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सरकार ने कहा विधानसभा क्षेत्रों में लाभार्थी सम्मेलन कराओ,अफसर बोले-ऐसा संभव नहीं

राजस्थान विधानसभा चुनाव निकट आते देख सरकारी अधिकारियों ने अपना रूख बदलना शुरू कर दिया है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 05 Oct 2018 02:32 PM (IST)Updated: Fri, 05 Oct 2018 02:32 PM (IST)
सरकार ने कहा विधानसभा क्षेत्रों में लाभार्थी सम्मेलन कराओ,अफसर बोले-ऐसा संभव नहीं
सरकार ने कहा विधानसभा क्षेत्रों में लाभार्थी सम्मेलन कराओ,अफसर बोले-ऐसा संभव नहीं

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान विधानसभा चुनाव निकट आते देख सरकारी अधिकारियों ने अपना रूख बदलना शुरू कर दिया है। राज्य के अधिकांश जिला कलेक्टर राज्य सरकार के उस आदेश को मानने से कतराने लगे है,जिसमें विधानसभा क्षेत्रवार लाभार्थी सम्मेलन आयोजित कराने की बात कही गई थी।

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राज्य सरकार ने पिछले माह सभी 33 जिला कलेक्‍टरों को निर्देश दिए गए थे कि प्रदेश के सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में लाभार्थी सम्मेलन आयोजित किए जाएं,जिनमें केन्द्र और राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं के लाभार्थियों को बुलाया जाए। सरकार ने इन सम्मेलनों में सांसदों और क्षेत्रीय विधायकों को आमंत्रित करने के लिए भी कहा था।

सरकार और भाजपा संगठन ने पार्टी के सभी सांसदों और विधायकों को लाभार्थी सम्मेलन में पार्टी कार्यकर्ताओं को भी साथ लेकर जाने के लिए कहा था। सरकार ने जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए थे कि इन सम्मेलनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के फोटो युक्त योजनाओं के पेपर्स बंटवाए जाए। राजनीतिक लाभ लेने के लिहाज से सरकार विधानसभा क्षेत्रवार लाभार्थी सम्मेलन चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले करना चाहती थी,लेकिन जिला कलेक्टरों ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई।

जिला कलेक्टरों के दिलचस्पी नहीं लेने के कारण मात्र 35 विधानसभा क्षेत्रों में लाभार्थी सम्मेलन आयोजित हो सके। उल्लेखनीय है कि करीब छह माह पूर्व भाजपा सरकार ने लाभार्थी सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया था।

इसके तहत सबसे पहले राज्यस्तरीय लाभार्थी सम्मेलन जयपुर में हुआ,जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संबोधित किया। इसके बाद जिलों में आयोजित लाभार्थी सम्मेलनों में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और मंत्रिमंडल के सदस्य पहुंचे थे। दो जिला कलेक्टरों ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि हमने तो मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री सचिवालय दोनों को बता दिया कि अब इस तरह के सम्मेलन आयोजित करना संभव नहीं है।

फाइलें अटकाने लगे अफसर

हर बार की तरह इस बार भी प्रदेश में चुनाव निकट आते देख अधिकारियों ने महत्वपूर्ण फाइलें अटकाना शुरू कर दिया है। अधिकारी मात्र रूटीन की फाइलों का ही निस्तारण कर रहे है। कोई भी अधिकारी अपने स्तर पर नितिगत निर्णय नहीं करना चाहता है।  


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