Rajasthan: सचिन पायलट खेमे के वकील नहीं पहुंचे राजस्थान हाईकोर्ट, सुनवाई दो सप्ताह टली
Rajasthan महाधिवक्ता का तर्क था कि एक मुख्य याचिकाकर्ता के वकील कोर्ट में पेश नहीं हुए केवल पक्षकार याचिका वापस नहीं ले सकते। पहले मुख्य याचिकाकर्ता को सुना जाना चाहिए। उनका यह तर्क भी था कि मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। Rajasthan: राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे की पिछले साल हुई बगावत के बाद 19 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस विवाद मामले के निस्तारण को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई दो सप्ताह के लिए टल गई है। पायलट खेमे के विधायक और मामले के मुख्य याचिकाकर्ता पीआर मीणा के वकील बृहस्पतिवार को कोर्ट में पेश नहीं हुए। एक अन्य पक्षकार मोहनलाल नामा की तरफ से वकील विमल चौधरी व योगेश टेलर और अध्यक्ष सीपी जोशी की तरफ से प्रतीक कासलीवाल पैरवी के लिए मौजूद थे। नामा की तरफ से याचिका खारिज करने की अर्जी पर ही सुनवाई का सरकार के महाधिवक्ता ने विरोध किया।
महाधिवक्ता का तर्क था कि एक मुख्य याचिकाकर्ता के वकील कोर्ट में पेश नहीं हुए केवल पक्षकार याचिका वापस नहीं ले सकते। पहले मुख्य याचिकाकर्ता को सुना जाना चाहिए। उनका यह तर्क भी था कि मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है, जिसमें अध्यक्ष के अधिकारों को चुनौती दी गई है। इस मामले में विधिक प्रश्न उठाए गए हैं। ऐमे में जब तक सुप्रीम कोर्ट से इस मामले का निस्तारण नहीं हो जाता, तब तक याचिका का फैसला करना गलत है। महाअधिवक्ता के इस तर्क के बाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह तक टाल दी। उल्लेखनीय है कि पायलट खेमे के की बगावत के बाद विधानसभा अध्यक्ष नोटिस जारी कर पहले उनसे 15 जुलाई तक जवाब मांगा था। अध्यक्ष के नोटिस को पायलट खेमे के विधायक पीआर मीणा ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट ने अध्यक्ष के नोटिस पर स्टे दिया था। उस समय इस समय विधानसभा सचिवालय की तरफ से अध्यक्ष के अधिकारों में दखल करार दिया था। अध्यक्ष ने हाईकोर्ट के नोटिस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उस समय से मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। उसी दौरान नामा ने पक्षकार बनने की कोर्ट में अर्जी पेश की थी, जिसे मंजूर कर लिया गया था। इसी बीच, 11 अगस्त को कांग्रेस आलाकमान के हस्तक्षेप से पायलट खेमे का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से समझौता हो गया। पायलट खेमे के 19 विधायक वापस सरकार के साथ आ गए थे। 14 अगस्त को गहलोत सरकार ने विधानसभा में बहुमत साबित किया था कांग्रेस के दोनों खेमों में समझौता हो गया, लेकिन उस वक्त सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका अब तक लंबित है। अब राजनीतिक परिस्थितियां बदल चुकी है, इसलिए नामा ने याचिका वापस लेने की गुहार की है।