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सत्यपाल मलिक को महबूबा मुफ्ती ने भेजा कानूनी नोटिस, जानें-क्या है मामला

Satyapal Malik सत्यपाल मलिक को महबूबा मुफ्ती ने कानूनी नोटिस भेजकर उनके खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए 10 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है। मलिक को 30 दिनों के भीतर मुआवजे के रूप में 10 करोड़ का भुगतान करने या कानूनी कार्यवाही का सामना करने को कहा गया।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 07:36 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 07:36 PM (IST)
सत्यपाल मलिक को महबूबा मुफ्ती ने भेजा कानूनी नोटिस, जानें-क्या है मामला
महबूबा मुफ्ती व मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक। फाइल फोटो

श्रीनगर, प्रेट्र। जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को कानूनी नोटिस भेजकर उनके खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए 10 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है। नोटिस में मलिक को 30 दिनों के भीतर मुआवजे के रूप में 10 करोड़ रुपये का भुगतान करने या कानूनी कार्यवाही का सामना करने को कहा गया है। इसने कहा कि मुआवजे के पैसे का इस्तेमाल महबूबा किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बल्कि जनता की भलाई के लिए करेंगी। इससे पहले बुधवार को महबूबा ने मलिक  से अपनी टिप्पणी वापस लेने के लिए कहा था। मेरे बारे में रोशनी अधिनियम का लाभार्थी होने के बारे में सत्य पाल मलिक के झूठे और बेतुके बयान बेहद शरारती हैं। मेरी कानूनी टीम उन पर मुकदमा करने की तैयारी कर रही है। महबूबा ने दो दिन पहले एक ट्वीट में कहा कि उनके पास अपनी टिप्पणियों को वापस लेने का विकल्प है, ऐसा नहीं करने पर मैं कानूनी सहारा लूंगा।

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महबूबा मुफ्ती ने किया ये दावा

महबूबा मुफ्ती ने एक वीडियो साझा किया जिसमें मलिक यह दावा करते हुए दिखाई दे रहे हैं कि नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को रोशनी योजना के तहत जमीन के भूखंड मिले हैं। रोशनी अधिनियम को फारूक अब्दुल्ला सरकार द्वारा आरोपों के बदले राज्य की भूमि पर कब्जा करने वालों को मालिकाना अधिकार देने के उद्देश्य से लाया गया था। इस प्रकार उत्पन्न धन का उपयोग राज्य में पनबिजली संयंत्र स्थापित करने के लिए किया जाना था। हालांकि, जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय द्वारा इसे अवैध घोषित करने के बाद योजना को भंग कर दिया गया था और सीबीआई को योजना के लाभार्थियों की जांच करने का निर्देश दिया था।

मलिक का दावा, जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहते डील के बदले की गई थी 300 करोड़ की पेशकश

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा राजस्थान के झुंझुनूं में गत दिनों एक कार्यक्रम में दिए गए बयान का वीडियो शुक्रवार को इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ। इस वीडियो में मलिक कह रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहते हुए उन्होंने अंबानी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक पदाधिकारी के इन्वालवमेंट (भागीदारी) वाली दो डील निरस्त की थी। दोनों डील के बदले में 150-150 करोड़ रुपये देने की पेशकश की गई थी। मलिक ने कहा कि मेरे जम्मू-कश्मीर में जाने के बाद जो फाइल सामने आई थी, उनमें से एक में तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सरकार के मंत्री शामिल थे, जो खुद को प्रधानमंत्री के नजदीकी बताते थे। मुझे सरकारी सचिवों ने बताया कि दोनों फाइलों में घपला है। मैंने डील निरस्त कर दी थी।

बेईमानी करता तो किसान आंदोलन पर बोलने पर ईडी और इनकम टैक्स टीम घर पहुंच जाती

मलिक ने कहा कि सचिवों ने यह भी कहा था कि दोनों डील में आपको 150-150 करोड़ रुपये मिल सकते हैं।लेकिन मैंने उन्हें कहा कि मैं तो पांच कुर्ते-पायजामे लेकर आया हूं, ऐसे ही चला जाऊंगा। उन्होंने कहा कि मैंने प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा और उनसे मिला। मैंने प्रधानमंत्री से कहा कि आप बताइए इनमें क्या करना है। अगर डील निरस्त नहीं करनी है तो मैं छोड़ देता हूं, मेरी जगह दूसरे को लगा दो, लेकिन मैं तो यह नहीं होने दूंगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि नहीं भ्रष्टाचार में कोई समझौता नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कश्मीर इतना भ्रष्ट राज्य है कि अन्य राज्यों के सरकारी विभागों में पांच फीसद कमीशन लिया जाता है, लेकिन वहां 15 फीसद की मांग होती है, लेकिन मेरे रहते हुए भष्टाचार नहीं हुआ था। मलिक ने कहा कि मैंने कश्मीर से लौटने के बाद किसानों के लिए बेधड़क बोला। अगर मैं कश्मीर में कुछ कर लेता तो आज से पहले मेरे घर ईडी और आयकर विभाग वाले पहुंच जाते। मैं सीना ठोक कर कह सकता हूं, प्रधानमंत्री के पास समस्त संस्थाएं हैं, मेरी जांच करा लो, मैं इसी तरह बेधड़क रहूंगा। 


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