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Rajasthan Panchayat Elections: राजस्थान पंचायत चुनावों में भाजपा ने मारी बाजी, पिछड़ गई सत्तासीन कांग्रेस

राजस्थान में पंचायत चुनाव परिणाम से कांग्रेस में बढ़ सकता है असंतोष मंत्री चुनाव प्रबंध में हुए फेल भाजपा जीत से उत्साहित केंद्रीय कृषि कानून के सहारे गांवों की सरकार पर कब्जा करने का कांग्रेस का मंसूबा फेल हो गया।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 09 Dec 2020 11:41 AM (IST)Updated: Wed, 09 Dec 2020 07:12 PM (IST)
Rajasthan Panchayat Elections: राजस्थान पंचायत चुनावों में भाजपा ने मारी बाजी, पिछड़ गई सत्तासीन कांग्रेस
राजस्थान में पंचायत चुनाव के परिणाम, गांवों में कमल खिला और कांग्रेस का हाथ काम नहीं कर सका।

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में पंचायत चुनाव के परिणाम सत्तारूढ़ अशोक गहलोत सरकार और कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है। भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ाने वाले हैं। जिला परिषद व पंचायत समिति चुनाव में एक तरफ जहां सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस पिछड़ गई, वहीं योजना बनाकर चुनाव लड़ने के कारण भाजपा सफल रही। चुनाव परिणाम में गांवों में कमल खिला और कांग्रेस का हाथ काम नहीं कर सका।

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केंद्रीय कृषि कानून के सहारे गांवों की सरकार पर कब्जा करने का कांग्रेस का मंसूबा फेल हो गया। चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस में सत्ता और संगठन के प्रति असंतोष बढ़ सकता है। मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में देरी से से विधायकों व नेताओं में पहले से ही बेचैनी है अब यह असंतोष में बढ़ सकती है। कांग्रेस सरकार के मंत्री और विधायक कोविड-19 के भय से गांवों में नहीं गए, जयपुर में ही बैठकर टिकट बांट दिए । वहीं भाजपा ने वरिष्ठ नेताओं को गांवों में भेजा।

भाजपा ने कार्यकर्ताओं की मंशा के अनुसार टिकट वितरत किए, इसका नतीता यहा हुआ कि कांग्रेस से अधिक सीटें जीती । चुनाव परिणाम से भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और उनकी टीम पार्टी की आंतरिक राजनीति में मजबूत होगी।

कांग्रेस की हार के कारण

मंत्रियों द्वारा कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं करना, विधायकों की मर्जी से उनके रिश्तेदारों को टिकट देना और प्रदेश से लेकर ब्लॉक स्तर तक पिछले 6 माह से संगठन नहीं होना कांग्रेस की हार के प्रमुख कारण रहे। कांग्रेस ने विधायकों को ही सिंबल दे दिए। विधायकों ने अपने रिश्तेदारों को चुनाव मैदान में उतारा, जिनमें से अधिकांश हार गए । सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से हटाते समय प्रदेश से लेकर ब्लॉक कांग्रेस कमेटियां भंग कर दी गई थी, जिनका गठन अब तक नहीं हुआ।

केवल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही मिलकर सत्ता और संगठन के फैसले कर रहे हैं । पार्टी की टीम नहीं होने के कारण चुनाव अभियान योजना के अनुसार नहीं चल रहा। हालात यह हुए कि डोटासरा के विधानसभा क्षेत्र में पार्टी हार गई। सचिन पायलट के साथ ही राज्यमंत्रिमंडल के सदस्य रघु शर्मा, महेंद्र चौधरी, उदयलाल आंजना, अशोक चांदना के निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस को बुरी तरह हार का मुंह देखना पड़ा। कांग्रेस के 23 विधायकों ने अपने रिश्तेदारों को टिकट दिए, उनमें से अधिकांश हार गए। टिकट बंटवारे में गड़बड़ी से कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ी।

भाजपा की रणनीति हुई सफल

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरूण सिंह के निर्देशन में प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने वरिष्ठ नेताओं की टीम बनाकर चुनाव लड़ा ।वरिष्ठ नेताओं को जिलों का प्रभारी बनाया गया । टिकट तय करने का काम कार्यकर्ताओं की राय से हुआ। अशोक गहलोत सरकार से ग्रामीणों की नाराजगी का फायदा उठाने के लिए ब्लैक पेपर जारी किया गया ।

राज्य निर्वाचन आयोग का मैनेजमेंट हुआ फेल

पंचायत चुनाव में इस बार राज्य निर्वाचन आयोग का चुनाव मैनेजमेंट पूरी तरह फेल रहा । हालात यह है कि बुधवार सुबह तक समस्त चुनाव परिणाम जारी नहीं हो सके्र,जबकि ईवीएम मशाीन से मतदान हुआ था। मंगलवार सुबह से मतगणना शुरू हुई और 24 घंटे बाद तक पूरे परिणाम नहीं आ सके। अब तक आए परिणाम के अनुसार पंचायत समिति चुनाव में कांग्रेस ने 1718, भाजपा ने 1836 सीटें जीती। निर्दलियों के हाथ में 422, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हाथ में 56 सीटें आई। 16 सीटों पर माकपा व 3 पर बसपा जीती। वहीं जिला परिषद चुनाव में भाजपा 323,कांग्रेस 246, निर्दलीय 17, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी 2 सीटें जीती। 


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