छह राज्यों में फंसी है राजस्थान के सरकारी मंदिरों के भगवान की उधारी
राजस्थान में सरकारी मंदिरों की देखरेख करने वाले देवस्थान विभाग की संपतियों में कई सालों से जमें किरायेदारों पर करीब करोड़ों रुपये बकाया है।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में सरकारी मंदिरों की देखरेख करने वाले देवस्थान विभाग की उत्तरप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तरांचल स्थित संपतियों में कई सालों से जमें किरायेदारों पर करीब करोड़ों रुपये बकाया है। कई बार नोटिस देने के बावजूद ना तो ये किरायेदार संपति खाली कर रहे है और ना ही किराया चुका रहे हैं। राजस्थान के बाहर अन्य प्रदेशों में स्थित राज्य सरकार के अधीन मंदिरों एवं अन्य परिसंपतियों की देखरेख के लिए पांच दर्जन अधिकारी एवं कर्मचारी लगे हुए है। इनमें सहायता आयुक्त से लेकर प्रबंधक, पुजारी,चौकीदार, क्लर्क और चतुर्थश्रेणी कर्मचारी शामिल है।
जानकारी के अनुसार उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले में स्थित राजस्थान सरकार के मंदिर और धर्मशाला में रह रहे किरायेदारों पर 27 लाख 58 हजार 145 रुपये बकाया है। वाराणसी की संपतियों के किरायेदारों पर 1 लाख 83 हजार 540 रुपये, उत्तराखंड में स्थित हरिद्वार की संपतियों के किरायेदारों पर 78 हजार 396 रुपये बकाया है। इसी तरह उत्तरकाशी की संपतियों के किरायेदारों पर 1 लाख 46 हजार 676 रुपये बकाया चल रहे हैं ।
गुजरात और महाराष्ट्र में स्थित राजस्थान देवस्थान विभाग की संपतियों के किरायेदारों पर दो लाख रुपये से अधिक बकाया है। राजस्थान के विभिन्न जिलों में स्थित देवस्थान विभाग की संपतियों पर काफी पैसा बकाया है। इनमें उदयपुर में 1 करोड़ 17 लाख 72 हजार 665 रुपये और जयपुर में 4 करोड़ 51 हजार 65 हजार 527 रुपये की उधारी है। कोटा की संपतियों के किरायेदारों पर 1 करोड़ 30 हजार 928 रुपये बाकी है।
प्रदेश के अन्य जिलों झुंझुनूं, अलवर, बीकानेर, राजसमंद, झालावाड़, भीलवाड़ा, बारां, बूंदी और अलवर आदि जिलों में भी देवस्थान विभाग की संपतियों के किरायेदारों पर काफी पैसा बकाया है।
यह रकम कुल मिलाकर करीब 10 करोड़ रूपए बताई जाती है । अब राज्य के देवस्थान मंत्री विश्वेंद्र सिंह और सचिव आलोक गुप्ता नई किराया नीति बनाने की तैयारी में जुटे हैं । इससे पहले साल,2000 में किराया नीति बनाई गई थी । देवस्थान मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अन्य राज्यों में स्थित संपतियों के किरायेदारों से किराया वसुलने अथवा खाली कराने को लेकर संबंधित राज्य सरकारों से सहयोग लिया जाए । राजस्थान के विभिन्न जिलों की संपतियों को लेकर जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए जा रहे हैं ।