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नहीं रहे जोधपुर में श्लील गायकी के अमिताभ बच्चन मारवाड़ रत्न माईदास थानवी

राजस्थान और विशेषकर मारवाड़ में होली और शीतलास्टमी के मौके पर गाये जाने वाले श्लील गायन परंपरा का रिवाज है जहां शहर के भीतरी हिस्सो में सामूहिक तौर पर श्लील गायन का आयोजन होता है जिसे सुनने के लिए लोग बेताब रहते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 12:15 PM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 12:15 PM (IST)
लोक कलाकार के साथ जोधपुर की विरासत कहलाने वाले माई दास थानवी ।

जोधपुर, जागरण संवाददाता। जोधपुर ही नहींं देश के अन्य प्रदेशों के साथ-साथ विदेशों में भी अपनी श्लील गायकी से लोगों के दिलो पर राज करने वाले मारवाड़ रत्न माईदास थानवी का सोमवार की शाम को निधन हो गया। जोधपुर में श्लील गायकी परंपरा में उनका एक छत्र राज रहा यही वजह रही कि उनको जोधपुर ही नहीं समूचे राजस्थान और देश विदेश में श्लील गायकी का अमिताभ बच्चन कहकर संबोधित किया जाता रहा है। राजस्थान और विशेषकर मारवाड़ में होली और शीतलास्टमी के मौके पर गाये जाने वाले श्लील गायन परंपरा का रिवाज है, जहां शहर के भीतरी हिस्सो में सामूहिक तौर पर श्लील गायन का आयोजन होता है, जिसे सुनने के लिए लोग बेताब रहते हैं।

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सूर्यनगरी ही नही देश के अहमदाबाद, शिवाकाशी, जैसलमेर, पाली सहित अनेक शहरों व अफ्रीकी देशों में लोक परम्परा से जुड़ी अपनी विशेष गायन शैली से लोगो के दिलों पर राज करने वाले मारवाड़ में बिग बी उर्फ अमिताभ बच्चन नाम से मशहूर माईदास थानवी पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। वे अपने पीछे तीन पुत्रियों व एक पुत्र सहित भरा पूरा परिवार छोड़कर गए है।

राजा मानसिंह की गालियों को अपने शब्दों के माध्यम से पिरोकर उन्होंने श्लील गायकी को नए आयाम तक पहुंचाया। साथ ही मारवाड की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए भरसक प्रयास किए। तकरीबन 50 सालों से होली व शीतलाष्टमी पर अपनी आवाज और अदा का जादू बिखरने वाले माईदास के निधन पर जोधपुर के कई लोक कलाकारों , संस्था - संगठनों ने शोक जताया है। अपने गायन और अपने नाम से अपनी खास पहचान बनाने वाले श्लील गाली गायक माईदास थानवी जब मंच पर आते थे तो उन्हें सुनने आयी जनता उनका स्वागत किसी रॉकस्टार की तरह करती थी। उनको लेकर एक जुनून था। विशेषकर किशोर और युवा वर्ग उनका दीवाना था।  अपनी बृद्धावस्था के बावजूद जोधपुरी साफे और खालिस जोधपुरी सूट के ऊपर स्वर्णहार पहन जब वे मंच आते थे तो उनकी ऊर्जा युवाओं को भी पीछे छोड़ देती थी।

माईदास जी को सुनने शहर सहित बाहरी कॉलोनियों के लोग भी उमड़ पड़ते थे। महिलाएं भी छतों व खिड़कियों की ओट से उनके गायन को सुनती थी। द्विअर्थी संवादों से लबरेज फिल्मी गानों की धुनों पर होली और शीतलास्टमी पर होने वाले उनके कार्यक्रमो का लोगो को बेसब्री से इंतजार रहता है। उनके निधन से लोक कला परंपरा के एक युग का अंत हुआ है।

राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष रमेश बोराणा ने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि थानवी लोकरंग के ऐसे जीवंत कलाकार थे जो सिर्फ होली के अवसर पर गाते लेकिन वर्ष पर्यंत श्रोताओं के दिलों में उमंग और उत्साह का संचार करते रहते थे ।

केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि थानवी को शब्दों के उच्चारण व भंगिमाओं से भाव पैदा करने में महारथ हासिल थी। लोक संस्कृति के जगत में उनका नाम सदैव एक उत्कृष्ट गायक के रूप में स्मरण किया जाएगा।  इसके अलावा जोधपुर रंगमंच जगत से जुड़े कलाकारों ने उनके निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की है और उनके निधन को  एक युग का अवसान बताया है।


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