Rajasthan: नीट पीजी 2021 एडमिशन में याची ग्रामीण क्षेत्र के बोनस अंक का हकदार :राजस्थान हाई कोर्ट
Rajasthan राजस्थान हाई कोर्ट ने नीट पीजी 2021 एडमिशन में याची का ग्रामीण क्षेत्र के बोनस अंक का हकदार होने का आदेश दिया। नया सेवा प्रमाणपत्र जारी करने और तत्पश्चात नए प्रमाण पत्र के अनुरूप नियमानुसार बोनस अंक देने के आदेश दिए हैं।
जोधपुर, संवाद सूत्र। राजस्थान उच्च न्यायालय एकल पीठ ने नीट पीजी 2021 एडमिशन में याची का ग्रामीण क्षेत्र के बोनस अंक का हकदार होने का आदेश दिया। इसमें शहरी क्षेत्र में की गई सेवा अवधि को ग्रामीण क्षेत्र में मानते हुए नया सेवा प्रमाणपत्र 09 दिसंबर 2021 से पहले पहले जारी करने और तत्पश्चात नए प्रमाण पत्र के अनुरूप नियमानुसार बोनस अंक देने के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ता पाली जि़ला निवासी डाक्टर जितेंद्र कुमार शर्मा की ओर से अधिवक्ता यशपाल खि़लेरी ने रिट याचिका पेश कर बताया कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति राज्य सरकार के आदेश 27 मार्च, 2020 से ग्रामीण/ दूरस्थ/ रेगिस्तानी क्षैत्र में शामिल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रामगढ़ चांग, तहसील रायपुर (पाली) में हुई थीं, लेकिन राज्य सरकार ने आदेश 24 सितंबर 2020 से कोविड -19 महामारी को देखते हुए उसकी सेवाएं जि़ला कलेक्टर, जोधपुर को सौंप दी थीं।
तब से याची डा एसएन मेडिकल कालेज जोधपुर के अधीन अपनी सेवाएं दे रहा है। याची की ओर से बताया गया कि इसी दरम्यान याची नीट-पीजी 2021 प्रवेश परीक्षा में शामिल हुआ और अच्छे अंक प्राप्त किए और अब प्रवेश के लिए राज्य कोटे की सीट्स पर काउंसलिंग हो रही है, जिसमे ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत चिकित्सकों को प्रतिवर्ष की सेवाओं के लिए क्रमश: 10, 20, 30 अंक बोनस के रुप मे देय है। याची के मूल रूप से ग्रामीण क्षेत्र की पीएचसी पर पदस्थापित होने के बावजूद बोनस अंक से वंचित किया जा रहा है। अगर याची राज्य सरकार के प्रतिनियुक्ति आदेश की अवहेलना करता तो उसे अनुशासनात्मक कार्यवाही का सामना करना पड़ता, लेकिन उसने आज्ञाकारी अधिकारी के रूप में आदेश की पालना में व्यापक जनहित को देखते हुए जोधपुर ज्वाइन किया। अगर जोधपुर ज्वाइन नहीं करता तो उसे नीट-पीजी 2021 में ग्रामीण क्षेत्र के लिए नियमानुसार बोनस अंक मिलते, लेकिन जोधपुर शहरी क्षेत्र में प्रतिनियुक्ति पर कार्य करने के कारण उसे बोनस अंक से वंचित करना गैर कानूनी और अवैध है। उक्त प्रतिनियुक्ति आदेश की जिन चिकित्सकों ने पालना में ज्वाइन नही किया, उन्हें अपने मूल पदस्थापन स्थान के अनुरूप बोनस अंक मिल रहे हैं, जबकि याची को वंचित किया जा रहा है।
याची का वेतन भी प्रारंभ से ही मूल पदस्थापन स्थान से ही मिल रहा है। याची का प्रतिनियुक्ति आदेश उसकी सहमति या इच्छा पर जारी नहीं हुआ था बल्कि राज्य सरकार ने स्वयं जारी किया था। बाबजूद इसके, जोधपुर शहरी क्षेत्र में की गई सेवा अवधि को ग्रामीण क्षेत्र के रुप में प्रमाण पत्र में सम्मलित नहीं करने पर उसने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की। मामले में राज्य सरकार की ओर अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार के दिशानिर्देश अनुसार शहरी क्षेत्र में कार्य संपादन/ प्रतिनियुक्ति अवधि को गणना योग्य अवधि में सम्मिलित नही किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने याची की रिट याचिका स्वीकार करते हुए राज्य सरकार सहित निदेशक (जन स्वास्थ्य), चिकित्सा विभाग जयपुर एवम सीएमएचओ पाली को आदेशित किया कि वे शहरी क्षेत्र में की गई सेवा अवधि को ग्रामीण क्षेत्र में मानते हुए नया सेवा प्रमाणपत्र 09 दिसंबर 2021 से पहले पहले जारी करें और तत्पश्चात नए प्रमाण पत्र के अनुरूप नियमानुसार बोनस अंक दें। याची को हाईकोर्ट जस्टिस अरुण भंसाली की एकलपीठ से राहत मिली।