Rajasthan: सांवलियाजी के भंडार में निकले 6.37 करोड़ रुपये
राजस्थान के चित्तौडगढ़ जिले में स्थित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल सांवलियाजी मंदिर के भंडार में एक माह में करीब साढ़े छह करोड़ रुपये की रकम दान के रूप में मिली है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान के चित्तौडगढ़ जिले में स्थित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल सांवलियाजी मंदिर के भंडार में एक माह में करीब साढ़े छह करोड़ रुपये की रकम दान के रूप में मिली है। इसके अतिरिक्त कुछ जेवरात भी मिले हैं । मंदिर के दानपात्र में मिली रकम की गणना तीन दिन में पूरी हुई । भंडार से कुल 6 करोड़ 37 लाख एक हजार 500 रुपये की प्राप्त हुई है। करीब दस हजार रुपये के खुल्ले पैसों (चिल्लर)की गणना फिलहाल जारी है।
मंदिर मंडल अध्यक्ष कन्हैयादास वैष्णव, सदस्य भैरूलाल सोनी एवं प्रशासनिक अधिकारी कैलाशचन्द्र दाधीच के सानिध्य में हुई गणना में एक दर्जन मंदिर लगे । नोटों की गणना के लिए मशीनों का भी उपयोग किया गया । पिछले माह के मुकाबले इस माह भंडार में मिली रकम में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
सांवलियाजी को बनाते हैं व्यापार और खेती मे हिस्सेदार
राजस्थान के अतिरिक्त मध्यप्रदेश से भी काफी बड़ी संख्या में लोग सांवलिया जी के मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं । यहां को लेकर लोगों की मान्यता हैकि जितना वे यहां चढ़ाएंगे,सांवलिया जी उससे दो गुना उन्हे वापस लोटाएंगे । ऐसे में कई बड़े व्यापारी अपने व्यापार का हिस्सेदार सांवलिया जी को बनाते हैं और लाभ होने पर तय हिस्सा भंडार में डालकर जाते हैं। इसी तरह किसान भी अपनी अच्छी खेती के लिए यहां मान्यता मांगते है और फसल अच्छी होने पर मुनाफे का हिस्सा यहां दान के रूप में चढ़ाकर जाते हैं । कई कर्मचारी अपने वेतन में से सांवलिया जी के लिए हिस्सा रखते हैं और वे प्रतिमाह यहां चढ़ाकर जाते हैं । मंदिर में अधिकांश गुप्त दान चढ़ाया जाता है । सांवलिया जी के मंदिर के कई भक्त विदेशों में भी रहते हैं । वे अपनी आय का हिस्सा भारतीय मुद्रा में नियमित रूप से मंदिर में भेजते रहते हैं ।
गांवों के विकास में खर्च होती है रकम
सांवलिया जी मंदिर ट्रस्ट द्वारा दान में मिली रकम को आसपास के 16 गांवों के विकास कार्य में खर्च की जाती है । मंदिर परिसर में स्थित अस्पताल,स्कूल और गोशाला का संचालन भी चढ़ावे में मिली राशि से ही होता है । जानकारी के अनुसार सांवलिया जी मंदिर 450 साल पुराना है। इस मंदिर का निर्माण मेवाड़ राजपरिवार ने कराया था । मान्यता के अनुसार मंदिर में स्थित सांवलिया जी मीरा बाई के वे ही गिरधर गोपाल है,जिनकी वह पूजा करती थी ।