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Rajasthan: नदियों को जोड़ने की तीन परियोजनाओं पर चल रहा काम, पेयजल समस्या का होगा समाधान

राजस्थान विधानसभा में विधायक संदीप शर्मा की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने माना है कि नदियों को जोडने की परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 05:52 PM (IST)Updated: Sat, 15 Feb 2020 05:53 PM (IST)
Rajasthan: नदियों को जोड़ने की तीन परियोजनाओं पर चल रहा काम, पेयजल समस्या का होगा समाधान
Rajasthan: नदियों को जोड़ने की तीन परियोजनाओं पर चल रहा काम, पेयजल समस्या का होगा समाधान

मनीष गोधा, जयपुर। नदियों को जोड़ने की परियोजना को लेकर यूं तो कांग्रेस का विरोध सामने आता रहा है, लेकिन राजस्थान की कांग्रेस सरकार नदियों को जोड़ने की तीन परियोजनाओं पर काम कर रही है। इनमें से एक परियोजना के जरिए नहर का निर्माण किया जाना है, वहीं दो परियोजनाओं में नदियों का सरप्लस पानी राजस्थान के दो बडे बांधों तक पहुंचाया जाना है। हालांकि अभी तीनो ही परियोजनाओं में कागजी काम ही ज्यादा हुआ है, लेकिन परियोजनाएं पूरी होंगी तो राजस्थान के कई जिलों की पेयजल समस्या का समाधान हो सकेगा। 

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राजस्थान विधानसभा में विधायक संदीप शर्मा की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने माना है कि नदियों को जोडने की परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है। इस जवाब में तीन परियोजनाओं की जानकारी दी गई है। इसमें एक परियोजना के तहत पूर्वी राजस्थान नहर का निर्माण किया जाना है, वहीं दो अन्य परियोजनाओं में साबरमती बेसिन का सरप्लस पानी पाली के जवाई बांध में लाया जाना है, वहीं ब्राहम्णी नदी का सरप्लस पानी बीसलपुर बांध में लाया जाना है। ये तीनों ही परियोजनाएं भाजपा सरकार के समय बनाई गई थी। अभी इन पर ज्यादातर कागजी काम ही हुआ है। 

पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना

पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर परियोजना के बाद दूसरी सबसे बड़ी नहर परियोजना है। इसकी लागत 37 हजार 247 करोड़ रूपए आंकी गई है। इस परियोजना के तहत दक्षिण राजस्थान की नदियों पार्वती, कालीसिंध, मेज के सरप्लस पानी को दक्षिण पूर्वी राजस्थान बनास, मोरिल, बाणगंगा,गम्भीर आदि नदियों में पहुंचाया जाना है और एक नहर बनाई जानी है जो राजस्थान के 13 जिलों झालावाडा, कोटा, बारां, बूंदी, करौली, सवाईमाधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, दौसा, अलवर, भरतपुर व धौलपुर को पानी पहुंचाएगी।

केन्द्रीय जल आयोग इस परियोजना को मंजूरी दे चुका है। राजस्थान सरकार की कोशिश है कि केन्द्र सरकार इसे राष्ट्रीय परियेाजना का दर्जा दे ताकि राजस्थान सरकार पर वित्तीय भार कम पड़े और काम तेजी से हो सके। इसे लेकर हाल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा है। हालांकि सरकार ने परियोजना के तहत कालीसिंध नदी पर बैराज बनाने का काम शुरू कर दिया है। 

साबरमती बेसिन का पानी जवाई बांध में

दूसरी परियेाजना के तहत गुजरात की साबरमती बेसिन का सरप्लस पानी पाली जिले में बने जवाई बांध में लाने का काम होना है। इस परियेाजना की हाइड्रोलाॅजी रिपोर्ट को भी केन्द्रीय जल आयोग को मंजूर कर चुका है। परियोजना धरातल पर उतरती है तो पाली, जालौर और सिरोही जिलों की पेयजल समस्या खत्म हो जाएगी। 

ब्राहम्णी नदी का पानी बीसलपुर बांध में

तीसरी परियोजना के तहत दक्षिण पूर्वी  राजस्थान की ब्राहम्णी नदी का सरप्लस पानी बीसलपुर बांध में पहुंचाया जाना है। बीसलपुर बांध से जयपुर अजमेर और टोंक जिलों को पानी की आपूर्ति होती है और बारिश कम होने पर इसके खाली होने की नौबत आ जाती है। ऐसा 2019 में मानसून के आगमन से पहले हो चुका है। हालांकि इस बार यह बांध लबालब भर गया था। 


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