Rajasthan: गुर्जर समाज ने आंदोलन का दिया अल्टीमेटम, मनाने में जुटी राजस्थान सरकार
Rajasthan गुर्जर समाज ने एक नवंबर से आंदोलन का अल्टीमेटम दे रखा है। गुर्जरों ने दिल्ली कूच के साथ ही जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करने की योजना बनाई है। गुर्जर आंदोलन के अल्टीमेटम को देखते हुए राज्य सरकार ने भी तैयारी शुरू कर दी है।
जागरण संवाददाता, जयपुर। Rajasthan: राजस्थान के गुर्जर समाज ने एक नवंबर से आंदोलन का अल्टीमेटम दे रखा है। गुर्जरों ने दिल्ली कूच के साथ ही जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करने की योजना बनाई है। गुर्जर आंदोलन के अल्टीमेटम को देखते हुए राज्य सरकार ने भी तैयारी शुरू कर दी है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक बीजू जॉर्ज जोसेफ और महानिरीक्षक (विजिलेंस) हैदर अली जैदी ने बयाना पहुंचकर गुर्जर नेताओं से मुलाकात कर सरकार का पक्ष रखा। अशोक गहलोत सरकार ने राजनीतिक व प्रशासिक तरीके से गुर्जर नेताओं को मनाने का प्रयास शुरू किया है। गुर्जर नेताओं के समक्ष गहलोत सरकार का पक्ष रखते हुए कहा गया कि सरकार समाज की मांगों पर गंभीर है, लेकिन संवैधानिक रुप से मांगों को पूरा करने में कुछ समय लग सकता है। ऐसे में गुर्जर समाज को धैर्य से काम लेना चाहिए और आंदोलन जैसे कदम से बचना चाहिए।
इस पर गुर्जर नेताओं ने कहा कि सरकार समाज की मांगों को पूरा कर दे तो आंदोलन जैसी नौबत ही नहीं आएगी। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति से जुड़े भूरा भगत ने कहा कि अपनी न्यायोचित मांगों के लिए संघर्ष कर रहे समाज को सरकार कभी मुकदमे लगाकर तो कभी हमारे ही समाज के कुछ लोगों को बरगला कर आंदोलन को दबाने का जिस तरह से प्रयास कर रही है। इससे पूरे समाज में रोष व्याप्त है। इसके बजाए सरकार को समाज की मांगों को एक नवंबर से पहले पूरा करना चाहिए। जब सरकार ने पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग सबसे प्रमुख मांग पूरी कर दी तो अब इन छोटी-छोटी मांगों को पूरा करने में क्यों देरी कर रही है। अगर सरकार मांगों को पूरा करती है तो गुर्जर सहित पूरा एमबीसी वर्ग सरकार का आभारी रहेगा।
ये हैं गुर्जर समाज की मांग
गुर्जर सहित पांच जातियों को अति पिछड़ा वर्ग में राज्य सरकार द्वारा दिए गए पांच फीसद आरक्षण को केंद्र की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। राज्य सरकार में बैकलॉक की भर्तियां निकाली जानी चाहिए। भर्ती में अति पिछड़ा वर्ग को पांच प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जाए। इस कोटे से भर्ती हुए 1200 कर्मचारियां को नियमित किया जाना चाहिए। पिछले आंदोलन के सभी शहीदों के परिजन को सरकार के वादे के मुताबिक नौकरी, मुआवजा दी जाए। आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमों को वापस लिया जाना चाहिए।