Rajasthan Politics News: कभी गहलोत के विरोधी रहे सी.पी.जोशी अब उन्हे ही बचाने में जुटे, एक वोट के अंतर से हारे थे चुनाव
जोशी कभी गहलोत के कट्टर विरोधी रहे। गहलोत के विरोध के चलते जोशी और सचिन पायलट एक साथ थे। लेकिन स्पीकर बनने के बाद से जोशी ने पायलट का साथ छोड़ दिया और गहलोत के पाले में आ गए।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में कांग्रेस के नेता आपस में लड़ रहे हैं। नेताओं के आपसी संघर्ष के चलते सरकार पर संकट नजर आने लगा है। सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट और 18 अन्य विधायकों ने मोर्चा खोल दिया है। सत्तारूढ़ दल के विधायकों के बागी होने के बाद अब स्पीकर डॉ.सी.पी.जोशी की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है। स्पीकर के फैसले पर गहलोत सरकार का भविष्य निर्भर करेगा।
जोशी कभी गहलोत के कट्टर विरोधी रहे। गहलोत के विरोध के चलते करीब दो साल पहले तक जोशी और सचिन पायलट एक साथ थे। लेकिन स्पीकर बनने के बाद से जोशी ने पायलट का साथ छोड़ दिया और गहलोत के पाले में आ गए। 2008 के विधानसभा चुनाव में 1 वोट से हारने वाले डॉ.जोशी उस समय मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे। 1 वोट से चुनाव हारने के बाद भी वे मुख्यमंत्री पद की लॉबिंग में जुटे थे, लेकिन गहलोत के पॉलिटिकल मैनेजमेंट के कारण वे पिछड़ गए।
गहलोत 2008 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बन गए। तब से गहलोत और जोशी के बीच टकराव शुरू हुआ। दोनों एक-दूसरे के विरोधी हो गए। हालांकि राहुल गांधी से निकटता के कारण लोकसभा चुनाव में जोशी को भीलवाड़ा से टिकट मिला और वे केंद्र में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज और सड़क परिवहन मंत्री रहे। बाद में जोशी को कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया गया। हालांकि वे वहां ज्यादा दिन नहीं चले और फिर प्रदेश की राजनीति में आ गए। प्रदेश की राजनीति में आकर वे हमेशा गहलोत के विरोधी रहे। लेकिन समय ऐसा बदला कि करीब पौने दो साल पहले गहलोत तीसरी बार मुख्यमंत्री बने और जोशी उनके खेमे में शामिल हो गए।
गहलोत के लिए अहम होंगे जोशी
अब जब सचिन पायलट सहित 19 कांग्रेस विधायक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोले बैठे हैं। ऐसे में विधानसभा स्पीकर की हैसियत से जोशी गहलोत के लिए काफी महत्वपूर्ण हो गए। विधानसभा में अगर फ्लोर टेस्ट होगा तो जोशी की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। सरकारी मुख्य सचेतक की याचिका पर पायलट सहित 19 विधायकों को अयोग्यता का नोटिस देकर जोशी ने गहलोत खेमे का अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग किया। यह माना जा रहा है कि जोशी आगामी दिनों में इन 19 विधायकों की सदस्यता तक समाप्त कर सकते हैं। इसके लिए वे वरिष्ठ वकीलों व विधानसभा के पुराने अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श में जुटे हैं।