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प्रत्येक राजस्थानी पर 50,333 का कर्ज, सरकार का कर्ज हुआ 3.79 करोड़, 24 फरवरी को पेश होगा बजट

सरकार का कर्जभार 3.79 लाख करोड़ तक पहुंच गया। प्रदेश की 7.5 करोड़ की कुल आबादी के लिहाज से अनुमान लगाए तो प्रत्येक नागरिक पर 50333 रूपए का कर्ज है। यह अब तक का सबसे कर्ज है। कोविड-19 के कारण राजस्थान सरकार की आर्थिक सेहत बिल्कुल बिगड़ गई है।

By PRITI JHAEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 11:34 AM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 11:34 AM (IST)
प्रत्येक राजस्थानी पर 50,333 का कर्ज, सरकार का कर्ज हुआ 3.79 करोड़, 24 फरवरी को पेश होगा बजट
राजस्थान सरकार की आर्थिक सेहत बिल्कुल बिगड़ गई है।

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा । कोविड-19 के कारण राजस्थान सरकार की आर्थिक सेहत बिल्कुल बिगड़ गई है। पेट्रोल व डीजल पर वैट बढ़ाकर राजस्व बढ़ाने का प्रयास अशोक गहलोत सरकार कर रही है। सरकार को शराब की दुकानों के आवंटन के कारण आबकारी विभाग से भी राजस्व मिलने की उम्मीद है। सरकार का कर्जभार 3.79 लाख करोड़ तक पहुंच गया। प्रदेश की 7.5 करोड़ की कुल आबादी के लिहाज से अनुमान लगाए तो प्रत्येक नागरिक पर 50,333 रूपए का कर्ज है। यह अब तक का सबसे कर्ज है।

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 24 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट पेश करेंगे। इस बजट में प्रदेश की आर्थिक स्थिति सुधारने को लेकर कुछ कड़े उपाय किए जा सकते हैं। वित्तीय हालात खराब होने के कारण आम लोगों को राहत देने के लिए बड़ी राहत मिलना मुश्किल है। जिन चार विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने हैं उनके लिए गहलोत सरकार ने पिछले दिनों कई बड़े घोषणाएं की है। बजट से पहले इस तरह घोषणा करने को लेकर भाजपा गहलोत सरकार की आलोचना कर चुकी है। वर्तमान वित्तीय वर्ष के पहले छह की रिपोर्ट सरकार ने पिछले दिनों जारी की, जिसके अनुसार सरकार का राजस्व घाटा 27,858 करोड़ तक पहुंच गया। साल, 2020 में अप्रैल से सितंबर तक सरकार की आमदनी 55096 करोड़ और खर्च 83055 करोड़ रहा है।

सरकार को केंद्री करों से 17,101 करोड़ मिलने थे, लेकिन मिले केवल 15,541 करोड़ ही। राज्य सरकार अपने कर राजस्व में 32 फीसदी की गिरावट रही। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि कोरोना महामारी, लॉकडाउन के कारण उधोग धंधे बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं, जिसका असर सरकार के राजसव पर भी पड़ा। पिछले वित्तीय वर्ष में शुरूआती छह माह के मुकाबले इस साल प्रत्यक्ष राजस्व 13.56 और अप्रत्यक्ष राजस्व 34.64 प्रतिशत कम रहा है। सरकार ने इस पूरे वित्तीय वर्ष के लिए 33,922 करोड़ के राजस्व घाटा अनुमानित किया था, लेकिन शुरूआती छह माह में ही घाटा 33,109 करोड़ हो गया। पेट्रोलियम सेक्टर से मिलने वालेराजस्व में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। इस सेक्टर से पिछले वित्तीय वर्ष में जहां 1788 करोड़ मिला था, वहीं इस वित्तीय वर्ष के शुरूआती छह माह में यह घटकर मात्र 738 करोड़ रह गया। ऐसे में सीएम को बजट पेश करते हुए कई संतुलनो को साधना होगा। 


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