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Pulwama Terror Attack: शहीद नारायण की वीरांगना बोली,बच्चों को भी देश सेवा के लिए भेजेगी फौज में

Pulwama Terror Attack:आतंकी हमले में राजसमंद के शहीद नारायणलाल गुर्जर की वीरांगना का कहना है कि वह जरूरत पड़ेगी तो अपने दोनों बच्चों को भी फौज में भेजने को तैयार है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 19 Feb 2019 12:43 PM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 12:43 PM (IST)
Pulwama Terror Attack: शहीद नारायण की वीरांगना बोली,बच्चों को भी देश सेवा के लिए भेजेगी फौज में
Pulwama Terror Attack: शहीद नारायण की वीरांगना बोली,बच्चों को भी देश सेवा के लिए भेजेगी फौज में

उदयपुर, सुभाष शर्मा। पुलवामा में पिछले दिनों हुए आतंकी हमले में राजसमंद जिले के शहीद नारायणलाल गुर्जर की वीरांगना का कहना है कि वह जरूरत पड़ेगी तो अपने दोनों बच्चों को भी फौज में भेजने को तैयार है। शहीद नारायणलाल सीआरपीएफ की 118 वीं बटालियन में तैनात था।

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शहीद नारायण की पत्नी मोहनी देवी का कहना है कि उसके पति देश के लिए प्राण न्यौछावर कर गए, लेकिन इससे परिवार में देशभक्ति का जज्बा कम नहीं हुआ, बल्कि और बढ़ गया है। वह अपने पुत्र और पुत्री, दोनों को भी देश की सेवा के लिए फौज में भेजने को तैयार है।

जबकि शहीद का बेटे मुकेश की ईच्छा है कि वह भी अपने पिता की तरह देश की सेवा करना चाहता है। बेटी हेमलता की भी फौजी बनने की तमन्ना है। वह बताते हैं कि जब भी उनके पापा छुट्टियो में घर आते तो वह गांव वालों को फौज और सैनिक जीवन की बातें बताते हुए उनमें देशभक्ति का जज्बा जगाने का काम करते थे। घर पर भी वह उन्हें सेना के विभिन्न प्रसंगों की कहानी कते थे।

वहीं बिनोलवासी बताते हैं कि शहीद नारायण उनके बीच काका नाम से प्रसिद्ध थे। वह छुट्टियों में गांव के युवाओं को फौजी की तरह प्रशिक्षित करते थे। स्कूल के नीम के पेड़ पर रस्सी बांधकर युवाओं को रस्सी के सहारे चढऩे का प्रशिक्षण देते थे।

गांव के युवा भी उनके साथ रहकर अपने आप को गर्वित महसूस करते थे। प्रतिदिन स्कूल में 35 से 40 चक्कर लगाते थे और युवाओं को सुबह उठकर स्कूल में चक्कर लगवाते थे। ग्रामीण बताते है कि बिनोल के उच्च माध्यमिक स्कूल में किस तरह दौड़ लगाते हुए उन्हें फौजी बनने की तैयारी की थी, आज भी उन्हें याद है। स्कूल को देखते ही उन्हें शहीद नारायण की याद आने लगती है।

शहीद नारायण की इच्छा को करेंगे पूरा

बिनोलवासी युवाओं का कहना है कि वह शहीद नारायण की इच्छा पूरा करेंगे। नारायण चाहते थे कि उनके गांव से सेना में जाकर देश सेवा करने के लिए और भी लोग जाएं। सेना में जाकर देश की सेवा करना ही ग्रामीण युवाओं के लिए असली श्रद्धांजलि होगी। इसके लिए वह रोजाना स्कूल में उसी तरह तैयारी करेंगे, जैसा शहीद नारायण उन्हें कराते थे।


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