Rajasthan Politics: विधानसभा सत्र बुलाने की परंपरा टूटी, सत्रावसान की फाइल राजभवन नहीं भेज रही सरकार
राजस्थान के संसदीय इतिहास में पहली बार बजट सत्र को समाप्त किए बिना साढ़े पांच माह बार फिर से विधानसभा की कार्यवाही शुरू होगी । 9 सितंबर से विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है । दरअसलइस बार सरकार ने राज्यपाल के पास फाइल ही नहीं भेजी ।
जागरण संवाददाता,जयपुर! राजस्थान के संसदीय इतिहास में पहली बार बजट सत्र को समाप्त किए बिना साढ़े पांच माह बार फिर से विधानसभा की कार्यवाही शुरू होगी । 9 सितंबर से विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है । दरअसल,इस बार सरकार ने बजट सत्र का सत्रावसान करवाने के लिए राज्यपाल के पास फाइल ही नहीं भेजी । यह पहली बार हो रहा है कि बजट सत्र की निरंतरता में ही विधानसभा की अगली बैठक का समय तय कर दिया गया । सरकार के इस फैसले पर विधानसभा में विपक्ष के नेता राजेंद्र राठौड़ और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने सवाल उठाए हैं। दोनों नेताओं ने कहा कि कभी ऐसा नहीं हुआ ।
यह राज्यपाल के अधिकारों पर अतिक्रमण है। इस बारे में संविधान के आर्टिकल 174 में साफ प्रावधान है कि राज्यपाल के पास फाइल भेजकर विधानसभा के सत्र का सत्रावसान करवाया जाता है । बजट सत्र का सत्रावसान नहीं करवाने के पीछे पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर राज्यपाल कलराज मिश्र के साथ हुआ विवाद प्रमुख कारण है ।
उस दौरान सरकार सत्र बुलाना चाहती थी। राज्यपाल ने मंजूरी देने में देरी की तो कांग्रेस और सरकार का समर्थन कर रहे निर्दलीय विधायकों ने राजभवन में धरना दिया था । हालांकि विधिवत प्रक्रिया पूरी होने के बाद राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने की मंजूरी दे दी थी ।
6 माह में बुलाना होता है सत्र
राज्य विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही 18 मार्च को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की गई थी । नियमों के तहत 6 माह के भीतर सत्र वापस बुलाना अनिवार्य है । इस हिसाब से 18 सितंबर तक विधानसभा की बैठक बुलाई जानी आवश्यक है । इस कारण सरकार ने 9 सितंबर से सत्र बुलाए जाने का निर्णय लिया है । सरकार सत्र तो बुला रही है,लेकिन परंपरा नहीं निभाई जा रही । पायलट खेमे की बगावत के समय राज्यपाल के साथ हुए टकराव के बाद सरकार ने नया रास्ता निकाल लिया है । सरकार ने सत्रावसान की फाइल राजभवन नहीं भेजी और विधानसभा के पुराने सत्र को ही कागजों में जारी रखा ।