करोड़ों का कर्ज ले चुकी राजस्थान सरकार के लिए चुनौती पूर्ण होगा यह साल, मदद के लिए केंद्र पर निर्भरता बढ़ेगी
गहलोत सरकार को वित्तीय मदद के लिए केंद्र सरकार पर निर्भर रहना पड़ेगा। केंद्र सरकार पहले से ही जीएसटी की हिस्सा राशि नहीं दे रही है। अब अगर केंद्र सरकार मदद करने में शिथिलता दिखाती है तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था गड़बड़ा जाएगी।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार का तीसरा साल( वित्तीय वर्ष 2021-22) आर्थिक रूप से काफी चुनौतिपूर्ण रहने वाला है। पहले से ही 3.79 करोड़ के कर्जभार से जूझ रही गहलोेत सरकार ने सरकारी खजाना भरने के लिए इस बार बजट में कोई नया टैक्स नहीं लगाने का फैसला लिया है। सरकार बाजार से अब तक 40 हजार करोड़ उधार ले चुकी है।
ऐसे में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौति वित्तीय प्रबंधन की होगी। हालात यह है कि सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने और आवश्यक खर्च चलाने के लिए ही बाजार से उधार लेना पड़ रहा है। अब बाजार से अधिक उधार नहीं लिया जा सकेगा। ऐसे में गहलोत सरकार को वित्तीय मदद के लिए केंद्र सरकार पर निर्भर रहना पड़ेगा। केंद्र सरकार पहले से ही जीएसटी की हिस्सा राशि नहीं दे रही है। अब अगर केंद्र सरकार मदद करने में शिथिलता दिखाती है तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था गड़बड़ा जाएगी। युवाओं को 50 हजार सरकारी नौकरी, प्रत्येक राजस्थानी का हेल्थ बीमा, अस्पताल, सड़क और शिक्षा का वादा कैसे पूरा हो सकेगा।
हालांकि सीएम गहलोत का कहना है कि जादुगरी से वित्तीय प्रबंधन और केंद्र सरकार द्वारा तय की गई अतिरिक्त लोन सीमा का उपयोग किया जाएगा। सरकारी सूत्रों के अनुसार पिछले साल में केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि में 14 हजार 94 लाख की कमी हुई है। केंद्र से मदद नहीं मिलने और चुनावी वादों को पूरा करने के बीच फंसी सरकार की पूरी अर्थव्यवस्था की उधार खाते से चल रही है। सरकार अब तक 40 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी। यह पिछले साल की तुलना में करीब 14 हजार करोड़ ज्यादा है। पिछले बजट में सरकार ने राजकोषीय घाटे का अनुमान 33,922 करोड़ रखा था। वह बढ़कर 40,190 करोड़ हो गया। अधिकारियों का मानना है कि वित्तीय वर्ष पूरा होने तक राजकोषीय घाटा 47 हजार 652 करोड़ 77 लाख पार हो जाएगा।