लिव इन रिलेशनशिप जैसे संबंधों के लिए सरकार बनाए कानूनः राजस्थान मानवाधिकार आयोग
live in relationship. राजस्थान मानवाधिकार आयोग का मानना है कि लिव इन रिलेशनशिप जैसे रिश्तों से महिलाओं को दूर रखने के लिए जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।
जयपुर, मनीष गोधा। राजस्थान मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को सिफारिश की है कि लिव इन रिलेशनशिप या शादी की प्रकृति जैसे संबंधों के लिए एक समग्र कानून बनाए और इसमें ऐसे रिश्तों की तमाम शर्ते व योग्यताएं निर्धारित की जाएं। आयोग का मानना है कि लिव इन रिलेशनशिप जैसे रिश्तों से महिलाओं को दूर रखने के लिए जागरूकता अभियान चलाने चाहिए, क्योंकि ऐसे रिश्ते महिलाओं के लिए ही परेशानी साबित होते हैं।
राजस्थान मानवाधिकार आयेाग के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया और सदस्य जस्टिस महेश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने इस बारे में बुधवार को आदेश दिया है। राजस्थान मानवाधिकार आयोग लंबे समय से लिव इन रिलेशनशिप के मानवाधिकार संबंधी प्रभाव का अध्ययन कर रहा है। इसके लिए आयेाग ने सरकार और जन सामान्य से सुझाव भी मांगे थे। सरकार की ओर से पुलिस ने इस बारे में कई महत्वपूर्ण सुझाव आयेाग को दिए थे, क्योंकि पुलिस को ही ऐसे मामलों से सबसे ज्यादा जूझना पड़ता है। आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि भारत का संविधान हर व्यक्ति को सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार देता है।
ऐसे में लिव इन रिलेशनशिप जैसे रिश्तों को प्रोत्साहन देना तो दूर, ऐसे रिश्तों से महिलाओ को दूर रखने के लिए सघन जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। यह सभी मानवाधिकार रक्षकों, आयोगों व सरकारी विभागों तथा सरकार का कर्तव्य होना चाहिए। इस बारे में केंद्र व राज्य सरकार को तत्काल काम करना चाहिए। आयोग का मानना है कि घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम 2005 में शादी की प्रकृति जैसे संबंधों को विधिक मान्यता प्रदान की गई है, लेकिन इसमे कई भ्रांतियां हैं और इस भ्रम से महिलाओं को गुमराह कर लिव इन रिलेशनशिप को स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसे रोकना बहुत जरूरी है।
ये बातें होनी चाहिए स्पष्ट
आयोग ने राज्य सरकार को सिफारिश की है कि इस बारे में एक समग्र कानून बनाए जिसमें निम्न बातों के बारे में स्पष्टता होनी चाहिए-
-ऐसे रिश्तों के लिए पक्षकारों की योग्यता क्या होगी
-कौन ऐसे रिश्ते बनाने के लिए अयोग्य होंगे
-संबंधित पक्ष ऐसे रिश्तों को किस प्रकार सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करेंगे ताकि अन्य लोगों को इसकी जानकारी रहे और कोई धोखा न खा सके।
-ऐसे रिश्तों के पंजीकरण को अनिवार्य घोषित किया जाए और इसकी प्रक्रिया निर्धारित की जाए।
-ऐसे रिश्ते कैसे समाप्त किए जा सकते है, वे परिस्थितियां और तरीका स्पष्ट किया जाए। रिश्ता समाप्त करने से पूर्व काउंसलिंग को अनिवार्य किया जाए।
-ऐसे रिश्ते समाप्त किए जाने की प्रक्रिया के दौरान जिला न्यायाधीश स्तर के न्यायालय से सभी तरह के विवादों के निस्तारण का प्रावधान किया जाए।
-महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा कानून में संशोधन कर ऐसे रिश्ते को शादी का एक प्रकार घोषित किया जाए।