जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में 6 नगर निगम के चुनाव संपन्न होने के बाद अब जिला परिषद व पंचायत समिति के चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई। पहले चरण का मतदान 23 नवंबर को होगा। गांवों की सरकार कहे जाने वाले जिला परिषद व पंचायत समिति के चुनाव में प्रदेश में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस व मुख्य विपक्षी दल भाजपा के समीकरण अन्य राजनीतिक पार्टियां प्रभावित करती दिख रही है। ये वे पार्टियां हैं, जिन्हें कांग्रेस और भाजपा दो साल पहले तक टक्कर में ही नहीं मानती थी।
दोनों बड़ी पार्टियों को चुनौती देने वाले छोटे दलों में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी)भारतीय ट्राइबल पार्टी(बीटीपी) बहुजन समाज पार्टी(बसपा) व माकपा शामिल है। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौति बीटीपी से है। कुछ सालों पहले तक उदयपुर संभाग के आदिवासी इलाकों में कांग्रेस का वर्चस्व था। आदिवासी कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक माने जाते थे । लेकिन अब यही परंपरागत वोट बैंक कांग्रेस के हाथ से निकलता जा रहा है। इसका कारण बीटीपी का बढ़ता प्रभाव है। करीब तीन साल पहले आदिवासी इलाकों में सक्रिय हुई हुई बीटीपी ने विधानसभा चुनाव में दो सीटें जीतने के साथ ही तीन सीटें मामूली अंतर से हारी। आदिवासी युवाओं पर बीटीपी की पकड़ लगातार बढ़ती जा रही है। इसका नुकसान कांग्रेस को जिला परिषद व पंचायत समिति चुनाव में हो सकता है । बीटीपी के अध्यक्ष छोटू भाई वसावा का कहना है कि आदिवासी इलाकों में पंचायत चुनाव लड़ रही है।
जाट वोट बैंक पर बेनीवाल की मजबूत होती पकड़
कभी भाजपा के टिकट पर विधायक रहे हनुमान बेनीवाल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ मतभेद के चलते पार्टी छोड़ दी थी। उन्होंने आरएलपी नाम से अपनी नई पार्टी बनाई। करीब दो साल पहले विधानसभा चुनाव में पार्टी के तीन विधायक चुनाव जीते, इनमें खुद बेनीवाल शामिल थे। बाद में बेनीवाल ने लोकसभा का चुनाव लड़ा और वे सांसद बन गए। वैसे तो वे फिलहाल एनडीए में शामिल है,लेकिन भाजपा के वोट बैंक में लगातार सेंध लगा रहे हैं।
कांग्रेस नाराज जाट समाज जो पहले कभी भाजपा के साथ जाता था, उसे बेनीवाल ने काफी हद तक अपनी तरफ मोड़ा है । नागौर,जोधपुर,जैसलमेर,बाड़मेर व पाली जिलों के जाटों में बेनीवाल की मजबूत होती पकड़ भाजपा के लिए आगे जाकर परेशानी का कारण बन सकती है।
भाजपा और बेनीवाल के बीच कई बार तनातनी भी नजर आती है। इसी तरह बसपा दलित वोट बैंक के सहारे कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए हमेशा से ही परेशानी का कारण रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा का कहना है कि पाली को छोड़कर सभी जिलों में चुनाव लड़ रहे हैं। माकपा सीकर,झुंझुनूं, श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों में चुनाव अभियान में जुटी है।
उल्लेखनीय है कि झुंझुनूं, चूरू, सीकर, हनुमानगढ़, बीकानेर, नागाैर, बाड़मेर, जैसलमेर, बूंदी, टाेंक, जालाैर, भीलवाड़ा, अजमेर, चित्ताैड़गढ़, बांसवाड़ा डूंगरपुर, उदयपुर, प्रतापगढ़ आदि 21 जिलों में पंचायत चुनाव हो रहे हैं। शेष 12 जिलों में चुनाव अगले साल होंगे ।
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