राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र बोले-मैं विश्राम नहीं लोगों को राहत देने आया हूं
राजस्थान के राज्यपाल कलराज का कहना है कि मैं यहां विश्राम करने नहीं आया लोगों के दुख दर्द सुनने और उन्हे राहत पहुंचाने के लिए हमेशा काम करूंगा।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान के राज्यपाल कलराज का कहना है कि मैं यहां विश्राम करने नहीं आया, लोगों के दुख: दर्द सुनने और उन्हे राहत पहुंचाने के लिए हमेशा काम करूंगा। राज्यपाल के पद पर रहते हुए प्रदेश का शैक्षिक स्तर सुधारने, सामाजिक एवं आर्थिक विकास करने और युवाओं को रोजगार के अवसर दिलाने का प्रयास करूंगा।
उन्होंने कहा कि मैं संविधान की मर्यादा का पालन और संरक्षित करने का प्रयास करूंगा। राज्यपाल का पद संभालते ही गार्ड ऑफ ऑनर और महामहिम शब्द की परंपरा खत्म कराने वाले मिश्र का कहना है कि यह नहीं हो सकता कि मैं राजभवन में बैठे रहने के बजाय आम लोगों के दुख: दर्द में साथ दूंगा।
प्रदेश के राज्यपाल के रूप में अब तक जो भी काम किया है उससे मैं पूरी तरह से संतुष्ट हूं मिश्र ने "दैनिक जागरण" से बातचीत में कहा कि मैं राजभवन से बाहर निकल कर हर जिले और क्षेत्र के लोगों के बीच जा रहा हूं। लोगों की समस्याओं को सुनकर सरकार के माध्यम से उनका निवारण कराने का प्रयास कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि प्रदेश का प्रथम नागरिक होने के नाते यह मेरा कर्तव्य है कि यहां जो सरकार चल रही है वो मेरी सरकार है। सरकार समुचित तौर पर चले, अगर इसमें कोई खामियां आती है तो राज्यपाल के नाते मेरी भी जिम्मेदारी है। पूरे प्रदेश में कहां क्या हो रहा है, इसकी जानकारी प्राप्त करना और जरूरत पड़ने पर वहां जाना इतना मैं जरूर करता हूं।
शिक्षा की गुणवत्ता और आदिवासियों का कल्याण प्राथमिकता
राज्यपाल मिश्र का कहना है कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखना मेरी सबसे पहली प्राथमिकता है । उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटीज में तय समय पर दीक्षांत समारोह आयोजित कर डिग्रियों का वितरण कराना, शिक्षा के स्तर को सुधारना और युवाओं को आज के युग के अनुसार शिक्षा दिलाना जिससे कि वे आगे चलकर खुद के लिए एवं प्रदेश और देश के लिए काम कर सकें यह मेरी प्राथमिकता है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के आदिवासी इलाकों के समुचित विकास को लेकर सरकार के माध्यम से कुछ कदम उठाए हैं और आगे भी उठाए जाएंगे। युवाओं में देशप्रेम की भावना जागृत करने के लिए यूनिवर्सिटीज में किसी भी समारोह से पूर्व संविधान की प्रस्तावना और कर्तव्यों का वाचन आनवार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटीज को स्मार्ट बनाने को लेकर प्रक्रिया शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि एक ऐसा अंब्रेला कानून बनना चाहिए यूनिवर्सिटीज की स्वायत्ता भी बनी रहे और जो समस्याएं सामने आए उनका आसानी से समाधान भी हो सके।