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Rajasthan Political Crisis: कांग्रेस के बाद अब भाजपा को भी सताया बगावत का डर तो बनाई ये रणनीति

Rajasthan Political Crisis राजस्थान में पिछले एक माह से चल रहे सियासी संग्राम के बीच अब सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के बाद भाजपा को भी टूट का डर सताने लगा है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 05:25 PM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 05:25 PM (IST)
Rajasthan Political Crisis: कांग्रेस के बाद अब भाजपा को भी सताया बगावत का डर तो बनाई ये रणनीति
Rajasthan Political Crisis: कांग्रेस के बाद अब भाजपा को भी सताया बगावत का डर तो बनाई ये रणनीति

नरेन्द्र शर्मा, जयपुर । राजस्थान में पिछले एक माह से चल रहे सियासी संग्राम के बीच अब सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के बाद भाजपा को भी टूट का डर सताने लगा है। 14 अगस्त से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र का दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के रणनीतिकारों के दिलों की धड़कन बढ़ने लगी है । सचिन पायलट खेमे के 19 विधायकों की बगावत के बाद अशोक गहलोत समर्थक विधायक पिछले 27 दिन से बाड़ेबंदी (होटल में एक साथ रखा गया) में कैद है । वहीं अब भाजपा ने भी अपने डेढ़ दर्जन विधायकों को राजस्थान से बाहर गुजरात में भेज दिया है । भाजपा शासित गुजरात में ये विधायक 12 अगस्त तक रहेंगे । इन विधायकों को 12 अगस्त को गुजरात से सीधा जयपुर लाया जाएगा ।

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दो दिन तक प्रशिक्षण शिविर के नाम पर यहां एक होटल में रखा जाएगा और फिर 14 तारीख को शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के बाद ही इन्हे  बाड़ेबंदी से मुक्त किया जाएगा । दरअसल,भाजपा के केंद्रीय व प्रदेश नेतृत्व तक शुक्रवार रात यह जानकारी पहुंची थी कि सीएम गहलोत के इशारे पर कुछ लोग बीजेपी विधायकों से संपर्क कर रहे हैं । बड़े व्यापारियों के साथ ही प्रशासनिक एवं पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी बीजेपी विधायकों से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क कर उन्हे फ्लोर टेस्टिंग के दिन विधानसभा की कार्यवाही में शामिल नहीं होने के लिए तैयार करने में जुटे हैं । गहलोत खेमे की तरफ से जिन विधायकों से संपर्क किया गया उनमें आदिवासी इलाके के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समर्थक विधायक भी शामिल है । ऐसे में शुक्रवार देर रात आनन-फानन में डेढ़ दर्जन विधायकों को प्रदेश से बाहर सोमनाथ पहुंचाने का निर्णय लिया गया । रविवार तक कुछ विधायकों को मध्यप्रदेश भेजा जाएगा । उधर कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी.वेणुगोपाल,राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांड़े सहित चार राष्ट्रीय सचिवों ने जैसलमेर के सूर्यगढ़ होटल में विधायकों से अलग-अगल मुलाकात करने के बाद सामुहिक बैठक की । ये नेता विधायकों को एकजुट रखने में जुटे हैं। 

बीजेपी बना रही रणनीति 

सूत्रों के अनुसार भाजपा 11 तारीख को बसपा के विधायकों के कांग्रेस में विलय पर आने वाले हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार करेगी । अगर यह कांग्रेस के खिलाफ फैसला आता है तो बीजेपी अपने सभी विधायकों की बाड़ेबंदी करेगी, क्योंकि ऐसा आशंका जताई जा रही है कि कांग्रेस बीजेपी के विधायकों में सेंधमारी कर सकती है ।अगर फैसला खिलाफ आता है तो केवल डेढ़ दर्जन विधायकों को ही प्रदेश से बाहर रखा जाएगा । पार्टी ने फूलसिंह मीणा,अमृतलाल मीणा,प्रताप गमेती,बाबूलाल खराड़ी,पूराराम चौधरी,गमाराम गरासिया,जगसीराम कोली,अशोक लाहोटी,निर्मल कुमावत,गोपीचंद,जबर सिंह,गुरदीप,धमेंद्र मोची,गोपाल शर्मा,जोगेश्वर गर्ग सहित डेढ़ दर्जन विधायकों को विमान व सड़क मार्ग से सोमनाथ भेजा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा है कि विधायकों की बाड़ेबंदी नहीं कर रहे, मगर जरूरत पड़ी तो विधानसभा से पहले प्रशिक्षण के नाम पर विधायकों को जयपुर में बुलाया जा सकता है,ये सोमनाथ यात्रा पर गए हैं। उन्होंने कहा गहलोत सरकार हमारे विधायकों पर अनैतिक दबाव बना रही है । अधिकारियों के माध्यम से डराया-धमकाया जा रहा है । सुरक्षा के लिहाज से जो उपयुक्त होगा वे कदम उठाए जाएंगे । 

वसुंधरा समर्थक सरकार गिराने के पक्ष में नहीं है 

भाजपा का एक वर्ग पायलट की बगावत के बाद संकट में आई गहलोत सरकार को गिराकर राजनीतक लाभ लेते हुए अपनी सरकार बनाने के पक्ष में हैँ । वहीं वसुंधरा राजे समर्थक गहलोत सरकार गिराने के पक्ष में नहीं है । पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं वसुंधरा के विश्वस्त कैलाश मेघवाल का कहना है कि किसी चुनी सरकार को अनैतिक हडकंडों व हॉर्स ट्रेडिंग से हटाना निंदाजनक है । उन्होंने कहा सरकार गिराने की साजिश करना गलत है ।


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