Wheat MSP: राजस्थान में 1975 रुपये क्विंटल गेहूं खरीदेगी सरकार
Wheat MSP खाद्य व नागरिक आपूर्ति विभाग के सचिव नवीन जैन ने बताया कि गेहूं खरीद का पूरा कार्यक्रत तय किया गया है। गेहूं खरीद की पूरी प्रक्रिया व्यवस्थित तरह से चलाने के लिए जिला कलेक्टरों की अध्यक्षता में जिला स्तर पर मॉनिटरिंग कमेटी बनाई जा रही है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। Wheat MSP: राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ने प्रदेश के किसानों से आगामी समय में गेहूं की खरीद करने की योजना तैयार की है। केंद्र सरकार की ओर से 2021-22 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1975 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। आगामी मार्च और अप्रैल में गेहूं की फसल तैयार हो जाएगी। इसी दौरान मंडियों में नया गेहूं आना शुरू हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि इससे पहले सरकार ने साल 2020-21 में किसानों से 1925 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद की थी। सरकार के खाद्य व नागरिक आपूर्ति विभाग के सचिव नवीन जैन ने बताया कि गेहूं खरीद का पूरा कार्यक्रत तय किया गया है। गेहूं खरीद की पूरी प्रक्रिया व्यवस्थित तरह से चलाने के लिए जिला कलेक्टरों की अध्यक्षता में जिला स्तर पर मॉनिटरिंग कमेटी बनाई जा रही है।
यह कमेटी समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी करेगी। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के निर्देशानुसार परिवहन दरों के निर्धारण व मंडी श्रमिक शुल्क के निर्धारण के लिए एक विशेषज्ञ उप समिति गठित की गई है। उप समिति की ओर से दो फरवरी को राज्य स्तरीय समिति को रिपोर्ट दी जाएगी, जिसके आधार पर कई निर्णय होंगे। जैन ने बताया कि शुक्रवार को हुई एक बैठक में कृषि विभाग के अधिकारियों ने कृषि उत्पादन कार्यक्रम के तहत करीब 108 लाख मैट्रिक टन गेहूं की पैदावार होने की संभावना जताई है। माना जा रहा है कि सरकार इस साल करीब 30 लाख मैट्रिक टन गेहूं की खरीद करेगी।
गौरतलब है कि राजस्थान के किसानों को अब जीरे की खेती से काफी फायदा मिलने की उम्मीद है। जोधपुर स्थित केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) के वैज्ञानिकों का दावा है कि उनके द्वारा की गई खोज से जीरे की ऐसी वैरायटी किसानों को मिलेगी, जिससे उन्हें फायदा होगा। जीरे की फसल अब तक किसानों के लिए खतरा ही साबित होती थी, इसका मुख्य कारण मौसम की मार के कारण खराबा होना था। कई बार ओलावृष्टि और कभी तेज बारिश के कारण जीरे फसल बर्बाद होती थी, लेकिन अब काजरी में हुई खोज के बाद किसानों को इस समस्या से छुटकारा मिलेगा।