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राजस्थान के नेताओं में खींचतान खत्म कराने का जिम्मा राष्ट्रीय नेतृत्व ने संभाला

राष्ट्रीय महामंत्री अरूण सिंह पिछले 3 माह से नेताओं को एकजुट करने की कोशिश में जुटे हैं। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजेपार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित अन्य नेताओं के बीच चल रही गुटबाजी खत्म होने के स्थान पर बढ़ रही है।

By Priti JhaEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 09:49 AM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 09:49 AM (IST)
राजस्थान के नेताओं में खींचतान खत्म कराने का जिम्मा राष्ट्रीय नेतृत्व ने संभाला
राजस्थान के नेताओं में खींचतान खत्म कराने का जिम्मा राष्ट्रीय नेतृत्व ने संभाला

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान भाजपा के नेताओं में चल रही आंतरिक खींचतान खत्म कराने का जिम्मा पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने लिया है। राष्ट्रीय महामंत्री अरूण सिंह पिछले 3 माह से नेताओं को एकजुट करने की कोशिश में जुटे हैं। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे,पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित अन्य नेताओं के बीच चल रही गुटबाजी खत्म होने के स्थान पर बढ़ रही है।

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ऐसे में अब राष्ट्रीय संगठन बी.एल.संतोष 21 और 22 सितंबर को उदयपुर के कुंभलगढ़ में राज्य के वरिष्ठ नेताओं के चिंतन शिविर को संबोधित करेंगे। कुंभलगढ़ में होने वाले इस चिंतन शिविर में राज्य के नेताओं की एकजुटता और संगठन के विस्तार को लेकर रणनीति बनाई जाएगी। संगठन को मंडल से प्रदेश स्तर तक मजबूत करने,संगठन से दूर रहकर काम कर रहे पुराने कार्यकर्ताओं को फिर से सक्रिय करने,जिला परिषद और प्रधान के चुनाव में पार्टी को मिली सफलता और असफलता पर चर्चा होगी। इसके साथ ही वल्लभनगर और धरियावद विधानसभा सीट पर हो रहे उप चुनाव की रणनीति बनाई जाएगी। संभावित उम्मीदवारों के नामों पर मंथन भी चिंतन शिविर में होगा।

उल्लेखनीय है कि काफी लंबे समय से वसुंधरा,पूनिया और शेखावत सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं के बीच जबरदस्त खींचतान चल रही है। इन नेताओं के समर्थक लगातार राष्ट्रीय नेतृत्व के समक्ष एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत करने में जुटे हैं । चिंतन शिविर में प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं के सामूहिक रूप से दौरे करने पर भी विचार होगा ।

जानकारी के अनुसार पार्टी चाहती है कि इस बार प्रदेश का कोई भी नेता अकेला राजनीतिक दौरे नहीं करे । सभी नेता सामूहिक दौरे करे,जिससे कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच एकजुटता का संदेश जाएगा। नेताओं के अलग-अलग दौरे करने से पार्टी को लाभ के स्थान पर नुकसान हो सकता है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों अरूण सिंह ने पार्टी लाइन से बाहर जाकर सार्वजनिक रूप से बयानबाजी करने वाले नेताओं को हद में रहने की हिदायत दी थी । 


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