Rajasthan Coronavirus Effect: कोरोना का क्वारंटीन लापता लोगों को पहुंचा रहा है घर
कोरोना का क्वारंटीन लापता लोगों को अपने परिजनों से मिलवा रहा है और बेसहारा लोगों को सहारा दिलवा रहा है।
जयपुर, मनीष गोधा। कोरोना संक्रमण एक बीमारी के रूप में भले ही कहर बरपा रहा है, लेकिन कोरोना का क्वारंटीन लापता लोगों को अपने परिजनों से मिलवा रहा है और बेसहारा लोगों को सहारा दिलवा रहा है। ऐसे कुछ मामले राजस्थान के श्रीगंगानगर और बारां जिले में सामने आए है, जहां महीनों से लापता घूम रहे कुछ लोगों को लाॅकडाउन के दौरान पुलिस ने पकड़ा। उनकी स्वास्थ्य जांच के लिए उन्हें क्वारंटीन किया गया और बाद में वहां अधिकारियों ने प्रयास किए तो किसी को अपने परिजन तो किसी सरकार का सहारा मिल गया।
तमिलनाडु के कृष्णन और बिहार के अरमान को मिले परिजन-
श्रीगंगानगर में मानसिक रूप से परेशान तमिलनाडु का एक आदमी कृष्णन पिछले पांच-छह माह से बेसहारा घूम रहा था। बताया जा रहा है कि यह तिरूचिरापल्ली से श्रीगंगानगर आने वाली एक ट्रेन में बैठ कर आया था। लाॅकडाउन में पुलिस ने इसे सड़क पर घूमते देखा तो स्वास्थ्य जांच के लिए भेज दिया। कृष्णन दूसरे राज्य का था इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने जांच के बाद क्वारंटीन कर दिया। यहां के जिला कलक्टर ने शिवप्रसाद एम. नकाते को इस के बारे में पता चला तो उन्होंने इसे घर भेजने के लिए एक टीम को लगाया। तमिल जानने वाले व्यक्त्ति को बुला कर इसके परिवार की जानकरी हासिल की गई।
तमिलनाडु के अधिकारियों से सम्पर्क कर इसके घर वालों का मोबाइल नम्बर हासिल किया गया और मंगलवार को उसकी परिजनों से वीडियो कॉल पर बात करवा दी गई। अब जल्द ही उसके परिजन यहां आकर ले जाएंगे। कृष्णन की पत्नी और बच्चे भी है।
वीडियो कॉल के दौरान खुशी के आंसू लिए कृष्णन की पत्नी ने यहां के लोगों का शुक्रिया अदा किया। इससे पहले भी 10 अप्रेल को यहीं एक 25 वर्षीय युवक अरमान भटकता हुआ मिला था। यह भी पांच-छह महीने से लापता था और यह बिहार का रहने वाला है। इसे क्वारंटीन किया गया और नाम पता पूछा तो ज्यादा कुछ बता नहीं पाया। गांव का नाम बताया तो यहां के लोगों ने बिहार की मतदाता सूची में पहले गांव ढूंढा और फिर गांव के बीएलओ से सम्पर्क किया। बीएलओ ने परिजनों से सम्पर्क किया। वीडियो काॅल के जरिए बात कराई। अब स्थिति सामान्य होने के बाद परिजन इसे यहां से ले जाएंगे।
मनसिक विमंदित मुस्तफा और नेत्रहीन रामजीवन को मिली सरकारी सहायता
वहीं बारां में कोरोना का क्वारंटीन एक मानसिक विमंदित और एक नेत्रहीन के लिए सरकारी सहाया प्राप्त करने का जरिया बन गया। ये दोनों भी पुलिस को लाॅकडाउन के दौरान बारां शहर में ऐसे ही घूमते हुए मिल गए थे। यहां के जिला कलक्टर इंद्र सिंह राव ने बताया कि मानसिक विमंदित मुस्तफा को जब पुलिस ने पकड़ा तो वह अपने बारे में ज्यादा जानकारी नही दे सका और सिर्फ ये बता पाया कि वह पश्चिम बंगाल का है। इस पर मुस्तफा को राजकीय अस्पताल के कोविड-19 वार्ड में आईसोलेशन में भेज दिया गया।
मुस्तफा की जब दो जांच रिपोर्ट नेगेटिव आ गई तो उसे अस्पताल से बारां में संचालित मानसिक विमंदित गृह संस्थान में भेज दिया गया। अब वह यहां आराम से रह पा रहा है। राव ने बताया कि यदि मुस्तफा से पश्चिम बंगाल में उसके परिवारजनों व घर के संबंध में जानकारी प्राप्त हो जाएगी तो उसे उसके परिवार के पास भेज दिया जाएगा।
कुछ इसी तरह की स्थिति नेत्रहीन रामजीवन की थी। परिवारजनों ने उसे बेसहारा छोड़ दिया और वह भी सड़कों पर इसी तरह घूम रहा था। उसे अस्पताल ला कर जांच की गई तो रिपोर्ट नेगेटिव आई। रामजीवन से पूछ कर उसके पजिरनों से सम्पर्क किया गया तो परिजनों ने उससे पूरी तरह किनारा कर लिया। इस पर रामजीवन को सरकारी वृद्धाश्रम भेज दिया गया।