सरिस्का में बाघिन का शिकार, सवा लाख में बेची खाल
टाइगर रिजर्व रणथम्भौर और सरिस्का एक बार फिर शिकारियों के निशाने पर हैं।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान के दो प्रमुख टाइगर रिजर्व रणथम्भौर और सरिस्का एक बार फिर शिकारियों के निशाने पर हैं। सरिस्का में बाघिन एसटी-5 का शिकार किया गया है। इसके बाद उसकी खाल दिल्ली और मांस गुरुग्राम में बेच दिया गया। उधर, रणथम्भौर में चार शावक पिछले छह माह से गायब हैं। वन विभाग की कोशिशों के बावजूद लापता शावकों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है। अब इन बाघों के भी शिकार की आशंका जताई जाने लगी है ।
सरिस्का में बाघिन एसटी-5 का शिकार किया गया है। सरिस्का से पकड़े गए आरोपित शिकारी सैफुद्दीन ने बताया कि उसने अपने चार साथियों संग मिलकर इसी वर्ष 25 फरवरी को सरिस्का की सालोका चौकी इलाके में बंदूक से बाघिन का शिकार किया था। उसने बाघिन की खाल को सवा लाख रुपये में दिल्ली में और मांस को गुरुग्राम में बेचने की बात कुबूली है। यह बाघिन कई दिनों से गायब थी। वन विभाग ने शिकारी को अलवर एसीजेएम कोर्ट प्रथम के समक्ष पेश कर पूछताछ के लिए सोमवार तक की रिमांड लिया है।
अभी तक हुई पूछताछ में शिकारी ने यह भी स्वीकार किया है कि सरिस्का क्षेत्र में उसने सांभर और नीलगाय का शिकार भी किया है। उल्लेखनीय है कि 2004 में शिकार के कारण ही सरिस्का पूरी तरह से बाघ विहीन हो चुका था, लेकिन दो साल से इसे फिर से विकसित करने की कवायद शुरू की गई थी ।
उधर, रणथम्भौर सेंचूरी में एक के बाद एक चार बाघ गायब होने की बात सामने आई है । सूत्रों के मुताबिक बाधिन टी-61 के दो शावक और बाघिन टी-83 के दो शावक लापता हैं। वन विभाग के अधिकारी इनमें से टी-61 के एक शावक के बूंदी के रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में होने की बात कह रहे हैं, हालांकि इसके सुबूत नहीं दे रहे। तीन अन्य शावकों को बारे में वन विभाग के अधिकारी टालमटोल कर रहे हैं। हालांकि, गुपचुप तरीके से इन्हें तलाशने के प्रयास किए जा रहे हैं । इनकी तलाश के लिए विशेष टीम बनाई गई है। इनकी ट्रैकिंग के लिए कैमरे लगाए गए हैं।
ये बाघ पहले से लापता
रणथम्भौर से कालू-धोलू, टी-78 और टी-77 पहले से ही गायब हैं। इनकी खोज काफी समय से की जा रही है ।
मंत्री ने दिए तलाशी के निर्देश
वनमंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने गायब बाघों की तलाशी का अभियान तेज करने के निर्देश दिए हैं।
शावक कई दिनों से नजर नहीं आ रहे हैं। इनकी ट्रैकिंग के लिए कमैरे लगाए गए हैं।
-वाईके साहू, सीसीएफ, रणथम्भौर बाघ परियोजना।