राजस्थान में सम्मानित होंगे बेसहारा गायों को गोद लेने वाले
गोतस्करी के नाम पर होने वाली उन्मादी भीड़ की हिंसा (मॉब लिंचिंग) के लिए कुख्यात हो रहे राजस्थान में गायों की देखरेख के लिए नई पहल की गई है।
जयपुर, ब्यूरो । गोतस्करी के नाम पर होने वाली उन्मादी भीड़ की हिंसा (मॉब लिंचिंग) के लिए कुख्यात हो रहे राजस्थान में गायों की देखरेख के लिए नई पहल की गई है। राजस्थान सरकार अब उन लोगों को गणतंत्र दिवस और स्वाधीनता दिवस पर सम्मानित करेगी जो बेसहारा और गोशालाओं में रह रही गायों को गोद लेंगे। यह सम्मान जिलास्तर पर कलेक्टरों द्वारा किया जाएगा। गोपालन निदेशालय ने सभी कलेक्टरों को चिट्ठी लिखकर बेसहारा गायों को गोद लेने वालों को प्रोत्साहित करने को कहा है।
राजस्थान में भाजपा सरकार के समय गोपालन विभाग के नाम से अलग विभाग और मंत्रालय बनाया गया था और यह पहली सरकार थी, जहां इस विभाग का अलग मंत्री भी था। हालांकि इसके बावजूद गोतस्करी और उसके नाम पर होने वाली उन्मादी भीड़ की हिंसा के मामलों को लेकर राजस्थान की काफी बदनामी हुई थी। प्रदेश में 2570 पंजीकृत गोशालाएं हैं। इनमें 180 दिन तक के लिए सरकार बड़े पशु के लिए 32 और बछड़े के लिए 16 रुपए प्रतिदिन की सहायता देती है।
आमजन की भागीदारी का प्रयास
अब बेसहारा गायों के लिए गोपालन निदेशालय ने कलेक्टरों को झालावाड़ और अलवर मॉडल अपनाने को कहा है। दरअसल, झालावाड़ में जिला प्रशासन ने दानदाताओं को बेसहारा और गोशाला में रह रही गायों को गोद देने के लिए प्रेरित किया। दानदाताओं को गोशाला में से एक-एक गाय गोद देकर उनके भरण-पोषण की जिम्मेदारी दी गई। इस प्रयोग को जिलेभर में भरपूर समर्थन मिला, साल भर से यह मुहिम चल रही है। झालावाड़ के साथ अलवर में भी जिलास्तर पर भी गोशाला की गायों को गोद देने की मुहिम शुरू की है। अब गोपालन निदेशालय ने सभी कलेक्टरों को यह मॉडल अपनाने को कहा है।
गोपालन निदेशालय ने कलेक्टरों को भेजी चिट्ठी में कहा है कि प्रदेश में गायों की दयनीय हालत को देखते हुए जिले के अफसरों, दानदाताओं और समाजसेवियों को गोवंश को गोद लेने के लिए प्रेरित करें। गाय गोद लेने वालों को सम्मानित करने का फैसला करके सरकार ने गायों को बचाने के लिए आमजन की भागीदारी का प्रयास किया है।