Rajasthan: महापौर और सभापति के सीधे चुनाव से कतरा रही कांग्रेस
लोकसभा चुनाव में राजस्थान की सभी 25 सीटों पर हार के बाद अब सत्तारूढ़ दल कांग्रेस स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। लोकसभा चुनाव में राजस्थान की सभी 25 सीटों पर हार के बाद अब सत्तारूढ़ दल कांग्रेस स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। शहरों में भाजपा की मजबूत पकड़ के चलते अब कांग्रेस नगर निकायों में मेयर और सभापति का चुनाव अप्रत्यक्ष तौर पर कराना चाहती है। अर्थात पहले की तरह महापौर और सभापति का चुनाव सीधे नहीं होगा।
इस बारे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित अन्य नेताओं के बीच सहमति बन चुकी है। अप्रत्यक्ष तौर पर चुनाव का अर्थ यह है कि अब पहले नगर निगम एवं नगर पालिकाओं में वार्ड पार्षद के चुनाव होंगे और फिर जीतने वाले पार्षद मेयर और सभापति का चुनाव करेंगे। कांग्रेस कार्यकर्ताओं एवं विधायकों से मिले फीडबैक के बाद गहलोत सरकार सीधे चुनाव कराने से कतरा रही है।
कांग्रेसियों ने प्रदेश नेतृत्व को जो रिपोर्ट दी है उसमें साफ कहा है कि वर्तमान हालात में यदि मेयर और सभापति के प्रत्यक्ष चुनाव कराए जाते है तो भाजपा को फायदा होगा और यदि अप्रत्यक्ष चुनाव कराए जाने पर कांग्रेस को लाभ होने की उम्मीद है। सत्तारूढ़ दल होने के कारण चुनाव जीतने के बाद निर्दलीय पार्षद महापौर और सभापति के चुनाव में कांग्रेस को समर्थन दे सकते है। राज्य के स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने भी सीएम को जो रिपोर्ट दी है उसके अप्रत्यक्ष तौर पर चुनाव कराने की सिफारिश की है।
धारीवाल ने रिपोर्ट में कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटाने का लाभ भाजपा को मिलेगा। वर्तमान में मेयर और सभापति के चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होते है। इनमें मतदाता सीधे इन पदों के लिए मतदान करते है।लेकिन अब अध्यादेश लाकर सरकार महापौर और सभापति का चुनाव अप्रत्यक्ष तौर पर कराने की तैयारी कर रही है। इसमें निर्वाचित पार्षद ही मतदान करेंगे।
उधर सरकार ग्राम पंचायतों की संख्या में भी बढ़ोतरी करने पर विचार कर रही है। उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट का कहना है कि तीन से चार हजार की आबादी पर ग्रामी पंचायत बनाई जाएगी। वर्तमान में आठ से दस हजार की आबादी पर ग्राम पंचायतें बनी हुई है।
गहलोत बोले, कार्यकर्तातों की भावना के अनुसार निर्णय होगा
इस बारे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि अभी चर्चा चल रही है कि चुनाव सीधे हो या अप्रत्यक्ष कराए जाएं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भावना के अनुरूप ही निर्णय लिया जाएगा। कांग्रेस में कार्यकर्ता सुप्रीम होते है,उनकी राय के आधार पर फैसले होते है। वहीं राज्य के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री भंवरलाल मेघवाल ने कहा कि अधिकांश कांग्रेसी अप्रत्यक्ष चुनाव कराए जाने के पक्ष में है। अप्रत्यक्ष चुनाव कराया जाना कांग्रेस के पक्ष में इसलिए है,क्योंकि भाजपा का शहरी मतदाताओं पर प्रभाव है।