राजस्थान के मंत्री बोले - गाय को पूजने का कोई औचित्य नहीं, यह एक बहुउपयोगी पशु है
धारीवाल ने विधानसभा में सावरकर की किताब का हवाला देते हुए कहा था कि गाय निश्चित तौर पर बहुउपयोगी है लेकिन इसकी पूजा करने का कोई मतलब नहीं है।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। गोतस्करी को लेकर देशभर में चर्चित रहने वाले राजस्थान में गाय पर एक बार फिर संग्राम छिड़ गया है। विधानसभा में गाय की पूजा को लेकर संसदीय मंत्री शांति धारीवाल द्वारा दिए गए बयान के बाद सियासत गरमा गई है। धारीवाल ने विधानसभा में सावरकर की किताब का हवाला देते हुए कहा था कि गाय निश्चित तौर पर बहुउपयोगी है, लेकिन इसकी पूजा करने का कोई मतलब नहीं है।
धारीवाल ने कहा कि पूजा तो सुपर हयूमन को जाता है,पशुओं को पूजना व्यर्थ है। उन्होंने कहा कि गाय की पूजा करने का कोई सेंस नहीं है। धारीवाल ने कहा कि दामोदर सावरकर ने एक हिंदुत्व नाम से ग्रंथ। उसी ग्रंथ के आधार पर हिंदू महासभा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना हुई। सावरकर ने अपने ग्रंथ में हिंदुत्व की जो परिभाषा दी उसको संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बदल दिया।
मोहन भागवत ने बैतूल की एक सभा में हिंदू की परिभाषा ही बदल दी। उन्होंने कह दिया कि भारत में रहने वाला,हिंदुस्तान में रहने वाला हर आदमी हिंदू है,जबकि सावरकर ने लिखा था कि वह आदमी जिसका पुण्य भू और जिसका पितृ-भू अगर इस देश का है तो वह हिंदू है। धारीवाल ने यह बात गृह विभाग की अनुदान मांगों पर बहस का जवाब देते हुए कही। उन्होंने दुनिया के मुस्लिम देशों की चर्चा करते हुए भारत के मुसलमानों को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ मुसलमान करार दिया।
भाजपा ने जताई आपत्ति
धारीवाल के इस बयान का सदन के अंदर और बाहर विरोध हो गया। भाजपा नेता और पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि गाय हमारी माता है, उसकी हम पूजा करते है। गोमाता के बारे में कांग्रेस का सोच सबको पता है। उन्होंने कहा कि धारीवाल ने सावरकर को मिस कॉट किया है। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी ने कहा कि सदियों से इस देश में गाय की पूजा होती रही है। गाय एक पशु नहीं बल्कि मां के समान है।
धारीवाल ने सावरकर की एक किताब का जिक्र करते हुए कहा कि उसमें बताया गया है कि गाय निश्चित तौर एक बहुउपयोगी जानवर है, लेकिन उसकी पूजा करने का कोई मतलब नहीं है। इस बात पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने आपत्ति जताई तो सदन में हो हंगामा शुरू हो गया। भाजपा विधायकों ने इसे गाय का अपमान बताया। भाजपा इस मुद्दे को लेकर सदन के बाहर अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ राजनीतिक मुद्दा बनाने पर विचार कर रही है।