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कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व की गेंद अब राज्य सरकार के पाले में, बाघों के लिए इन अभयारण्यों में माकूल हैं परिस्थितियां

एनटीसीए ने अपनी रिपोर्ट में बताया बाघों के लिए इन अभयारण्यों में माकूल हैं परिस्थितियां। इन अभयारण्यों और सटे इलाकों में अक्षत वन खंड एवं चिरस्थाई नाले जलबिंदु मौजूद हैं जो बाघों के पुनर्वास के लिए सहायक साबित होंगे।

By Priti JhaEdited By: Published: Tue, 11 Jan 2022 11:20 AM (IST)Updated: Tue, 11 Jan 2022 11:20 AM (IST)
कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व की गेंद अब राज्य सरकार के पाले में, बाघों के लिए इन अभयारण्यों में माकूल हैं परिस्थितियां
कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व की गेंद अब राज्य सरकार के पाले में, बाघों के लिए इन अभयारण्यों में माकूल हैं परिस्थितियां

उदयपुर, सुभाष शर्मा। कुंभलगढ़ एवं टाडगढ़ वन्यजीव अभयारण्य टाइगर रिजर्व के माकूल परिस्थिति रखते हैं। नेशनल टाइगर कंजरवेशन एथोरिटी (एनटीसीए) की रिपोर्ट यही बताती है किन्तु इनके टाइगर रिजर्व की घोषणा में अब राज्य सरकार की भूमिका अहम होगी। जिसे इसके लिए केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को अनुशंसा भेजनी होगी।

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राजस्थान में नए टाइगर रिजर्व को लेकर एनटीसीए की ओर से गठित कमेटी ने सोमवार को राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश कर दी। जिसमें बताया गया कि कुंभलगढ़ और टाटगढ़ अभयारण्यों के दक्षिण भाग में स्थित उदयपुर(उत्तर), राजसमंद, पाली एवं सिरोही के घने प्रादेशिक वन खंड के बाघ प्रसार के लिए उपयुक्त हैं। कुंभलगढ़ एवं उससे लगे रूपनगर, दिवेर, फुलवारी की नाल, आदि जंगलों में बाघ पाएं जाने के ऐतिहासिक रिकॉर्ड हैं।

इन अभयारण्यों और सटे इलाकों में अक्षत वन खंड एवं चिरस्थाई नाले, जलबिंदु मौजूद हैं जो बाघों के पुनर्वास के लिए सहायक साबित होंगे। इसे बड़ा बनाए जाने के लिए बगोल एवं सुमेर वन खंड में विदेशी बबूल हटाकर ग्रास लैंड तैयार की जा सकती है। हालांकि कमेटी ने यह भी पाया कि इन अभयारण्यों में शाकाहारी जीवों की संख्या कम है लेकिन इसे बढ़ाया जा सकता है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कुंभलगढ़ एवं टॉडगढ़ वन्यजीव अभयारण्य सरिस्का एवं रणथम्भौर के जंगलों से भिन्न एवं ज्यादा घने हैं, किन्तु यहां बाघों का पुनर्वास आसान है।

सांसद दीया कुमारी ने उठाया था मुद्दा

राजसमंद से भाजपा सांसद दीया कुमारी ने कुंभलगढ़ और टाटगढ़ अभयारण्यों को टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित किए जाने का मुद्दा उठाया था। उनकी पहल पर राष्ट्रीय बाघ सुरक्षा प्राधिकरण(एनटीसीए)की ओर से एक कमेटी गठित की थी। जिसमें राजसमंद के उप वन संरक्षक-वन्यजीव फतेह सिंह राठौड़ और अभयारण्य संरक्षणकर्ता एवं अधिवकता ऋतुराज सिंह राठौड़ शामिल थे। इस कमेटी ने इन अभयारण्यों की फिजिबिलिटी रिपोर्ट पेश की।

क्या कहते हैं एनटीसीए के सदस्य

एनटीसीए के सदस्य राजसमंद के उप वन संरक्षक वन्यजीव फतेहसिंह राठौड़ बताते हैं कि कुंभलगढ़ और टाटगढ़ टाइगर रिजर्व बन पाएं इसके लिए "हमारे द्वारा ग्रास लैंड विकास का कार्य शुरू किया जा चुका है, शाकाहारी वन्य जीवों जैसे सांभर, चीतल आदि वन्यजीवों के संबंध में मदद ली जा सकती है।" एक अन्य सदस्य ऋतुराज सिंह राठौड़ का कहना है कि अब "किसी लॉबी के दबाव में आए बगैर राज्य सरकार एनटीसीए की रिपोर्ट पर अग्रिम कार्यवाही करें, सरकार कमेटी द्वारा दिए गए सुझावों पर अमल करने के लिए कुंभलगढ़ को टाइगर रिजर्व बनाए जाने के लिए मदद करें।" 


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