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Rajasthan: सोनू सूद की दरियादिली से अभिभूत जालोर के परिवार ने अपनी बच्ची का नाम रखा सोनू

Rajasthan जालौर के मजदूर की दुधमुंही बच्ची के लिए सोनू सूद किसी भगवान से कम नहीं है। बच्ची के दिल में छेद का मुंबई में सोनू सूद द्वारा सफल उपचार करवाया गया। सोनू सूद की दरियादिली से अभिभूत हुए मजदूर ने अपनी बेटी का नाम सोनू ही रख दिया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 07:08 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 10:34 PM (IST)
Rajasthan: सोनू सूद की दरियादिली से अभिभूत जालोर के परिवार ने अपनी बच्ची का नाम रखा सोनू
सोनू सूद की दरियादिली से मजदूर की बेटी के दिल की हुई सर्जरी, बच्ची का नाम रखा सोनू। फाइल फोटो

जोधपुर, रंजन दवे। कोविड-19 के दौरान बॉलीबुड कलाकार सोनू सूद की दरियादिली किसी से छिपी नहीं है, लेकिन जालौर के एक मजदूर की दुधमुंही बच्ची के लिए सोनू सूद किसी भगवान से कम नहीं है। बच्ची के दिल में छेद का मुंबई में सोनू सूद द्वारा सफल उपचार करवाया गया। सोनू सूद की दरियादिली से अभिभूत हुए जालौर के मजदूर भगाराम ने अपनी बेटी का नाम सोनू ही रख दिया है। महज बीस दिन की बेटी अब स्वस्थ है। टीम सोनू सूद के सदस्यों के साथ जालोर का भगाराम अपनी स्वस्थ बेटी को मुंबई से लेकर जोधपुर पहुंचा। सोनू की दरियादिली से अभिभूत इस परिवार ने अपनी बेटी का नाम सोनू रखकर सोनू सूद का आभार जताया है।

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जालोर के गांव गोडीजी निवासी भगाराम माली के घर एक जून को बच्ची का जन्म हुआ था। बच्ची के दिल में छेद था। निजी अस्पताल में इसके इलाज के लिए आठ लाख रुपये खर्च बताया गया। परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी। तभी पड़ोसी दीपक सोलंकी के कहने पर सांचौर निवासी योगेश जोशी ने सोशल मीडिया के माध्यम से सोनू सूद से मदद मांगी। जानकारी मिलते ही सोनू ने 10 जून को जोधपुर से प्रतिनिधि हितेश जैन को जालोर भेजा। बच्ची को जोधपुर लाकर यहां से फ्लाइट से मुंबई ले जाना था, लेकिन सांस में परेशानी होने की वजह से बच्ची को एंबुलेंस में सड़क मार्ग मुंबई ले जाया गया। वहां 14 जून को उसकी सर्जरी हुई। इलाज का पूरा खर्च सोनू सूद की ओर से उठाया गया। रविवार को बच्ची को मुंबई के एसआरसीसी अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। वह सोमवार फ्लाइट से जोधपुर लौटी तथा यहां से सड़क मार्ग से जालोर के लिए रवाना हुई।

मासूम बच्ची सोनू के पिता भगाराम का कहना है कि सोनू सूद ने उनकी बेटी को दूसरा जीवन दिया है, वे नहीं होते तो बच्ची को कोई नही बचा सकता था। यह जीवन उन्हीं का दिया हुआ है, इसीलिए बच्ची का नाम ही सोनू रख दिया है। बच्ची के दिल में छेद था और पिता की भगाराम के खराब आर्थिक हालत के कारण इतना बड़ा इलाज का खर्च उठाने में असमर्थ थे, ऐसे में सोनू सूद का फादर्स डे पर इससे बड़ा कोई उपहार नहीं हो सकता। सोनू सूद की मदद से भगाराम की 20 दिन की बेटी स्वस्थ हो गई है। जोधपुर से बालिका को जालोर के लिए रवाना किया गया।


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