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‘के-9 वज्रा थंडर’ गन ने दागे अचूक निशाने, 50 किमी के दायरे में छिपा दुश्मन नहीं बचेगा

के-9 वज्रा-टी में मल्टीपल राउंड सिस्टम है, जिसके तहत यह 15 सैकंड में 3 राउंड फायर करेगी।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 28 Sep 2018 02:31 PM (IST)Updated: Fri, 28 Sep 2018 02:31 PM (IST)
‘के-9 वज्रा थंडर’ गन ने दागे अचूक निशाने, 50 किमी के दायरे में छिपा दुश्मन नहीं बचेगा
‘के-9 वज्रा थंडर’ गन ने दागे अचूक निशाने, 50 किमी के दायरे में छिपा दुश्मन नहीं बचेगा

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। भारतीय सेना स्वदेशी हथियारों से अपनी मारक क्षमता को और अधिक मजबूत करने में जुटी हुई है। स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल कर नए-नए हथियार बनाने के क्रम में पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में ‘के-9 वज्रा थंडर गन’ का सफल परीक्षण किया जा रहा है।

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इस गन के जरिये अचूक निशाने भेदे गए। परीक्षण के दौरान सेना और एलएंडटी के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहते है। यह गन जल्द ही भारतीय सेना के बेड़े में शामिल होगी। कई खूबियों से लैस यह गन दुश्मन को चारों दिशाओं में घेर कर 40 से 50 किमी तक मार कर सकती है। इस अत्याधुनिक गन में केमिकल और न्यूक्लियर डिटेक्शन सिस्टम के साथ जीपीएस नेवीगेशन सिस्टम भी लगा है।

सूत्रों के अनुसार भारतीय सेना में शामिल करने के बाद इस गन को पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में तैनात किया जाएगा। सैन्य सूत्रों के अनुसार अभी तक बनाई गई तोपों से एक निश्चित स्थान पर खड़े होकर वहां से निशाना साधकर दुश्मन पर गोला दागा जाता था। इस प्रक्रिया में काफी वक्त लगता था। इस बीच कई बार दुश्मन अपनी पोजिशन ही बदल लेता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

एलएंडटी कंपनी ने लंबी दूरी की ‘के-9 वज्रा-टी’ नामक एक ऐसी गन तैयार की है, जो किसी भी दिशा या कोने में छिपे दुश्मन को तबाह कर देगी। भारत की ये स्वदेशी गन उसे चारों दिशाओं में घूम-घूम कर अचूक निशाना लगाकर नेस्तनाबूत करने में सक्षम है। देश में प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनी एलएंडटी भारतीय सेना को वज्रा नामक स्वचालित तोपों की आपूर्ति करेगी ।

45 करोड़ की लागत से एलएंडटी को 100 गन का ऑर्डर मिला है, अभी तक पिछले 11 महीने में सेना को 10 गन मिल चुकी है तथा आने वाले 42 महीने में बाकी की 90 गन सेना को सुपुर्द की जाएंगी ।

स्वदेशी तकनीक से बनी गन है मल्टीपल राउंड सिस्टम से लैस

‘के-9 वज्रा-टी’ में मल्टीपल राउंड सिस्टम है, जिसके तहत यह 15 सैकंड में 3 राउंड फायर करेगी। 60 से 70 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ने वाहन से युक्त इस गन के साथ में एक ऑटोमेटिक रिम्यूनरेशन सप्लाई वेन नामक व्हीकल भी चलेगा, जिसमें इस गन के 104 गोले रखे होंगे। इस गन को विशेष रूप से पाकिस्तान के किनारे रेगिस्तानी इलाकों जैसे शुष्क भूमि के लिए तैयार किया गया है। चीन और पाकिस्तान द्वारा उठाए गए नई चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय सेना के आर्टिलरी को जल्द ही कुल 100 स्वदेशी बंदूक के 9-वजरा-टी (थंडर) 155 मिमी / 52 कैलिबर मिलेगा ।

पूर्व में भी हो चुका परीक्षण

इस गन का सितम्बर के दूसरे सप्ताह में भी परीक्षण हो चुका है। लेकिन फिर से परीक्षण किया जा रहा है । सेना इसकी मारक क्षमता और अन्य विशेषताओं को परख रही है।  


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