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सिख परीक्षार्थी अब परीक्षा में कड़ा, कृपाण और पगड़ी पहन सकेंगे, गहलोत बोले- घूंघट हो या बुर्का इसका क्या तुक?

राजस्थान में प्रतियोगी और शैक्षणिक परीक्षाओं में बैठने वाले सिख धर्म के अभ्यर्थियों को अब कड़ा कृपाण और पगड़ी आदि धार्मिक प्रतीक पहनने की छूट होगी।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 10:00 AM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 10:00 AM (IST)
सिख परीक्षार्थी अब परीक्षा में कड़ा, कृपाण और पगड़ी पहन सकेंगे, गहलोत बोले- घूंघट हो या बुर्का इसका क्या तुक?
सिख परीक्षार्थी अब परीक्षा में कड़ा, कृपाण और पगड़ी पहन सकेंगे, गहलोत बोले- घूंघट हो या बुर्का इसका क्या तुक?

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में प्रतियोगी और शैक्षणिक परीक्षाओं में बैठने वाले सिख धर्म के अभ्यर्थियों को अब कड़ा, कृपाण और पगड़ी आदि धार्मिक प्रतीक पहनने की छूट होगी। इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य लोकसभा आयोग सहित संबधित विभागों को निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही सिख समाज के रीति रिवाजों से हुई शादियों के रजिस्ट्रेशन के उद्देश्य से राजस्थान मैरिज रजिस्ट्रेशन एक्ट 2019 के प्रारूप में अनुमोदन किया गया है।

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सीएम अशोक गहलोत ने अपने सरकारी आवास पर गुरू नानक साहब के 550वें आगमन पर शब्द कीर्तन कार्यक्रम के बाद संबोधित करते हुए कहा कि गुरूनानक देव का जन्मोत्सव मनाने के लिए राज्य स्तारीय कमेटी गठित की गई है। इस मौके पर गहलोत ने कहा कि महिलाओं में घूंघट (पर्दा प्रथा ) और बुर्का की प्रथा को खत्म किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अब घूंघट हटाओ का अभियान चलना चाहिए। देशभर की महिलाओं को इसके लिए आगे आना चाहिए। गहलोत ने कहा कि सिर्फ महिलाओं को नहीं बल्कि इस प्रथा को खत्म करने के लिए उनसे ज्यादा पुरुष को आगे आना चाहिए। क्योंकि, पुरुष प्रधान मुल्क होने से दबाव रहता है। इस कारण महिला को घूंघट निकालना पड़ता है। घूंघट हो या बुर्का। आधुनिक युग में जहां दुनिया चांद तक पहुंच रही है, मंगल ग्रह पर जा रही है वहां पर इसका क्या तुक है?

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिनकी कोख से हम सब पैदा हुए उन महिलाओं को सम्मान देना हमारा परम धर्म बनता है। राजस्थान जैसे प्रदेश के अंदर घूंघट प्रथा है, एक महिला को आप घूंघट में कैद रखो यह कहां की समझदारी है? हम विज्ञान के युग में हैं। मोबाइल फोन है और दुनिया मुट्ठी में है। वहीं एक महिला घूंघट में कैद रहती है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी गहलोत घुंघट प्रथा खत्म करने की वकालात कर चुके हैं। सरकार इसको लेकर सामाजिक अभियान चलाने की तैयारी कर रही है ।

राजस्थान में घूंघट प्रथा (पर्दा प्रथा), बालिका शिक्षा, बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ सामाजिक आंदोलन चलाया जाएगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर सरकार सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर यह आंदोलन चलाएगी। इस आंदोलन को अभियान का रूप दिया जाएगा।

बाल विवाह और दहेज के लिए तो कानून पहले से ही बने हुए है, लेकिन घूंघट प्रथा को खत्म करने के लिए सीएम गहलोत सामाजिक आंदोलन चलाना चाहते हैं। सामाजिक आंदोलन के तहत राज्य सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी, शिक्षकाओं के साथ ही सामाजिक संगठनों से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्ता ग्रामीण इलाकों में जाकर महिलाओं को घूंघट प्रथा से मुक्ति दिलाने को लेकर जागरूक करेगी।

ग्रामीण क्षेत्रों में यह समझाया जाएगा कि आधी आबादी के घूंघट में रहने का प्रभाव आने वाली पीढ़ी पर होता है। महिला बाहर निकलेगी तो बाहरी दुनिया को देखेगी, समझेगी और फिर वह अपने बच्चों को समझाएगी। सीएम गहलोत का कहना है कि महिलाओं को घूंघट में देखता हूं तो मुझे बड़ा दुख होता है। घूंघट प्रथा खत्म होनी चाहिए। प्रदेश में घूंघट प्रथा को खत्म किया जाएगा।

ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम होंगे

सामाजिक आंदोलन मूल रूप से घूंघट प्रथा को खत्म करने के लिए चलाया जाएगा, लेकिन साथ में दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के कार्यक्रम भी होंगे। बाल विवाह के दुष्प्रभावों को समझाने के लिए अन्य प्रदेशों के शिक्षाविद्धों को भी ग्रामीण क्षेत्रों में बुलाया जाएगा। बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राजनीति, प्रशासनिक एवं व्यवसाय के क्षेत्र में आगे बढ़ने वाली महिलाओं के साथ ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के संवाद के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

जानकारी के अनुसार लोकसंवाद कार्यक्रमों, मानव क्षृंखला, रात्रि चौपाल और विचार-गोष्ठियों के माध्यम से घूंघट प्रथा के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाएगा। जानकारी के अनुसार सीएम इस बारे में अगले कुछ दिनों में अधिकारिक घोषणा कर सकते हैं। उन्होंने पिछले दिनों अधिकारियों को इसकी रूपरेखा तैयार करने के निर्देश दिए थे।  


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