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राजस्थान विधानसभा के अजीब संयोग की फिर चर्चा, कभी एक साथ नहीं बैठे सभी 200 विधायक

वसुंधरा राजे सरकार में मुख्य सचेतक रहे कालूलाल गुर्जर ने विधानसभा परिसर में भूत का साया बताया था। उन्होंने पूरे परिसर को गंगाजल से धूलवाने और पूजा-पाठ कराने की सलाह दी थी। तत्कालीन विधायक हबीबुर्रहमान ने एकसाथ 200 विधायकों के नहीं बैठने का कारण भूतों को बताया था।

By PRITI JHAEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 12:49 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 12:49 PM (IST)
राजस्थान विधानसभा के अजीब संयोग की फिर चर्चा, कभी एक साथ नहीं बैठे सभी 200 विधायक
राजस्थान विधानसभा भवन में पिछले 20 साल से सभी 200 विधायकों के एकसाथ पांच साल नहीं बैठने का संयोग है।

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। चार माह में राजस्थान के चार विधायकों की मौत के बाद राज्य विधानसभा में सभी 200 विधायकों के एकसाथ नहीं बैठने को लेकर फिर राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी है। फरवरी के दूसरे सप्ताह से विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने वाला है। इस दौरान यह मुद्दा उठ सकता है।

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दरअसल, राज्य विधानसभा भवन में पिछले 20 साल से सभी 200 विधायकों के एकसाथ पांच साल नहीं बैठने का संयोग चला आ रहा है। पिछले साल अक्टूबर माह में कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी, नवंबर माह में अशोक गहलोत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री भंवरलाल मेघवाल और दिसंबर में भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी की बीमारी के कारण मौत हुई। दो दिन पहले कांग्रेस विधायक कांग्रेस विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत का निधन हो गया। इस तरह चार माह में चार विधायकों का निधन हुआ। 200 सदस्यीय विधानसभा में अब विधायकों की संख्या 196 रह गई। करीब दो साल पहले 2018 में विधानसभा चुनाव हुए थे। उसके बाद दो विधायक हनुमान बेनीवाल व नरेंद्र खीचड़ लोकसभा चुनाव लड़कर संसद में पहुंचे थे।

इस कारण उनके विधानसभा क्षेत्रों खींवसर और मंडावा में उप चुनाव हुए थे। इससे पहले पिछली विधानसभा में वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल के दौरान भाजपा विधायक धर्मपाल चौधरी,कीर्ति कुमारी व कल्याण सिंह का निधन हुआ तो उप चुनाव कराए गए थे। वहीं 15 वीं विधानसभा में चुनाव प्रक्रिया के दौरान बसपा उम्मीदवार का निधन हो गया था। इस कारण वहां भी आम चुनाव के बाद अलग से चुनाव कराना पड़ा था। इससे पहले 2013 में भी चूरू सीट पर एक प्रत्याशी की मौत के कारण 200 के बजाय 199 सीटों पर ही चुनाव हुए थे, एक पर बाद में चुनाव कराया गया। एक बार तो एेसा संयोग हुआ कि चार विधायकों को अलग-अलग कारणों से जेल जाना पड़ा। अब चारों विधायकों के निधन के कारण विधायकों में भय व्याप्त होता जा रहा है। पिछले सालों में विधायकों ने विधानसभा परिसर की गंगाजल से शुद्धि कराने, हवन-पूजन कराने और वास्तु विशेषज्ञ की से राय लेने की सलाह अध्यक्ष को दी है।

भाजपा विधायक दल के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने तो एक बार जांच कमेटी बनाने तक की मांग कर दी थी। पिछली वसुंधरा राजे सरकार में मुख्य सचेतक रहे कालूलाल गुर्जर ने विधानसभा परिसर में भूत का साया बताया था। उन्होंने पूरे परिसर को गंगाजल से धूलवाने और पूजा-पाठ कराने की सलाह दी थी। तत्कालीन विधायक हबीबुर्रहमान ने एकसाथ 200 विधायकों के नहीं बैठने का कारण भूतों को बताया था।

यह है इतिहास

साल, 2000 तक विधानसभा जयपुर की चारदीवारी के अंदर रियासतकालीन टाउन हॉल में चलती थी। साल, 2001 में ज्योतिनगर में नया भवन बनकर तैयार हुआ तो विधानसभा यहां शिफ्ट हो गई। 25 फरवरी,2001 को तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर.नारायण को को उद्धाटन करना था,लेकिन वे बीमार हो गए। विधानसभा के नये भवन में शिफ्ट होने के बाद से एक संयोग चला आ रहा है कि पूरे पांच साल तक सभी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ सके। विधानसभा शिफ्ट होने के तत्काल बाद कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भीमसेन चौधरी व भीखा भाई और फिर इसके बाद साल,2002 में जगत सिंह दायमा व किशन मोटवानी की मौत हुई थी।


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