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Rajasthan: 20 साल में पांच बार बदला स्कूली पाठ्यक्रम, सरकारों ने अपने-अपने हिसाब से किए बदलाव

Rajasthan Government प्रदेश में सरकारें बदलने के साथ ही स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर हमेशा बवाच मचता रहा है। पिछले 20 साल में पाठ्यक्रम में पांच बाद बदलाव किए गए हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 06:31 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 06:31 PM (IST)
Rajasthan: 20 साल में पांच बार बदला स्कूली पाठ्यक्रम, सरकारों ने अपने-अपने हिसाब से किए बदलाव

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। Rajasthan Government: मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से देश में स्कूली शिक्षा में जहां समान पाठ्यक्रम की कवायद की जा रही है, उसके उलट राजस्थान में सत्ता के साथ स्कूली पाठ्यक्रम बदलने का रिवाज सा चल पड़ा है। प्रदेश में सरकारें बदलने के साथ ही स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर हमेशा बवाच मचता रहा है। सत्ता में आने पर कांग्रेस और भाजपा अपने-अपने हिसाब से पाठ्यक्रम में बदलाव करती है। पिछले 20 साल में प्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम में पांच बाद बदलाव किए गए हैं। इन दिनों महाराणा प्रताप से जुड़े इतिहास से छेड़छाड़ को लेकर बवाल मचा हुआ है।

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राजनेता और महाराणा प्रताप के वंशजों के साथ ही राजपूत समाज के लोग इस मुद्दे पर सरकार को घेर रहे हैं। विवाद बढ़ता देख मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कहना पड़ा कि महाराणा प्रताप के बारे में अंकित गलत तथ्य हटाए जाएंगे। दरअसल, इस साल 10वीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की किताब के अध्याय एक और दो में हल्दीघाटी युद्ध के परिणाम की समीक्षा को हटा दिया गया। "भारत का इतिहास और संस्कृति' में महाराणा प्रताप के पिता उदय सिंह को बनवीर का हत्यारा बताया गया। वहीं, पुस्तक "राजस्थान की संस्कृति और इतिहास "में साहित्यकार मलिक मुहम्मद जायसी का हवाला देते हुए लिखा गया है कि मुगल बादशाह अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मनी को पाने के लिए चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण किया था। पुस्तक में लिखा है कि अकबर से लड़ाई के दौरान महाराणा प्रताप को कमजोर बताया गया है।

ऐसे चला बदलावों का दौर

साल 1998 से 2003 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में लाइब्रेरी में रखी जाने वाली पुस्तक में तत्कालील सीएम गहलोत की फोटो छापी गई थी। कांग्रेस का इतिहास भी लाइब्रेरी में रखवाया गया। इस पर भाजपा ने आपत्ति जताई थी। साल, 2003 से 2008 में भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान आरएसएस के विचारक श्यामा प्रसाद मुखर्जी व दीनदयाल मुखर्जी की जीवनी लाइब्रेरी में रखवाई गई। आरएसएस से जुड़े लेखकों को प्राथमिकता दी गई। साल 2008 से 2013 के बीच कांग्रेस सरकार ने भाजपा सरकार के निर्णय बदले।

साल 2013 में फिर वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी तो श्यामा प्रसाद मुखर्जी व पंडित दीन दयाल उपाध्याय, वीर सावरकर सहित आरएसएस के कई लेखकों की पुस्तक लाइब्रेरी में रखवाने के साथ ही सरकारी स्कूलों में छात्राओं भगवा रंग की साइकिल वितरित की गई। इसके बाद 2019 में सत्ता में आई वर्तमान गहलोत सरकार ने गत वर्ष एक पाठ्यपुस्तक से चित्तौड़ के विश्व प्रसिद्ध जौहर की फोटो हटाकर उसके जगह कीर्ति स्तंभ लगाया था। इसको लेकर भी काफी बवाल मचा था। वसुंधरा सरकार के समय स्‍कूली पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप को हल्दी घाटी के युद्ध का विजेता बताया गया था, लेकिन सत्ता बदलने के बाद अब कांग्रेस ने युद्ध के परिणाम में संशोधन कर दिया है। 12वीं कक्षा की इतिहास की पुस्तक में हल्दीघाटी के युद्ध के बारे में विस्तार से लिखा गया है, लेकिनयुद्ध के परिणाम पर पाठ्यक्रम खामोश हैं। 


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