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राजस्थान में सात बेटियों ने पिता के शव को कंधा और मुखाग्नि दी

सभी सात बहनों ने आगे आकर कहा हम अपने पिता के अंतिम संस्कार की पूरी प्रक्रिया निभाएंगे। गांव में होकर जब बेटियों के कंधों पर शवयात्रा निकली सभी ग्रामीण साथ लग गए। शवयात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए।

By Priti JhaEdited By: Published: Wed, 26 Jan 2022 08:46 AM (IST)Updated: Wed, 26 Jan 2022 08:51 AM (IST)
राजस्थान में सात बेटियों ने पिता के शव को कंधा और मुखाग्नि दी
राजस्थान में सात बेटियों ने पिता के शव को कंधा और मुखाग्नि दी

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में बून्दी जिले के बाबाजी का बड़ा गांव निवासी 95वर्षीय रामदेव कलाल के निधन पर उनकी सात बेटियों मुखाग्नि दी । रामदेव का मंगलवार को निधन हुआ तो उनकी सात बेटियों ने पुत्र द्वारा शव को कंधा और मुखाग्नि देने की रूढ़िवादी परम्परा को तोड़ा। गांव में होकर जब बेटियों के कंधों पर शवयात्रा निकली सभी ग्रामीण साथ लग गए। शवयात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए।

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दरअसल, रामदेव के कोई पुत्र नहीं था ऐसे में उनके निधन के बाद ग्रामीण एवं स्वजनों में चर्चा होने लगी कि अब शव को कंधा और मुखाग्नि किस के द्वारा दी जाएगी। इस बीच उनकी सात बेटियां कमला, गीता, मूर्ति, पूजा, श्यामा, मोहनी और ममता आगे आई। सभी सात बहनों ने आगे आकर कहा, हम अपने पिता के अंतिम संस्कार की पूरी प्रक्रिया निभाएंगे। गांव में होकर जब बेटियों के कंधों पर शवयात्रा निकली सभी ग्रामीण साथ लग गए। शवयात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए।

रामदेव का मंगलवार को निधन हुआ तो उनकी सात बेटियों ने पुत्र द्वारा शव को कंधा और मुखाग्नि देने की रूढ़िवादी परम्परा को तोड़ा । मृतक की बड़ी पुत्री कमला ने कहा कि हमारे कोई भाई नहीं था । लेकिन पिता ने हमारा पालन-पोषण लड़कों की तरह किया। पढ़ाई कराने से लेकर जीवन जीने तक प्रत्येक क्षेत्र में पिता ने लड़कों की तरह रहना सिखाया। करीब पांच साल पहले मां का निधन हो गया था। अब पिता का निधन हुआ है। वह पिछले कुछ महीनों से बीमार चल रहे थे । 

विधवा बहू की सास ने दूसरी शादी कर एक मिसाल पेश की

मालूम हो कि पिछले दिनों राजस्थान के हीं सीकर में विधवा बहू की सास ने दूसरी शादी कर एक मिसाल पेश की थी । बहू को बेटी जैसा प्यार देकर उसका आंचल मां की ममता के भर दिया। मालूम हो कि बेटे की शादी के 6 महीने बाद ही ब्रेन स्ट्रोक से मौत हो गई थी। इसके बाद सांस ने मां की तरह बहू को पढ़ाया-लिखाया और ग्रेड फर्स्ट की लेक्चरर बनाया। फिर उसकी शादी बिना दहेज की करवाई।


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