राज्य ब्यूरो, जयपुर। Rajasthan Political Crisis: राजस्थान विधानसभा में दो विधायकों वाले दल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने सोमवार को स्पष्ट किया है कि वे किसी भी खेमे या पार्टी के साथ नहीं है। जब सदन में फ्लोर टेस्ट की नौबत आएगी, उस समय पार्टी अपना फैसला करेगी। पार्टी ने आरोप लगाया कि राजस्थान में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। होटल से सरकार से चल रही है और आम जनता की तकलीफों की ओर किसी का ध्यान नहीं है। मौजूदा सियासी संकट के चलते राजस्थान विधानसभा में एक-एक विधायक की अहमियत हो गई है। माकपा के विधानसभा में दो विधायक है।
इनमें से एक बलवान पूनिया ने राज्यसभा चुनाव में पार्टी के निर्णय का उल्लंघन करते हुए कांग्रेस के पक्ष में वोट दे दिया था। ऐसे में पार्टी ने उन्हें एक वर्ष के लिए सदस्यता से निलंबित कर दिया है, वहीं दूसरे विधायक गिरधारी सिंह महिया ने वोट नहीं डाला था। दरअसल, उस समय पार्टी ने यह तय किया था कि माकपा के विधायक उसी स्थिति में वोट डालेंगे, जबकि भाजपा का दूसरा उम्मीदवार जीतने की स्थिति में दिखेगा। वैसी स्थिति बनी नहीं, इसलिए पार्टी ने मतदान से दूर रहने का फैसला किया था। अब मौजूदा सियासी संकट में एक बार पार्टी के दोनों विधायक काफी अहम हो गए है। सोमवार को पार्टी मुख्यालय पर पार्टी के राज्य सचिव अमराराम और विधायक गिरधारी महिया ने साफ किया कि पार्टी ने किसी खेमे के साथ है और न दल के साथ है।
अमराराम ने कहा कि हमारे बारे में गलत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं कि हमारे विधायक गिरधारी महिया पायलट गुट के साथ है, जबकि हम किसी के साथ नहीं है। उन्होंने कहा कि फ्लोर टेस्ट की नौबत आएगी तो परिस्थितियों को देखते हुए पार्टी फैसला करेगी। बलवान पूनिया के बारे में उन्होंने कहा कि उन पर कार्रवाई की जा चुकी है। उम्मीद है अब वे फिर से वैसी गलती नहीं करेंगें। वहीं, विधायक गिरधारी महिया ने कहा कि अभी ऐसी कोई करेंसी नहीं बनी जो गिरधारी महिया को खरीद सके। उन्होंने कहा कि वे पार्टी के साथ है और पार्टी जो फैसला करेगी, उसे मानेंगेे। उन्होंने कहा कि राजस्थान आम जनता और किसान परेशान है, लेकिन होटलों से सरकार चलाई जा रही हैै। किसी को आम आदमी की चिंता नहीं है।
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