Rajasthan Politics: विधानसभा की सदस्यता पर संकट आता देख विधायकों ने भाजपा और बसपा से संपर्क साधा
विधानसभा की सदस्यता पर संकट आता देख विधायकों ने भाजपा और बसपा से संपर्क साधा -बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय पर सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा बसपा ने इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष डा.सी.पी.जोशी के समक्ष याचिका दायर की थी।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले 6 विधायकों की विधानसभा की सदस्यता पर संकट खड़ा हो गया है। बसपा विधायक दल का कांग्रेस में विलय करने वाले 6 विधायक अब नया रास्ता तलाश रहे हैं। इन विधायकों ने भाजपा और बसपा के राष्ट्रीय नेतृत्व से सम्पर्क किया है ।
दरअसल, साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर निर्वाचित हुए 6 विधायकों ने 2019 में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। विधायक दल का कांग्रेस में विलय कर लिया था। बसपा ने इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष डा.सी.पी.जोशी के समक्ष याचिका दायर की थी। लेकिन वहां से राहत नहीं मिली तो बसपा के साथ ही भाजपा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई और विधायकों की सदस्यता रद्द करने को लेकर याचिका दायर की थी। इसी बीच पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने 6 विधायकों से जवाब पेश करने के लिए कहा है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जवाब पेश किए जाने के निर्देश देने के बाद विधायकों को विधानसभा की सदस्यता जाने का डर सता रहा है। बृहस्पतिवार को इन विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों से मुलाकात कर कानूनी सलाह ली । इन विधायकों ने भाजपा के प्रदेश प्रभारी अरूण सिंह, बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात का समय मांगा है।
बुधवार शाम दिल्ली रवाना होने से पहले इन विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वकीलों से मुलाकात करने के साथ ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया से भी सम्पर्क साध था। विधायक संदीप यादव ने कहा कि हमारी जो मदद करेगा हम उसके साथ रहेंगे । चाहे भाजपा मदद करे या फिर बसपा और कांग्रेस हमारा साथ दे । हमें हमारी सदस्यता बचानी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 4 सप्ताह में मांगा जवाब
राजस्थान हाईकोर्ट ने भाजपा विधायक मदन दिलावर और बसपा की याचिकाओं पर विधायकों की सदस्यता का निर्णय अध्यक्ष पर छोड़ दिया था । इस पर दिलावर और बसपा सुप्रीम कोर्ट चले गए । सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल जनवरी माह में अध्यक्ष और विधायकों को नोटिस जारी किए थे, लेकिन इन्होंने जवाब पेश नहीं किया । इस पर सख्ती दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जवाब देने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया है। इसके बाद यह मामला कोर्ट में सुनवाई के लिए लगाया जाएगा ।
सुत्रों के अनुसार सदस्यता पर संकट आता देख इन विधायकों ने भाजपा और बसपा नेतृत्व तक संदेश पहुंचाया है कि यदि वह दोनों सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस लेते हैं तो 6 एमएलए उनके साथ आ जाएंगे । कांग्रेस से दूर हो जाएंगे ।
यह है विस.का गणित
200 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 101 विधायकों की जरूरत होती है। अशोक गहलोत सरकार को वर्तमान में स्वयं कांग्रेस के अतिरिक्त निर्दलीय, बसपा, माकपा और राष्ट्रीय लोकदल के विधायकों का समर्थन है। इनकी कुल संख्या 122 होती है। यदि 6 बसपा विधायकों की सदस्यता रद्द भी हो जाती है तो गहलोत सरकार को कोई मुश्किल नहीं होगी ।