Rajasthan Panchayat Election 2020: सरपंच का चुनाव हुआ 'स्मार्ट'
Sarpanch Election. राजस्थान में इस बार के पंच-सरपंच चुनाव में सोशल मीडिया का रंग छाया हुआ है।
जयपुर, मनीष गोधा। Sarpanch Election. सरपंच का चुनाव है तो अब वोटर से राम-राम करने के लिए सुबह-सुबह निकलने की जरूरत नहीं रही है। वाॅटसएप पर की गई राम-राम प्रत्याशी का काम कर रही है। सुबह की नमस्कार के बाद मकर संक्रांति की बधाई, चुनाव के वादे और गांव के लिए घोषणापत्र भी।
जी हां, राजस्थान में इस बार के पंच-सरपंच चुनाव में सोशल मीडिया का रंग छाया हुआ है। गांव-गांव तक स्मार्ट फोन और सस्ते इंटरनेट डाटा की पहुंच ने प्रत्याशियों के प्रचार को “स्मार्ट“ बना दिया है। पहले चरण की 2726 पंचायतों के 26 हजार 800 वार्डों में 17 जनवरी को वोट पड़ेंगे। चुनाव प्रचार चरम पर है और प्रदेश के गांवों की चौपालें चुनावी चर्चा में डूबी हुई हैं। राज्य निर्वाचन आयोग इस बार ईवीएम के जरिए सरपंच का चुनाव करवा रहा है, इसलिए प्रत्याशियों को प्रचार के लिए करीब आठ दिन का समय मिल गया।
सरपंच के चुनाव के लिए चुनाव खर्च सीमा 20 हजार से बढ़ा कर 50 हजार कर दी गई है तो इसका असर भी दिख रहा है और गांवों में पोस्टरों, बैनरों की बहार है, लेकिन प्रत्याशियों के लिए सबसे ज्यादा काम कर रहा है स्मार्ट फोन। अब गांव-गांव में लोगों के पास स्मार्ट फोन हैं। चाहे हर वोटर के पास नहीं होगा, लेकिन परिवार में एक तो मिल ही जाता है और चूंकि गांव तक यह स्मार्ट क्रांति नई-नई पहुंची है, इसलिए जब प्रत्याशी अपनी खूबसूरत फोटो के साथ वोट देने की अपील का संदेश भेजता है तो वोटर को भी काफी अच्छा लगता है। यही कारण है कि फेसबुक पर सरपंच चुनाव से जुड़े हजारों पेज बन गए हैं। जिनसे लोगों को जोड़ा जा रहा है। उस पर अपने संदेश दिए जा रहे हैं। इसके अलावा वाॅट्सएप ग्रुप तो हैं ही। लिंक्डइन और इंस्टाग्राम अभी गांव तक ज्यादा नहीं पहुंचे हैं तो फेसबुक और वाॅट्सएप ही से काम चल रहा है। सरपंच प्रत्याशियों की बाकायदा आईटी सेल सक्रिय है, हालांकि इसमें उनके रिश्तेदार ही हैं, लेकिन कई लोगों ने यह काम बाहर से भी कराया है।
वादों की बहार, घोषणा पत्र भी इस बार
सरपंच चुनाव में प्रत्याशी अब तक वोटरों से मिल कर वादे करते रहे हैं। लिखित घोषणापत्र अब तक नजर नहीं आते थे। इनके लिए जरूरी भी नहीं है, क्योंकि यह चुनाव राजनीतिक दलों पर सिंबल पर नहीं होता है, लेकिन इस बार के चुनाव में घोषणापत्र भी दिख रहे हैं। फेसबुक पेज बना है तो उस पर रोज कुछ न कुछ तो डालना ही है। तो अब इस पर वादे डाले जा रहे हैं। अलवर जिले की भूडा पंचायत की प्रत्याशी पूजा बमनावत ने अपने फेसबुक पेज पर गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, परिवहन, कृषि आदि से जुड़े करीब बीस वादे गांव वालों से किए हुए हैं और पूरी तरह भ्रष्टाचार मुक्त गांव की सरकार देने का वादा कर रही हैं।
कुछ ऐसा ही खेतडी नगर की ग्राम पंचायत गोठडा की सरपंच उम्मीदवार सरोज देवी ने किया है। इसी तरह ग्राम करांटी की सरपंच उम्मीदवार घीसी देवी ने तो तीन पेज का घोषणापत्र जारी किया है, जिसमें गांव वालों से 26 वादे किए गए हैं। ग्राम पंचायत जगन्नाथपुरा से सरपंच का चुनाव लड़ रही लालीदेवी कहती हैं कि वे युवाओं को फोकस कर चुनाव लड़ रही हैं। गांव में पढ़े-लिखे युवक-युवतियां हैं वोट डालने के लिए इनमें उत्साह भी रहता है, इसलिए सोशल मीडिया पर ज्यादा से ज्यादा प्रचार कर रही हूं। उनका कहना है कि इससे प्रचार का खर्च भी बचा है। यह ज्यादा सस्ता तरीका है। हालांकि व्यक्तिगत प्रचार का तो अपना महत्व है ही।
पति या बेटे का चेहरा भी साथ में
सरपंच चुनाव में सरपंच पति या सरपंच बेटे का अलग पद अपने आप बन गया है। महिलाओं का आरक्षण होने के कारण आरक्षित सीट पर मां या पत्नी या बहन को चुनाव लड़ाना मजबूरी बन गया है। यही कारण है कि सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे फोटो में प्रत्याशी के चेहरे के साथ सरपंच पति, बेटे या भाई का चेहरा जरूर है। वोट की मुख्य अपील भी उन्हीे की तरफ से है।