Coronavirus: राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के गृह जिले अजमेर में छह सौ कोरोना संक्रमित
Coronavirus अजमेर जिले में कोरोना बेकाबू होता जा रहा है। रोगियों को पलंग नहीं मिल रहे है। रेमडेसिविर इंजेक्शन कहीं उपलब्ध नहीं है। दवा की भी मारामारी है। मरीजों को उपयुक्त उपचार के लिए घंटों इंतजार तो करना ही पड़ रहा है।
अजमेर, संवाद सूत्र। राजस्थान के अजमेर जिले में कोरोना बेकाबू होता जा रहा है। रोगियों को पलंग नहीं मिल रहे है। रेमडेसिविर इंजेक्शन कहीं उपलब्ध नहीं है। दवा की भी मारामारी है। मरीजों को उपयुक्त उपचार के लिए घंटों इंतजार तो करना ही पड़ रहा है। अस्पतालों में चिकित्सक से परामर्श के लिए भी सिफारिशें करानी पड़ रही हैं। विगत चौबीस घंटे में छह सौ से अधिक रोगी संक्रमित पाए गए हैं। जिला प्रशासन का रटा-रटाया जवाब है कि उपचार की कोई कमी नहीं है, पर सच है कि उपचार के लिए मरीजों के भटकने पर कोई विराम नहीं है। अजमेर राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा का गृह जिला है। अजमेर के केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से ही रघु कांग्रेस के विधायक हैं।
आमतौर पर माना जाता है कि मंत्री अपने गृह क्षेत्र का ज्यादा ख्याल रखते हैं, लेकिन अजमेर में उल्टा हो रहा है। ख्याल रखने के बजाए अजमेर के साथ भेदभाव हो रहा है। अब जब कोरोना संक्रमण में रेमडेसिविर इंजेक्शन की अचानक मांग बढ़ गई है तो अजमेर के साथ भेदभाव हो रहा है। अजमेर में रेमडेसिवीर इंजेक्शन के प्रमुख एजेंट जितेश पटेल (एमवी एजेंसी) का कहना है कि पिछले 15 दिनों में सब कुछ मिला कर 300 इंजेक्शन विभिन्न कंपनियों से मिले हैं। जबकि जानकार सूत्रों का कहना है कि भीलवाड़ा जिले में पिछले सात दिनों में एक हजार से ज्यादा इंजेक्शनों की सप्लाई हुई है। यह माना कि अभी सभी जिलों में रेमडेसिवीर की मांग है, लेकिन कंपनियों को समान वितरण करना चाहिए। कोरोना काल में रेमडेसिवीर का वितरण सभी कंपनियां राज्य सरकार के इशारे पर कर रही है।
निजी क्षेत्र के अस्पतालों के साथ साथ सरकारी अस्पतालों में भी इंजेक्शन के वितरण को लेकर अजमेर के साथ भेदभाव हो रहा है। अजमेर के जेएलएन अस्पताल और ब्यावर, किशनगढ़ व केकड़ी के सरकारी अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीज भरे पड़े हैं। लेकिन इन सरकारी अस्पतालों के लिए पिछले तीन दिन में मात्र 70 इंजेक्शन प्राप्त हुए हैं, जबकि अन्य जिलों में इससे कहीं ज्यादा सप्लाई हुई है। रेमडेसिवीर इंजेक्शन देश की सात कंपनियां बनाती है, इसलिए बाजार में 900 रुपये से लेकर तीन हजार रुपये तक इंजेक्शन मिलता है। राज्य सरकार ने रेमडेसिविर की दर 28 सौ रुपये निर्धारित कर रखी है। यानि कोई भी प्राइवेट अस्पताल 28 सौ रुपये से ज्यादा की राशि नहीं ले सकता। प्राइवेट अस्पतालों को इंजेक्शन लगाने वाले मरीज का पूरा ब्यौरा भी रखना होगा। रघु शर्मा चाहे तो रेमडेसिविर इंजेक्शन की सप्लाई अजमेर के लिए अच्छी कर सकते हैं। आज एक-एक इंजेक्शन के लिए अजमेर में परेशानी है।
प्राइवेट अस्पतालों में पहुंचने वाले इंजेक्शनों के बारे में कोई जानकारी ही नहीं मिलती है, जबकि सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों के रहमो करम पर मरीज भर्ती है। चिकित्सकों के सामने भी यह समस्या है कि आखिर किसे इंजेक्शन लगाया जाए। हालात तो यह है कि सरकारी अस्पताल में मरीज सही उपचार नहीं मिलने से परेशान है, प्राइवेट अस्पतालों में पलंग भरे हुए हैं या प्राइवेट रूम नहीं मिल रहे हैं। इन सबसे ऊपर रोगियों की संभाल के लिए उपयुक्त और पर्याप्त स्टाफ का अकाल पड़ रहा है। प्रशासन और चिकित्सा महकमा स्वयं गंभीर रोगियों को छोड़ कर शेष को घरों पर ही क्वारंटाइन रहकर उपचार की सलाह देने लगे हैं। वहीं, गंभीर रोगियों के लिए भी वेंटिलेटर व आवश्यक इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं होने से सभी चिकित्सा मंत्री की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं।