Rajasthan Political Crisis: राजस्थान में जारी सियासी घमासान, अब राज्यपाल की भूमिका पर सबकी निगाह
Rajasthan Political Crisis स्पीकर द्वारा सचिन पायलट सहित 19 विधायकों को अयोग्यता नोटिस दिए जाने को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई।
जयपुर, जागरण संवाददाता। स्पीकर द्वारा सचिन पायलट सहित 19 विधायकों को अयोग्यता नोटिस दिए जाने को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई। अब प्रदेश की राजनीति नई करवट लेगी। सत्तारूढ़ दल कांग्रेस जल्द से जल्द विधानसभा सत्र बुलाकर फ्लोर टेस्ट कराना चाहेगा, जिससे अनिश्चितता की स्थिति साफ हो और जनता में यह संदेश जाय कि अशोक गहलोत सरकार स्थिर है। प्रदेश के मौजूदा हालात में राज्यपाल की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती जा रही है।
सीएम अशोक गहलोत, कांग्रेस आलाकमान और सचिन पायलट खेमे के साथ ही भाजपा की निगाहें राजभवन पर आगामी दिनों तक टिकी रहेगी। कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद से राजनीतिक क्षेत्रों में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ लोगों का मानना हैं कि राज्यपाल सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कहेंगे। वहीं कुछ का मानना है कि सीएम गहलोत खुद आगे बढ़कर फ्लोर टेस्ट को लेकर राज्यपाल से आग्रह करेंगे। विधि एवं संविधान विशेषज्ञों का मानना है कि राज्यपाल चार परिस्थितियों में फ्लोर टेस्ट करा सकते हैं। इनमें एक तो यह कि सीएम खुद राज्यपाल के पास जाएं और बताएं कि सदन मे मेरा बहुमत है, मैं बहुमत साबित करना चाहता हूं।दूसरी स्थिति यह है कि विपक्षी दल भाजपा राज्यपाल के समक्ष जाकर कहे कि सरकार अल्पमत में है, इसलिए राजभवन सरकार को बहुमत साबित करने के लिए आदेश दें।
कांग्रेस के बागी विधायक सचिन पायलट अपने साथी विधायकों के साथ राज्यपाल के पास जाकर कहें कि सरकार अल्पमत में हैं, इसलिए फ्लोर टेस्ट के आदेश दें। एक बात यह भी हो सकती है कि दो दर्जन विधायक राज्यपाल को लिखकर दें कि सरकार अल्पमत में है, इसलिए फ्लोर टेस्ट कराना चाहिए। इसी बीच सीएम गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार कर कांग्रेस के आंतरिक असंतोष को कम करने पर भी विचार कर रहे हैं। लेकिन पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह का मानना है कि फ्लोर टेस्ट के बिना अब मंत्रिमंडल का विस्तार संभव नहीं है।