवासी झोंपड़ियों (टापरों) में रहते हैं ।
अधिकांश आदिवासियों ने अपने टापरे किराए पर दे रखें है । अपने टापरे शराब विक्रेताओं को किराए पर देकर या तो खुद गुजरात में मजदूरी के लिए चले गए या फिर कहीं दूसरे स्थान पर जाकर बस गए ।इन टापरों में तस्कर शराब को स्टॉक और कटिंग का काम करते हैं ।
यहां से लग्जरी कारों अथवा सामान ले जा रहे ट्रकों में दबाकर शराब गुजरात भेजी जाती है । गुजरात सीमा से मात्र डेढ़ किलोमीटर दूर राजस्थान के डैया गांव में आबकारी विभाग ने शराब की दुकान 2.41 करोड़ में ठेकेदार को नीलाम की है। यह राजस्थान की सबसे महंगी दुकान है। यहां कच्ची पगडंडी के रास्ते शराब अवैध रूप से गुजरात में पहुचाई जाती है। आबकारी विभाग और पुलिस की सख्ती के बावजूद तस्करों पर लगाम नहीं लग पा रही।
पेट भरना मुश्किल, लेकिन दुकानों पर बिक रही महंगी शराब
गुजरात सीमा से सटे राजस्थान के गांवों में रह रहे आदिवासियों की हालत बेहद खराब है। इनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि ये दोनों समय भोजन कर सकें,लेकिन इन गांवों में शराब के दुकानदार महंगी ब्रांड की शराब बेच रहे हैं । गुजरात सीमा से सटी कंपोजिट रूप में उठी शराब की दुकानों पर आबकारी विभाग की ओर से तय देशी शराब दुकानदारों को हर हाल में उठानी पड़ती है ।
देशी शराब की बिक्री पर उसका कोई जोर नहीं रहता है । हस इस शराब को गांवों में बेचता है । इसमें दुकानदारों को कई बार घाटा भी होता है,लेकिन इसकी भरपाई वे अंग्रेजी शराब से करते हैं । दुकानदार तस्करों के माध्यम से अंग्रेजी शराब गुजरात पहुंचाते हैं ।
राज्य में वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव निरंजन आर्य का कहना है कि शराब तस्करों के खिलाफ आबकारी विभाग और पुलिस लगातार कार्रवाई करते रहते हैं,हमारे यहां सख्ती है लेकिन गुजरात सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी होगी ।