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Rajasthan: टिड्डी नियंत्रण के कीटनाशक जमीन को कर रहे खराब, जमीन हो रही प्रभावित

टिड्डी नियंत्रण के कीटनाशक जमीन को कर रहे खराब आधा दर्जन जिलों की जमीन हो रही प्रभावित

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 12 Sep 2020 09:30 AM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2020 09:30 AM (IST)
Rajasthan: टिड्डी नियंत्रण के कीटनाशक जमीन को कर रहे खराब, जमीन हो रही प्रभावित
Rajasthan: टिड्डी नियंत्रण के कीटनाशक जमीन को कर रहे खराब, जमीन हो रही प्रभावित

जयपुर, जागरण संवाददाता। पश्चिमी राजस्थान के जिलों में होने वाली उपज को आम तौर पर स्वत: ही ऑर्गेनिक का दर्जा दिया जाता है। इसकी वजह ये है कि इन जिलों में कृषि क्षेत्रफल का ज्यादातर हिस्सा बारानी के तहत आता है। इसका मतलब है कि इन जिलों में ज्यादातर फसल बारिश के पानी पर ही निर्भर करती है। किसान बुवाई के समय ज्यादा रासायनिक खाद और कीटनाशक का उपयोग फसल में नहीं करते हैं। लेकिन अब टिड्डी दलों के प्रकोप के चलते इन जिलों का ऑर्गेनिक पट्टी का तमगा भी धीरे-धीरे छिनता जा रहा है।

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आधा दर्जन जिलों में पिछले साल से ही लगातार टिड्डियों का प्रकोप बना हुआ है और इन्हें खत्म करने के लिए बड़े स्तर पर कीटनाशकों का इस्तेमाल हो रहा है। टिड्डियों को खत्म करने में काम में लिए जा रहे ये कीटनाशक बेहद घातक प्रकृति के हैं जो धीरे-धीरे जमीन में घुल रहे हैं और इनके प्रभाव में आने के बाद फसल का ऑर्गेनिक रह पाना संभव नहीं है।

प्रदेश के जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, चूरु, बीकानेर और पाली आदि ऐसे जिले हैं जिनमें रबी और खरीफ दोनों ही फसलों में खाद और कीटनाशक ज्यादा इस्तेमाल नहीं होता है। लेकिन टिड्डियों नियंत्रण के लिए उपयोग लिया जा रहा कीटनाशक हवा के साथ इन फसलों पर प्रभाव डाल रहा है।

कीट विज्ञान विशेषज्ञों का कहना है कीटनाशकों के तत्व लंबे समय तक जमीन में मौजूद रहते हैं और उसे दूषित कर देते हैं। इसके साथ ही उपज के लिए जरूरी तत्वों को भी जमीन से खत्म कर देते हैं। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार प्रदेश में ऑर्गेनिक उत्पादों के निर्यात का आंकड़ा भी कम हो सकता है। जैविक खेती के क्षेत्रफल में राजस्थान देश में दूसरे नंबर है,वहीं जैविक उत्पादन में प्रदेश का पांचवां स्थान है ।

प्रदेश में टिड्डियों का खात्मा करने में अब तक करीब 3 लाख लीटर कीटनाशक का उपयोग हो चुका है। मेलाथियान, क्लोरपायरीफॉस और लेम्बडासायहेलोथ्रिन जैसे घातक कीटनाशकों का ये इस्तेमाल जैविक खेती के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है । कोई उत्पाद ऑर्गेनिक है या नहीं यह तय करने की एक निर्धारित प्रक्रिया होती है। लेकिन बारानी फसल का रकबा ज्यादा होने के चलते इस इलाके को ऑर्गेनिक पट्टी के तौर पर मान्यता मिली हुई है जिस पर अब धीरे-धीरे संकट मंडरा रहा है। 


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